अफगानिस्तान की सत्ता में आते ही तालिबान ने यहाँ की विभिन्न जेलों में बंद 2,300 खूंखार आतंकियों को रिहा कर दिया है। बताया जा रहा है कि तालिबान ने टीटीपी के डिप्टी चीफ फकीर मोहम्मद के अलावा अलकायदा, आईएसआईएस और तहरीक-ए-तालिबान के कई खूंखार आतंकियों को जेल से बाहर कर दिया गया है। ये सभी अफगान की विभिन्न जेलों में बंद थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान ने बैतुल्ला मेहसूद, आतंकी फकीर मोहम्मद, वकास मेहसूद, हमजा मेहसूद, जरकावी मेहसूद, जईतुल्ला मेहसूद, हमीदुल्ला मेहसूद और हमीद महसूद जैसे कुख्यात आतंकियों सहित 2,300 आतंकियों को रिहा कर दिया। वहीं, पाकिस्तान ने तहरीके तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकियों को छोड़ने पर भी चिंता व्यक्त की है, क्योंकि टीटीपी पाकिस्तान में काफी सक्रिय आतंकी संगठन है।
तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को काबुल में प्रवेश के साथ ही पूरे अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा लिया है। अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी भी देश छोड़कर भाग चुके हैं।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के पीछे जिन बड़े सरगनाओं का नाम सामने आ रहा है, उसमें खैरुल्लाह खैरख्वाह भी शामिल है। ये वही व्यक्ति है, जिसे बराक ओबामा के कार्यकाल में ग्वांतानामो वे जेल से छोड़ा गया था। 2014 में ओबामा प्रशासन द्वारा छोड़े गए तालिबानी कैदी ने अब काबुल में तालिबान की सत्ता की पूरे रूपरेखा तय की और इसकी रणनीति तैयार की है। उसके साथ-साथ कई अन्य आतंकी भी छोड़े गए थे।
इनमें से एक मोहम्मद नबी है, जो कलात में तालिबान का ‘सिक्योरिटी चीफ’ हुआ करता था। एक अन्य का नाम मोहम्मद फ़ज़ल था। ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ संस्था के अनुसार, 2000-2001 में अफगानिस्तान में जो शिया मुस्लिमों का नरसंहार हुआ था, उसके पीछे इसकी ही भूमिका थी। एक अन्य का नाम अबुल हक़ वासिक था, जो ‘इंटेलिजेंस’ में तालिबान का डिप्टी मिनिस्टर था। मुल्ला नरुल्लाह नोरी इसमें अगला नाम था।