कनाडा के एक न्यायाधिकरण ने खालिस्तान समर्थक कमलजीत की नागरिकता को बहाल रखने का आदेश दिया है। कमलजीत पर सन 1980 के दशक के दौरान भारत में खालिस्तानी आतंकियों को शरण और खाना-पीना देने का आरोप है। कनाडा की संघीय अदालत ने मामले के सामने आने के बाद कमलजीत की नागरिकता रद्द कर दी थी।
बता दें कि कमलजीत खुद को जनरैल सिंह भिंडरवाले का समर्थक बताते हुए सिखों के अलग देश की माँग करता है। भारत भी पिछले काफी समय से कनाडा पर खालिस्तानियों को संरक्ष्ण देने का आरोप लगाता आ रहा है।
बुधवार (11 अक्टूबर, 2023) को इस बावत मीडिया में रिपोर्ट्स प्रकाशित हुई है। इन रिपोर्ट्स में बताया गया है कि खालिस्तान समर्थक कमलजीत को कनाडा में बसने की अनुमति टोरंटो स्थित एक न्यायाधिकरण ने दी थी। अदालत में कमलजीत द्वारा भारत में किए गए अपराध को जरूरत और प्रतिशोध का डर बताया गया।
इस मामले में आव्रजन और शरणार्थी बोर्ड न्यायाधिकरण के सदस्य हेइदी वॉर्सफ़ोल्ड ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कमलजीत को सिर्फ इस आधार पर कनाडा में बसने से नहीं रोका जा सकता कि उसने खलिस्तनियों को रहने के लिए ठिकाना और खाने के लिए खाना दिया।
दरअसल, कुछ दिन पहले कमलजीत राम ने कनाडा में दिए गए एक इंटरव्यू में अपनी खालिस्तान से नजदीकियों का जिक्र किया था। तब उसने बताया था कि साल 1982 से 1992 के बीच भारत के अंदर अपने फार्म हाउस पर खालिस्तानी आतंकियों को रहने के लिए ठिकाना देने के साथ ही भोजन आदि की व्यवस्था भी की थी। कनाडा की संघीय सरकार ने कमलजीत के इस कबूलनामे का संज्ञान लिया और उसे कनाडा से प्रतिबंधित कर दिया था। जिसके बाद कमलजीत ने कनाडा सरकार के इस फैसले को टोरंटों स्थित न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी।
इसी केस की सुनवाई करते हुए न्यायाधिकरण के सदस्य हेइदी वॉर्सफ़ोल्ड ने कहा कि सरकार ने कमलजीत के कबूलनामे पर जरूरत से ज्यादा कड़ा फैसला ले लिया। अंतिम फैसला सुनाते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि अभियोजन पक्ष ऐसे सबूत पेश कर रहा है जो कि विचार और कमलजीत को कनाडा से बाहर किए जाने योग्य हों। बताते चलें कि पिछले दिनों भारत सरकार ने भी कनाडा पर कई बार खालिस्तानियों को सपोर्ट करने का आरोप लगाया था।