अफगानिस्तान में मंगलवार (मार्च 2, 2021) को ISIS ने 3 महिला पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया, जबकि एक अन्य घायल हैं। पूरी वारदात जलालाबाद शहर में घटी। तीनों महिलाएँ रेडियो और टीवी स्टेशन में काम करती थीं।
मृतक मीडियाकर्मियों की शिनाख्त मुर्सल वाहिदी, सादिया सदत और शहनाज के तौर पर हुई। उम्र में तीनों केवल 18 से 20 साल की थीं। इस्लामी आतंकियों ने इन पर हमला तब बोला, जब यह अपने ऑफिस से घर जाने के लिए रवाना हुई थीं।
तीनों मृतक मीडियाकर्मी तुर्की और भारत के नाटकों/सीरियलों को स्थानीय भाषाओं जैसे दारी और पश्तू में डब करती थीं। निजी चैनल एनिकास टीवी (Enikas TV) के समाचार संपादक शोकरुल्ला पासून ने यह जानकारी अलजज़ीरा को दी।
प्रशासन ने बताया है कि वह हत्यारे को पकड़ चुके हैं। पूछताछ में उसने अपना नाम कारी बसर बताया है और खुद के ताल्लुक तालिबान से कहे हैं। हालाँकि तालिबान ने इस हमले में हाथ होने से इनकार किया है।
तालिबान के इनकार करने के बाद ISIS ने इस हमले की खुली जिम्मेदारी ली है। महिलाओं को निशाना बनाने पर ISIS का कहना है कि वह तीनों ऐसे मीडिया स्टेशन में काम करती थीं, जो अफगानी सरकार का वफादार है।
एनिकास टीवी (Enikas TV) के प्रमुख जलमई लतीफी ने बताया कि दो अलग-अलग घटनाओं में महिलाओं को मारा गया। वो उस समय पैदल ऑफिस से घर जा रही थीं। तभी दो लोग आए और उन पर फायरिंग शुरू कर दी। वह तीनों हाई स्कूल ग्रैजुएट थीं और केवल 18-20 साल की थीं।
मालूम हो कि पिछले साल दिसंबर में एक और महिला कर्मचारी को मारा गया था। वह भी एनिकास रेडियो एंड टीवी में काम करती थीं। उन्हें भी जलालाबाद में ही मारा गया था।
एक अमेरिकन एनजीओ SITE इंटेलीजेंस ग्रुप का कहना है कि जलालाबाद के पूर्वी शहर में हुए इस हमले में एनिकास टीवी स्टेशन की महिला कर्मचारियों को जानबूझकर निशाना बनाया गया। बता दें कि इस हमले में ऐसा दावा करने वाला यह इंटेल ग्रुप जिहादी संगठनों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर बनाए रखने का काम करता है।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी इन हमलों की निंदा की है। उन्होंने कहा कि निर्दोष महिलाओं पर जानलेवा हमले को न केवल इस्लाम बल्कि अफगानिस्तान के कल्चर और शांति के खिलाफ कहा है।
इस हमले के बाद अफगान इंडिपेंडेंट ह्यूमन राइट्स के प्रमुख शहजाद अकबर ने ट्विटर पर कहा, “अफगान महिलाओं को अक्सर निशाना बनाया जाता है और उन्हें मार दिया जाता है… इसे रोकना चाहिए। नागरिकों को मारना और (अफगानिस्तान के) भविष्य को नष्ट करना बंद हो।”
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में तालिबान और ISIS का आतंक अक्सर देखने को मिलता रहता है। यदि सिर्फ़ पिछले 6 माह की बात करें तो रिपोर्ट बताती है कि इस बीच 15 मीडिया कर्मचारियों को मौत के घाट उतारा गया। इसे अलावा कई धार्मिक ज्ञान रखने वालों, कार्यकर्ताओं और न्यायाधीशों पर भी यहाँ हमले होते रहते हैं। कुछ को धमकियों के बाद छिपना पड़ता है तो कुछ भागने को मजबूर होते हैं।