Monday, December 23, 2024
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नेपाल की पवित्र कालीगण्डकी में मिली शिलाओं से बनेगी भगवान राम के बाल स्वरूप की प्रतिमा: अयोध्या के भव्य मंदिर में होगी स्थापना, मजबूत होंगे रिश्ते

"मुक्तिनाथ उद्गम स्थल से निकली कालीगण्डकी नदी की शिला अपने आप में पवित्र है। अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में पवित्र कालीगण्डकी नदी का पत्थर रखने का मतलब न केवल नेपाल और भारत के सांस्कृतिक संबंधों का विषय है, बल्कि हम कालीगण्डकी के तटीय क्षेत्र के निवासियों के लिए भी गर्व का विषय है।"

अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के मुख्य गर्भगृह में नेपाल की पवित्र नदी कालीगण्डकी में मिली शिलाओं से भगवान राम की बालस्वरूप और माता सीता की मूर्तियों का निर्माण किया जाएगा। नेपाल के मुक्तिनाथ क्षेत्र से दो बड़ी शिला को बुधवार (25 जनवरी, 2023) को इस काम के लिए अयोध्या (Ayodhya) भेजने का इंतजाम किया गया। इन शिलाओं को शालीग्राम पत्थर के नाम से भी जाना जाता है। शालीग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। अगले साल जनवरी में मकर संक्रांति तक इन मूर्तियों के तैयार होने की उम्मीद है।

राम जन्मभूमि में राम मंदिर ट्रस्ट के प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने टीओआई से बात करते हुए कहा, “विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र सिंह पंकज बुधवार को नेपाल के मस्तंग जिले से दो पवित्र शिलाओं को लेकर चल दिए हैं। वह शुक्रवार तक अयोध्या पहुँच सकते हैं।” गण्डकी के मुख्यमंत्री खगराज अधिकारी पोखरा के विंध्यवासिनी मंदिर में 23 टन और 15 टन की दो शिलाएँ उन्हें सौंपी। गण्डकी राज्य सरकार के आवश्यक प्रबंध के तहत शिला को जनकपुर से अयोध्या भेजने की व्यवस्था भी नेपाल ही कर रहा है।

जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास के उत्तराधिकारी राम रोशन दास ने काठमाण्डू से प्रकाशित राष्ट्रीय दैनिक ‘नया पत्रिका’ को बताया था कि कालीगण्डकी की शिला को जनकपुरधाम ले जाने के बाद हम इसे जुलूस के साथ अयोध्या भेजेंगे। उनके मुताबिक, अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जानकी मंदिर के महंत से कालीगण्डकी की शिला उपलब्ध कराने के कार्य में समन्वय बनाने का अनुरोध किया था। जनकपुर में बसंतपंचमी के पर्व पर इसका पूरे विधि-विधान के साथ पूजन होगा। पूजन और साधु-संतों के अनुष्‍ठान के बाद शालीग्राम प्रतिमा को जनकपुर से अयोध्‍या लाया जाएगा। इसे लाने के लिए मधुबनी-दरभंगा रास्‍ते को चुना गया है।

नेपाल और भारत के सांस्कृतिक संबंध मजबूत होंगे

हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता सीता नेपाल के राजा जनक की बेटी थीं और उनका विवाह अयोध्या के भगवान राम से हुआ था। रामनवमी पर भगवान राम के जन्म के उत्सव के साथ, नेपाल के जनकपुर में भक्त शुक्ल पक्ष के पाँचवें दिन राम और सीता के विवाह का जश्न मनाते हैं। यह आमतौर पर नवंबर और दिसंबर के बीच पड़ता है। जानकारों का मानना है कि इससे कालीगण्डकी क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध और भी मजबूत होंगे।

उल्लेखनीय है कि 15 दिसम्बर 2022 को नेपाली कैबिनेट की बैठक में कालीगण्डकी नदी से मिली शिलाओं को भेजने का फैसला किया गया था। उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा ने गण्डकी प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कृष्ण चंद्र नेपाली से शिला दिलाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का अनुरोध किया था। तब जाकर नेपाल और भारत के विशेषज्ञों की एक टीम को कालीगण्डकी में दो शिला मिलीं।

दोनों शिलाएँ अयोध्या के लिए उपहार

शिला के चयन के लिए नेता विमलेन्द्र निधि, विश्व हिंदू परिषद नेपाल के महामंत्री जितेंद्र कुमार सिंह, विश्व हिंदू परिषद भारत के केंद्रीय मंत्री पंकज सिंह, कालीगण्डकी के जानकार और चट्टान विशेषज्ञ डॉ. कुलराज चालीसे सहित अन्य लोग मौजूद रहे। चालिसे के अनुसार, प्रारंभ में मुस्ताड में एक और शिला का चयन किया गया था, पर उसे अयोध्या ले जाना सम्भव नहीं था। इसलिए अन्नपूर्णा-धवलागिरी हिमपर्वतों के बीच की दो शिलाएँ ले जाने का निर्णय लिया गया। इस साल देवशिला को जनकपुर से अयोध्या उपहार स्वरूप भेजा जा रहा है।

मूर्ति तैयार करने में लगेगा नौ महीने का समय

वहीं, विश्व हिंदू परिषद नेपाल के महामंत्री जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति तैयार करने में नौ महीने का समय लगेगा। पूर्व उपप्रधानमंत्री और कॉन्ग्रेस नेता निधि ने नया पत्रिका को बताया, “अयोध्या में बनने वाले श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में नेपाल स्थित कालीगण्डकी से ली गई शिला से तराशी गई मूर्ति रखने का महत्व हमेशा रहेगा। इस कार्य को करने पर गर्व है। इससे नेपाल और भारत के बीच सदियों से चले आ रहे सांस्कृतिक संबंध और मजबूत होंगे।”

यूएमएल के केंद्रीय सदस्य और विदेश मामलों के विभागीय उप प्रमुख कृष्ण बहादुर केसी ने कहा, “मुक्तिनाथ उद्गम स्थल से निकली कालीगण्डकी नदी की शिला अपने आप में पवित्र है। अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में पवित्र कालीगण्डकी नदी का पत्थर रखने का मतलब न केवल नेपाल और भारत के सांस्कृतिक संबंधों का विषय है, बल्कि हम कालीगण्डकी के तटीय क्षेत्र के निवासियों के लिए भी गर्व का विषय है।”

1 जनवरी 2024 से भक्तों के लिए खुलेगा राम मंदिर

गौरतलब है कि राम मंदिर का निर्माण मार्च 2020 से चल रहा है। राम मंदिर 70 एकड़ जमीन पर बन रहा है, जिसकी लंबाई 360 फीट, चौड़ाई 235 फीट और ऊँचाई 161 फीट होगी। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की वेबसाइट के मुताबिक, मंदिर में पांच मंडप और बीच में एक गर्भगृह होगा। गर्भगृह भूतल पर होगा, जबकि प्रथम तल पर राम दरबार का निर्माण किया जा रहा है। 1 जनवरी 2024 को राम मंदिर का उद्घाटन कर इसे श्रद्धालुओं के लिए खोलने की तैयारी चल रही है।

द मिंट के अनुसार, राम मंदिर और परिसर के निर्माण में लगभग 20 अरब रुपए खर्च होने का अनुमान है। अकेले मंदिर के निर्माण में साढ़े पाँच अरब रुपए खर्च होंगे। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सरकार से फंड नहीं मिला है। ट्रस्ट के परियोजना निदेशक वीके मेहता ने जानकारी दी है कि अब तक श्रद्धालुओं द्वारा 32 अरब रुपए से अधिक का सहयोग प्राप्त हो चुका है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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