पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में तख्त-ए-बाही के पास एक घर में खुदाई के दौरान लगभग 1,700 साल पुरानी बुद्ध प्रतिमा को एक स्थानीय ठेकेदार ने मजहबी नेताओं के इशारे पर ध्वस्त कर दिया। इसके पीछे कारण यह था कि इस्लाम में बुतों, प्रतिमाओं और अवशेषों को गैर-इस्लामिक माना जाता है।
स्थानीय पुलिस ने पुरातन अवशेषों के अधिनियम के तहत एक प्राथमिकी दर्ज कर बुद्ध की इस मूर्ति को तोड़ने वालों को गिरफ्तार कर लिया है।
बता दें कि यह मूर्ति मर्दन इलाके के ‘तख्त भाई क्षेत्र’ (तख़्त-ए-बाही/Takht-i-Bahi – Throne of Origins) में मजदूरों को घर की नींव की खुदाई करते समय बरामद हुई थी, जो कि ऐतिहासिक गांधार सभ्यता का एक हिस्सा था। इसी कारण तख्त भाई क्षेत्र श्रीलंका, कोरिया और जापान के लोगों के लिए एक पर्यटन स्थल है। गांधार सभ्यता उपमहाद्वीप के इतिहास में उल्लेखित उन्नत शहरी बस्तियों में से एक है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थानीय लोगों ने बताया कि खुदाई के दौरान जब मूर्ति मिली थी, तो ‘स्थानीय मजहबी नेताओं ने आकर कहा, “बुद्ध की इस मूर्ति को तोड़ो।” उनकी ही सलाह पर वहाँ के ठेकेदार और मजदूरों ने मूर्ति को हथौड़े से तोड़ दिया।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मजदूर खुदाई में मिली इस बुद्ध प्रतिमा को एक बड़े हथौड़े से तोड़ते हुए इस ‘गैर-इस्लामिक’ अवशेष के खिलाफ नाराजगी प्रकट करते हुए नारेबाजी भी कर रहे हैं।
تخت باہی: خیبر پختونخوا میں بدھا کا 1700 سال پُرانا مجسمہ ’مذہبی رہنما کے کہنے پر‘ توڑ دیا گیا https://t.co/U9b3rn8GCH
— BBC News اردو (@BBCUrdu) July 18, 2020
स्थानीय मीडिया ने पाकिस्तान पर्यटन विभाग के एक अधिकारी के हवाले से कहा कि अधिकारियों ने इस घटना पर ध्यान दिया है और इस मामले की जाँच कर रहे हैं। कई लोगों ने इसे तोड़ने का वीडियो शेयर करते हुए चिंता भी व्यक्त की है।
What is this People “A giant statue of #Buddha was discovered in #Takhtbhai,Mardan yesterday. But how turned into Pieces by ignorants. @kamrankbangash @_Buddha_Quoteshttps://t.co/NZtxuH5Hhz post via @qissakhwani
— Parkha Asad (@DeWazir) July 17, 2020
खैबर पख्तूनख्वा के पुरातत्व और संग्रहालय के निदेशक अब्दुल समद ने कहा कि अधिकारियों ने उस क्षेत्र को चिन्हित कर लिया है, जहाँ पर घटना हुई है और इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में शामिल लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। उन्होंने कहा था, “हम क्षेत्र में मौजूद हैं और हम जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे।”
गौरतलब है कि ‘तख्त भाई’ अपने ऐतिहासिक अवशेषों के लिए जाना जाता है क्योंकि यह गांधार सभ्यता का एक हिस्सा था। वर्ष 1836 में पहली बार जब यहाँ खुदाई की गई थी, तब पुरातत्वविदों ने क्षेत्र में मिट्टी, प्लास्टर और टेराकोटा से बने सैकड़ों अवशेष प्राप्त किए थे।
पाकिस्तान के गांधार क्षेत्र में तख्त-ए-बाही और बौद्ध शहर के अवशेष सहार-ए-बहलोल के बौद्ध खंडहर बौद्ध धर्म के सबसे प्रभावशाली अवशेषों में से एक हैं।
तख्त-ए-बाही (मूल का सिंहासन) के बौद्ध मठ परिसर की स्थापना पहली शताब्दी में की गई थी। ऊँची पहाड़ी की चोटी पर स्थित होने के कारण, यह लगातार आक्रमणों से बचा रहा और अब भी असाधारण रूप से संरक्षित है। इसके पास में ही सहार-ए-बहलोल के खंडहर हैं, जो उसी अवधि का एक छोटा सा किलेबंद शहर है।
तख्त-ए-बाही मर्दन जिले से लगभग 30 किमी दूर स्थित है। इस क्षेत्र में न केवल पुरातत्व स्थल हैं, बल्कि बौद्ध और राजा अशोक के समय में तेरह से चौदह प्राचीन स्थल मौजूद हैं। बुद्ध की मूर्तियाँ और ऐतिहासिक शयन स्तूप भी यहाँ पाए जाते हैं।
1836 के आसपास ब्रिटिश शासन के दौरान खंडहर की खोज की गई थी और 1852 में खुदाई शुरू हुई थी। यूनेस्को ने 1980 में पुरातत्व स्थल को एक अंतरराष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित किया।