रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia-Ukraine War) शुरू हुए एक महीने से अधिक समय हो गया है। लाखों लोग इस युद्ध की विभीषिका से बचने के लिए अपना देश छोड़कर जा चुके हैं। युद्ध थमने के आसार भी नहीं दिख रहे हैं। दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता भी हुई, लेकिन उसका कोई पॉजिटिव असर नहीं निकला है। इस बीच सारी दुनिया की निगाहें उस वैश्विक संस्था पर टिकी हुई हैं, जिसकी स्थापना ही विश्व शांति के लिए हुई थी। हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र (United Nation) वैश्विक शांति स्थापित करने में सफल नहीं हो सका है।
संयुक्त राष्ट्र का जन्म द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के साथ हुआ। घटनाक्रम कुछ यूँ है कि 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागाशाकी पर परमाणु बम से हमला कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप लाखों लोग अकाल ही काल के ग्रास बन गए। इसी के साथ जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया। विश्व युद्ध की विभीषिका को देखते हुए एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय संगठन की जरूरत महसूस की गई, जो कि दुनिया भर में शांति की स्थापना करने का जिम्मा ले सके। इसी उद्देश्य के साथ 24 अक्टूबर 1945 को अमेरिका, रूस समेत 51 देश सेन फ्रांसिस्को में इकट्ठे हुए। इसी के बाद यूएन का गठन किया गया। इसमें ये देश अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने, राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करने और सामाजिक प्रगति, बेहतर जीवन स्तर और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध थे।
यूएन की सुरक्षा परिषद के कुल 20 सदस्य हैं। इनमें से पाँच अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन औऱ चीन परमानेंट मेंबर हैं। आइए अब ये जानते हैं कि क्या संयुक्त राष्ट्र अपनी स्थापना के उद्देश्यों को पूरा कर पाया है या नहीं। ऐसे कुछ युद्ध की बात करते हैं, जब यूएन विफल रहा।
वियतनाम-अमेरिका युद्ध (Vietnam-America War)
1954 में वियतनाम औऱ अमेरिका के बीच भीषण युद्ध शुरू हुआ, जो करीब 10 सालों तक चला। इस युद्ध में 20 लाख लोगों की मौत हो गई थी। 30 लाख से अधिक लोग बुरी तरह से घायल हुए। इस युद्ध में अमेरिका को अपने 55 हजार सैनिक खोने पड़े थे। ये युद्ध यूएन की स्थापना के 10 साल बाद ही हुआ, जिसे रोकने में वो पूरी तरह से विफल रहा।
ईराक-ईरान युद्ध में भी फेल रहा यूएन
1980 के दशक में ईराक और ईरान के बीच युद्ध शुरू हुआ, जो 8 सालों तक चलता रहा। इसमें अनुमान लगाया जाता है कि करीब 10 लाख लोगों की मौत हुई थी। इस बार भी संयुक्त राष्ट्र शांति की स्थापना कर पाने में विफल रहा।
रवांडा नरसंहार
अफ्रीकी देश रवांडा में 1994 में हुतु-तुत्सी वार हुआ। इस युद्ध में भीषण नरसंहार हुआ था। इसमें खुलकर फ्रांस ने वहाँ के बहुसंख्यक समुदाय हुतु का साथ दिया और तुत्सी लोगों का जमकर नरसंहार किया गया। 100 दिनों में ही 8 लाख लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। लोग यूएन की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे थे, लेकिन संयुक्त राष्ट्र फेल हुआ। इस मामले में पिछले साल मई 2021 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रवांडा से इस नरसंहार के लिए माफी भी माँगी थी।
इस तरह से संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से कई युद्ध हो चुके हैं, लेकिन ये संस्था अंतरराष्ट्रीय संस्था वैश्विक शांति और सामूहिक विकास के अपने उद्देश्य को पूरा करने में विफल रही है। रूस-यूक्रेन की बीच बीते एक महीने से अधिक समय से जारी युद्ध में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका केवल ‘कड़ी निंदा’ तक सीमित रह गई है। युद्ध के शुरू होने के बाद से संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, अब तक 3.7 मिलियन यूक्रेनियन लोग पलायन कर चुके हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस युद्ध को रोकने के लिए कोई भी सकारात्मक पहल नहीं कर सका है। इससे ये स्पष्ट है कि संयुक्त राष्ट्र ‘विश्व शांत और स्थायित्व’ के अपने मूल उद्देह्यों को पूरा करने में विफल रहा है।