Thursday, September 19, 2024
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पेजर ब्लास्ट से 500+ की गई आँख, फिर भी क्यों इस्तेमाल करता है हिजबुल्लाह, हमास के आतंकी ऐसे हमलों से कितने महफूज: जानिए सब कुछ

हर पेजर यूजर का अपना नम्बर होता है। कई पेजर ऐसे होते हैं जिन पर केवल संदेश प्राप्त ही किया जा सकता है। इस तरह के पेजर उस व्यक्ति की कोई लोकेशन नहीं वापस भेजते जिसे यह संदेश मिला है। संभवतः हिजबुल्लाह आतंकियों के पास यही पेजर थे, जिन पर उन्हें निर्देश मिला करते थे।

मध्य पूर्वी देश लेबनान के भीतर मंगलवार (17 सितम्बर, 2024) को एकाएक करके लगभग 3,000 धमाके हुए। यह धमाके इस्लामी आतंकी समूह हिजबुल्लाह से जुड़े लोगों के पास मौजूद पेजर में हुए। हजारों पेजर एक-एक करके फट गए और इस कारण 3000 लोग घायल हुए। 9 लोगों की मौत भी हो गई। इस हमले में ईरान के राजदूत तक घायल हो गए।

हमले की शंका की सुई इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की तरफ गई है। हिजबुल्लाह ने इस हमले का बदला लेने की बात कही है। लेकिन इस बीच सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हिजबुल्लाह स्मार्टफोन, सैटेलाईट फोन और कम्प्यूटर, AI जैसी नई तकनीक होने के बाद भी लगभग 50 साल पुरानी तकनीक का इस्तेमाल क्यों करता है।

इस बीच यह भी सवाल उठा कि इजरायल से सैकड़ों किलोमीटर दूर लेबनान में अगर मोसाद ने धमाके करवा दिए तो आखिर वह गाजा में आतंकियों को निशाना क्यों नहीं बना पा रहा। यह भी पता लगाने की कोशिश हो रही है कि आखिर यह हमला हुआ कैसे।

पेजर क्यों इस्तेमाल करता है हिजबुल्लाह?

हिजबुल्लाह से जुड़े आतंकी और बाकी लोग आपस में बातचीत करने के लिए पेजर का इस्तेमाल करते आए हैं। पेजर पर छोटे-छोटे संदेश आपस में साझा किए जाते हैं। हिजबुल्लाह के आतंकी इस पर कोडवर्ड में भी बात करते हैं। हिजबुल्लाह अपने आतंकियों के लिए खुद ही पेजर खरीदता है।

जिन पेजरों में धमाका हुआ, वह भी हाल ही में खरीदे गए थे। बताया गया कि हिजबुल्लाह ने कुल 5000 पेजर खरीदे थे और इन्हें कुछ दिनों पहले इससे जुड़े लोगों में वितरित किया गया था। पेजर का अविष्कार 1950 के आसपास हुआ था। यह 1990 और 2000 के दशक में काफी पॉपुलर थे। इनका मेडिकल क्षेत्र में अब भी उपयोग होता है।

हिजबुल्लाह द्वारा इसका इस्तेमाल किए जाने के पीछे कारण है कि इसमें भेजे जाने वाले संदेश और उसे पाने वाले को ट्रैक नहीं किया जा सकता। पेजर पर भेजे जाने वाले संदेश रेडियो फ्रीक्वेंसी के द्वारा भेजे जाते हैं। जब पेजर नम्बर पर संदेश भेजता है तो यह पहले एक ऑपरेटर दफ्तर में जाता है और फिर उस व्यक्ति को भेज दिया जाता है जिसे यह संदेश मिलना है।

हर पेजर यूजर का अपना नम्बर होता है। कई पेजर ऐसे होते हैं जिन पर केवल संदेश प्राप्त ही किया जा सकता है। इस तरह के पेजर उस व्यक्ति की कोई लोकेशन नहीं वापस भेजते जिसे यह संदेश मिला है। संभवतः हिजबुल्लाह आतंकियों के पास यही पेजर थे, जिन पर उन्हें निर्देश मिला करते थे। लोकेशन वापस ना भेजे जाने के कारण इसे ट्रैक नहीं किया जा सकता।

पेजर का इस्तेमाल इसलिए भी होता है क्योंकि इसके सिग्नल फोन की तुलना में कहीं अधिक मजबूत होते हैं। हिजबुल्लाह लम्बे समय से इजरायली सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए पेजर का इस्तेमाल करता आया है। उसने अपने आतंकियों के फोन उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।

इसके अलावा हिजबुल्लाह टेलीफोन का इस्तेमाल करता है और उन पर कोड में बात करता है। यह कोड रोज बदल दिए जाते हैं। इजरायल की फोन और कम्प्यूटर ट्रैक करने के संबंध में काफी अच्छी क्षमता है और वह साइबर युद्ध के मामले में हिजबुल्लाह से कोसों आगे है।

ऐसे में हिजबुल्लाह सबसे पुरानी तकनीक का इस्तेमाल करता है ताकि उसके लोगों की जानकारी किसी को ना हो। हालाँकि, इस बीच जहाँ हिजबुल्लाह से जुड़े 3000 लोगों पर हमला हुआ, वहीं गाजा में मौजूद हमास के आतंकी ऐसे हमलों से बचे हुए हैं। इस संबंध में भी सवाल उठे हैं।

गाजा के आतंकी कैसे बच रहे?

जहाँ एक ओर इजरायल से सैकड़ों किलोमीटर दूर हजारों हिजबुल्लाह आतंकियों को इजरायल द्वारा निशाना बनाने का दावा हुआ वहीं गाजा में आतंकियों को ढूंढ ढूंढ कर ही मारना पड़ रहा है। दरअसल, इसके पीछे हमास के आतंकियों की अपनी तकनीक है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हमास के आतंकी गाजा के भीतर अपने इन्टरनेट और अपने टेलीफोन नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। गाजा के आतंकियों को बाहरी किसी भी नेटवर्क पर निर्भर नहीं रहना पड़ता और ऐसे में उस पर हमला काफी मुश्किल है।

हिजबुल्लाह पर पेजर हमला कितना बड़ा?

पेजर के जरिए किए गए इस हमले पर पूरी दुनिया चकित है। लोगों का कहना है कि एक साथ इतनी बड़ी आबादी को निशाना बनाना अचरज में डालने वाला है। इसके अलावा इसके लिए पेजर को निशाना बनाना और आश्चर्यचकित करने वाली बात है। पेजरों के फटने के कारण ईरान के भीतर लगभग 3000 लोग घायल हैं और 9 लोगों की अब तक मौत भी हो चुकी है। घायल होने वालों में लेबनान में ईरान के राजदूत मुजतबा अमानी भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि उनकी एक आँख इस हमले में खराब हो गई है।

सिर्फ ईरानी राजदूत ही नहीं बल्कि हिजबुल्लाह से जुड़े 500 लोगों के इन हमलों में आँख गँवाने का दावा किया गया है। हिजबुल्लाह ने कह़ा है कि वह इस हमले के लिए पूरी तरह इजरायल को जिम्मेदार मान रहा है और उसने इसका बदला लेने की बात कही है। हिजबुल्लाह ने कहा कि इजरायल ने 5000 पेजर में विस्फोटक लगाए थे। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल ने यह हमला इसलिए कर दिया क्योंकि उसे डर था कहीं यह पूरी कार्रवाई लीक ना हो जाए।

कौन से पेजर थे, कम्पनी ने क्या कहा?

बताया गया है कि जिन पेजरों में धमाका हुआ है, वैसे पेजर ताइवान की एक कंपनी गोल्ड अपोलो बनाती है। हालाँकि, गोल्ड अपोलो ने हिजबुल्लाह को पेजर बेचने से इनकार किया है। गोल्ड अपोलो ने बताया है कि उनके पेजर मॉडल का लाइसेंस एक हंगरी की कंपनी के पास भी है और हिजबुल्लाह वाले पेजर वहीं बनाए गए थे। आशंका जताई गई है कि इजरायल ने यह पेजर हिजबुल्लाह के पास पहुँचने से पहले ही पा लिए और इनमें किसी तरह का विस्फोटक लगा दिया और बाद में इन्हें उड़ा दिया।

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