मलेशिया में छिपे इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के बारे में तो आपको पता है ही और साथ में उसके अजीबो-गरीब बयान भी सामने आते रहते हैं, जिन्हें जायज ठहराने के लिए वो इस्लामी किताबों का हवाला देता है। अब हम आपको उसके बेटे फरीक जाकिर नाइक के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने अब्बा के यूट्यूब पेज पर ही ज्ञान बाँचता है। कट्टरवाद के मामले में वो अपने अब्बा से भी दो कदम आगे है।
फरीक जाकिर नाइक का एक वीडियो है, जिसमें उससे पूछा जाता है कि महिलाओं को घर से बाहर निकल कर जॉब करने का अधिकार है या नहीं, जिसके जवाब में वो कहता है कि इस्लाम में पुरुष को ही घर में रोटी कमाने वाला माना गया है। उसने कहा कि निकाह के पहले पिता व भाई और निकाह के बाद शौहर व बच्चों का काम है कि महिलाओं का ध्यान रखे। उसने यहाँ तक दावा कर दिया कि महिलाओं को काम करने की जरूरत ही नहीं है।
उसने कहा कि महिलाओं को इस्लाम का कोई भी नियम तोड़े बिना ही जॉब करना चाहिए और हिजाब हमेशा पहनना चाहिए। उसने कहा कि महिलाओं की पूरी बॉडी कवर में होनी चाहिए और हाथों व आँखों के अलावा कुछ नहीं दिखना चाहिए, साथ ही टाइट कपड़े नहीं होने चाहिए और ऐसे भी नहीं होने चाहिए जिससे पुरुषों में आकर्षण की फीलिंग आए। साथ ही उसने कहा कि महिलाओं को पुरुषों के साथ काम नहीं करना चाहिए।
साथ ही उसने कहा कि महिलाओं को ‘हराम’ जॉब्स नहीं करने चाहिए, जैसे शराब सर्व करना, या फिर डांसिंग, सिंगिंग या अभिनय करना, क्योंकि इन जॉब्स में वो हिजाब नहीं पहन पाएँगी। उसने कहा कि महिलाओं का मेन फोकस ये रहना चाहिए कि एक अच्छी पत्नी के रूप में वो क्या कर सकती हैं, या बच्चों को लेकर। उसने महिलाओं के लिए शिक्षक, काउंसलिंग व इस्लामी शिक्षा देने को अच्छा जॉब बताया।
एक अन्य वीडियो में वो बताता है कि भाषा के मामले में काफिर का अर्थ होता है छिपने वाला, जबकि इस्लाम में काफिर वो है जो इस्लाम को स्वीकार नहीं करता। उसने कहा कि इस तरह से सारे गैर-इस्लामी काफिर हुए। फरीक के मुताबिक, गैर-इस्लामी को काफिर कहने की पूरी अनुमति है क्योंकि काफिर का इस्लाम के हिसाब से अँग्रेजी अनुवाद ही होगा गैर-इस्लामी। उसने कहा कि अगर किसी काफिर को गैर-इस्लामी कहा जाना पसंद नहीं है तो वो इस्लाम स्वीकार कर ले।
फरीक जाकिर नाइक एक अन्य वीडियो में जकात के बारे में भी समझाता है। एक वीडियो में उसने कहा कि गैर-इस्लामी को जकात नहीं दिया जा सकता, चाहे वो कितना भी जरूरतमंद क्यों न हो। उसने इस्लामी किताबों के हवाले से कहा कि जकात (चैरिटी) केवल इस्लाम मानने वाले को दी जा सकती है या फिर उन्हें, जिनका दिल इस्लाम की तरफ झुका हुआ हो। इसका मतलब समझाते हुए उसने कहा कि जिनसे उम्मीद है कि वो इस्लाम अपना लेंगे, उन्हें जकात दिया जा सकता है।
इसके अलावा एक अन्य वीडियो में फरीक जाकिर नाइक इस सवाल का जवाब देता है कि इस्लाम में ऑनलाइन बिजनेस करने का अधिकार है या नहीं। उसने बताया कि ये किया जा सकता है लेकिन इस्लाम और शरिया के नियमों के अंदर रह कर ही। उसने कहा कि किसी भी हराम प्रोडक्टस को नहीं बेचना चाहिए। साथ ही उसने गैम्ब्लिंग या लक से जुड़े गेम्स को भी हराम बताया। उसने एडवर्टाइजमेंट में बिना हिजाब की महिला को डालना या उसमें म्यूजिक डालना भी हराम बताया।
Why is Allah refers himself as ‘we’, in the Holy Qur’an by Fariq Naik.
— Revler (@CrescentDome) July 20, 2020
Very nice, Fariq all grown-up, is carbon prodigy of his father Zakir Naik.
Similar tone & temperament, & the same explanation style of his father. pic.twitter.com/x4GDDf2rD6
एक सवाल के जवाब में उसने कहा कि अल्लाह गैर-इस्लामी पर भी दया करते हैं क्योंकि उन्होंने उन लोगों को भोजन और घर दिया है। उसने कहा कि पानी या हवा, ये सब गैर-इस्लामी को भी दिया गया है क्योंकि इसके बिना वो मर जाएँगे – ये दिखाता है कि अल्लाह उस पर भी दया करते हैं। उसने कहा कि अल्लाह लोगों तक खुद ये संदेश पहुँचाते हैं कि हर एक बच्चा इस्लाम मानने वाला ही जन्म लेता है, उसे बाद में हिन्दू या ईसाई बना दिया जाता है।
उसने दावा किया कि अगर कोई इस्लाम अपना रहा है तो इसका मतलब ये नहीं कि वो कन्वर्ट हो रहा है बल्कि इसका अर्थ हुआ कि वो अपने मजहब में लौट रहा है क्योंकि वो जन्मा तो इस्लाम धर्म में ही था। उसने दावा किया कि अल्लाह लोगों को समझाने के लिए किसी न किसी रूप में संदेश भेजते रहते हैं कि वो इस्लाम अपना लें क्योंकि काफिर अगर इस्लाम अपना ले तो उसे अल्लाह क्षमा कर देते हैं।
किसी ने उससे पूछ दिया था कि अल्लाह बार-बार क़ुरान में खुद को ‘We’ कह कर क्यों सम्बोधित करते हैं, जिसके जवाब में उसने कहा कि Plural दो प्रकार के होते हैं। उसने समझाया कि संख्याओं का प्लुरल अलग होता है और अल्लाह वाला जो प्लुरल है, वो ‘रॉयल प्लुरल’ या ‘प्लुरल ऑफ रेस्पेक्ट’ है, जो इंग्लैंड की महारानी भी प्रयोग करती हैं। उसने कहा कि भारत के पीएम भी ‘हम’ कहते हैं, जो प्लुरल है लेकिन रेस्पेक्ट और रॉयल वाला।
इसी तरह फरीक के अब्बा जाकिर नाइक ने कहा था कि रवीश कुमार हों या ‘संप्रदाय विशेष का पक्ष लेने वाले’ अन्य गैर-इस्लामी, उन सभी के लिए समान सज़ा की ही व्यवस्था है। ज़ाकिर नाइक ने अपने अनुयायियों को समझाया था कि जन्नाह अलग-अलग तरह के होते हैं, जैसे फिरदौस और फिरदौस आला। ज़ाकिर नाइक ने स्पष्ट कहा कि गैर-इस्लामी का नरक में जाना तय है। बकौल नाइक, अगर कोई मरते समय इस्लाम धर्म में नहीं है तो उसके लिए नरक की ही व्यवस्था है।