आमतौर पर देखा गया है कि सांसदों का जीवन काफी ऐशो-आराम और शानो-शौकत से भरा होता है और उनका यह लाइफस्टाइल सांसद पद से हटने के बाद भी कायम रहता है। मगर आज हम जिस पूर्व सांसद की बात करने जा रहे हैं, उनकी छवि इससे बिल्कुल विपरीत है। दरअसल हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड के पूर्व सांसद राम सिंह अहिरवार की, जिन्हें लोग ‘साइकिल वाले नेताजी’ कहकर भी बुलाते हैं।
राम सिंह, मध्य प्रदेश के सागर शहर की पुरव्याउ टोरी मुहल्ले में संकरी गली में स्थित एक सामान्य से मकान में अपनी पत्नी राजरानी के साथ रहते हैं। उनके पास दर्शन शास्त्र में स्नातक और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक की डिग्री भी है। वह वर्ष 1967 में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार के तौर पर यहाँ से लोकसभा का चुनाव लड़े थे और उन्होंने जीत दर्ज कराई थी।
आपको जानकर हैरानी होगी कि 82 साल के पूर्व सांसद राम सिंह को अपना घर खर्च चलाने के लिए बीड़ी बनाने का काम करना पड़ता है और इस उम्र में भी वो इतने सक्रिय हैं कि साईकिल चलाकर लोगों से मिलते-जुलते रहते हैं। वो कहते हैं कि उन्हें कभी गाड़ी की जरूरत ही नहीं पड़ी।
कुछ समय पहले उन्हें लकवा मार गया था, जिससे उन्हें बोलने में थोड़ी दिक्कत है। मगर उम्र के इस पड़ाव में भी उन्होंने साइकिल चलाना नहीं छोड़ा है। राम सिंह बताते हैं पूर्व सांसद की पेंशन के लिए भी उन्हें कितने चक्कर काटने पड़े, तब जाकर साल 2005 में पेंशन शुरू हो पाई थी।
पूर्व सांसद के पड़ोसी गोविंद का कहना है कि राम सिंह दूसरे नेताओं से बिल्कुल अलग हैं। वो ऐसे नेता नहीं हैं कि एक बार सांसद बनने पर खूब सारे सुख सुविधाएँ हासिल कर लें। वो तो इतने सीधे सरल व्यवहार के हैं कि लगता ही नहीं है कि वो कभी सांसद भी रहे हैं।
सागर के मौजूदा सांसद लक्ष्मीनारायण यादव यूनिवर्सिटी में पूर्व सांसद राम सिंह के जूनियर रहे हैं। वे कहते हैं कि जब राम सिंह को जनसंघ ने उम्मीदवार बनाया था, तो सभी हैरान रह गए थे। वे चुनाव भी जीत गए, मगर उन्होंने पूरा जीवन सादगी से बिताया।