महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस की संसदीय समिति की एक बैठक ने मंगलवार (23 फरवरी, 2021) को राज्य में मुस्लिम और मराठा आरक्षण के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया है। वहीं कृषि कानून का विरोध करते हुए कॉन्ग्रेस पार्टी ने यह भी कहा कि राज्य में केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों को लागू नहीं किया जाना चाहिए।
संसदीय समिति की बैठक की अध्यक्षता महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले द्वारा पार्टी के राज्य प्रभारी एचके पाटिल की उपस्थिति में आयोजित की गई थी। बैठक में कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता बाबासाहेब थोराट, अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण और सुशीलकुमार शिंदे जैसे कई दिग्गज नेता मौजूद रहे।
प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने बैठक के दौरान कहा कि कॉन्ग्रेस राज्य में सभी समुदायों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण लागू करना महाविकास अघाड़ी सरकार के प्रोग्राम का हिस्सा है, ताकि सभी समुदायों के कल्याण हो सके।
कॉन्ग्रेस ने मुस्लिम आरक्षण के अलावा, केंद्र द्वारा पारित कृषि कानूनों को रद्द करने, राज्य में अलग-अलग कृषि कानूनों के निर्माण, राज्य में वैधानिक बोर्ड्स के लिए धन के संवितरण और धन के आवंटन के लिए वीजेएनटी और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रस्तावों की माँग को भी पारित किया। इसके अलावा पार्टी ने संगठन को मजबूत करने के लिए कई अन्य कार्यक्रमों की भी चर्चा की। पार्टी ने संकल्प अभियान शुरू करने का फैसला किया, जिसके तहत राज्य के नेता अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाने के लिए प्रयास करेंगे।
बता दें कि संसदीय समिति की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पार्टी महागठबंधन (MVA) के सहयोगियों – शिवसेना और NCP के साथ स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी की स्थानीय इकाइयों के साथ परामर्श करेगी।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में जब से महाविकास अघाड़ी ने गठबंधन से सरकार बनाई है, तब से गठबंधन से जुड़ी दूसरी पार्टियाँ राज्य में मुस्लिमों के लिए आरक्षण लाने का दबाव बना रही हैं। उद्धव ठाकरे के जनवरी 2020 में मुख्यमंत्री बनने के एक महीने बाद, मीडिया में ऐसी कई रिपोर्ट्स सामने आईं, जिसमें कहा गया था कि महाविकास अघाड़ी सरकार राज्य में मुस्लिमों के लिए आरक्षण लागू करने की तैयारी कर रही है।
वहीं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने फरवरी 2020 में कहा था कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली MVA सरकार जल्द ही अध्यादेश लाएगी ताकि राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिमों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण का विस्तार किया जा सके। इसके अलावा उन्होंने राज्य विधान परिषद को आगामी शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत और प्रवेश प्रक्रिया से पहले इस संबंध में ‘उचित कार्रवाई’ करने का आश्वासन भी दिया था।