मणिपुर हिंसा से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई अब गुवाहाटी हाई कोर्ट में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (25 अगस्त, 2023) को मणिपुर में अलग-अलग जगह हुई हिंसा को लेकर सर्वोच्च अदालत में दाखिल सभी याचिकाओं के निवारण को लेकर कई अहम निर्देश दिए हैं। मणिपुर हिंसा से जुड़े सीबीआई जाँच वाले केस के ट्रायल की सुनवाई गुवाहाटी हाईकोर्ट में होगी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वह सीबीआई को जाँच के लिए सौंपे गए 27 मामलों के लिए एक या उससे अधिक स्पेशल जजों की नियुक्ति करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश उन न्यायाधीशों को नामित करेंगे जो मणिपुर में बोली जाने वाली एक या अधिक भाषाओं से परिचित हों। यह निर्देश मणिपुर की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जेबी पादरीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने जारी किया।
दरअसल, मणिपुर के कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी कि असम या मिजोरम जैसे राज्यों में इन मामलों की सुनवाई ना की जाए क्योंकि इससे कई दिक्कतें पैदा होंगी। इसी को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सुरक्षा को देखते हुए अब आरोपितों, गवाहों की पेशी या रिमांड से जुड़ी गतिविधियाँ ऑनलाइन की जा सकेगी, ताकि इनपर कोई खतरा पैदा ना हो।
Supreme Court says that Solicitor General Tushar Mehta has ensured that proper internet facilities shall be provided from Manipur for video conferencing etc. Supreme Court says its directions shall not preclude those who wish to appear physically in Guwahati. https://t.co/QSJf001bW7
— ANI (@ANI) August 25, 2023
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनिश्चित किया है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आदि के लिए मणिपुर में उचित इंटरनेट सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उसके निर्देश उन लोगों को नहीं रोकेंगे जो गुवाहाटी में शारीरिक रूप से उपस्थित होना चाहते हैं।
मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि घाटियों और पहाड़ियों में पीड़ित हुए हैं। जो लोग घाटियों में पीड़ित थे, उनके लिए पहाड़ियों की यात्रा करना और दूसरी तरफ जाना मुश्किल होगा। हम इसमें नहीं जा सकते कि किसे अधिक नुकसान हुआ, दोनों समुदायों में पीड़ित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही कहा है कि कोई भी न्यायिक हिरासत मणिपुर में ही दी जानी चाहिए। साथ ही CRPC 164 के तहत कोई भी बयान लोकल मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराना होगा। मणिपुर के मौजूदा हालात को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग मामलों में ऑनलाइन प्रक्रिया को आगे बढ़ने को कहा है।
गौरतलब है कि मणिपुर में 3 मई के बाद से ही हिंसा भड़क गई थी, जिसमें अभी तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं राज्य में हिंसा की वजह से हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है और अलग-अलग हिस्सों में अभी भी हिंसा की चिंगारी भड़की है। बता दें कि मणिपुर में यह विवाद मैतइ और कुकी समुदाय के बीच आरक्षण के मसले को लेकर हुआ था, राज्य की हाईकोर्ट ने मैतइ समुदाय के लिए आरक्षण देने पर विचार करने को कहा था जिसके बाद माहौल बिगड़ गया था।