अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शुरू हो गया है। इसके साथ ही वामपंथियों का गिरोह भी सक्रिय हो गया है। तमाम तरह के दुष्प्रचार फैलाए जा रहे हैं। वामपंथी नेता सुभाषिनी अली ने एक पुरानी ख़बर शेयर कर के बौद्धों को राम मंदिर को लेकर भड़काया। इसके बाद उसी ख़बर को आधार बनाते हुए मृणाल पांडेय ने प्रपंच फैलाया। मृणाल पाण्डे ने शेयर किया कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में बौद्धों का दावा स्वीकार कर लिया है।
दरअसल, ये एक पुरानी खबर है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के ही विनीत कुमार मौर्य की याचिका स्वीकार की थी, जिसमें उन्होंने राम मंदिर की जगह बौद्ध विहार होने की बात कही थी। इस याचिका में दावा किया गया था कि पुरातात्विक अवशेष भी इस ओर इशारा करते हैं कि वहाँ बौद्ध सम्बन्धी स्ट्रक्चर था। हालाँकि, कोर्ट में ये दावा ठीक उसी तरह ख़ारिज हो गया था, जिस तरह बाबरी मस्जिद वालों का हुआ।
बावजूद इसके दशकों तक लेखन और पत्रकारिता में सक्रिय रहीं मृणाल पाण्डे द्वारा इस तरह से लोगों को बरगलाना वामपंथी प्रपंच के सिवा कुछ भी नहीं है। इन दोनों के अलावा कई अन्य लोगों ने भी इस पुरानी खबर को जम कर शेयर किया। राम मंदिर मामले में फैसला आ चुका है, सैकड़ों साल पुराने विवाद का निपटारा हो चुका है- तो सोचने वाली बात है कि अब इस पर कोई याचिका यूँ ही कैसे स्वीकार कर ली जाएगी।
सोशल मीडिया में कई लोगों ने इस तरफ ध्यान भी दिलाया कि ये पुरानी खबर है। दिलीप मंडल ने भी 21 मई को एक खबर शेयर की थी, जिसमें अयोध्या में बौद्ध विहार होने के दावों के साथ सुप्रीम कोर्ट में गए व्यक्ति के बारे में जानकारी दी गई थी। मौर्य राम मंदिर विवाद में सुप्रीम कोर्ट में 14वें याचिकाकर्ता थे। इस याचिका में इलाहबाद हाईकोर्ट को चुनौती देते हुए एएसआई की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया गया था कि उक्त स्थल पर बौद्ध स्तूप होने के प्रमाण मिले हैं।
फ़िलहाल वहाँ राम मंदिर का निर्माण चालू है और नींव की पहली ईंट रखने के साथ ही लोगों ने कारसेवकों और मंदिर के लिए संघर्षशील रहे हस्तियों को याद किया। सोशल मीडिया पर कई लोग शिवलिंग और चक्र जैसी चीजों को नकारते हुए उनके बौद्ध धर्म से जुड़े होने की बात करते रहे, जो वहाँ समतलीकरण के दौरान मिला था। उदित राज जैसे दलितों के ठेकेदारों ने भी इस दावे पर अपनी मुहर लगाई और लोगों को बरगलाया।
सुभाषिनी अली तो ख़ुद को नास्तिक बताती हैं और कहती हैं कि किसी भी धर्म में उनका कोई इंटरेस्ट नहीं है क्योंकि उन्हें लगता है कि कुछ धर्मों में काफी कड़े नियम बना दिए गए हैं। अगर उनकी किसी भी धर्म में रूचि नहीं है तो फिर अचानक से बौद्ध धर्म से उनका प्रेम कैसे सामने आ गया? असल में यहाँ जितने भी नास्तिक वामपंथी हैं, ऐसा नहीं है कि वो सभी धर्मों में विश्वास नहीं रखते, बल्कि वो हिंदुत्व से घृणा करते हैं और इसे नीचा दिखाना चाहते हैं।