11 अगस्त को जहाँ एक तरफ देश में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ संप्रदाय विशेष के कुछ लोग फेसबुक पर एक पोस्ट से आहत हो गए। इस हद तक आहत हुए कि पूरे बेंगलुरु को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। संप्रदाय विशेष की उग्र भीड़ द्वारा किए गए दंगों में 3 लोगों ने अपनी जान गॅंवाई और 60 लोग घायल हुए। कट्टरपंथी भीड़ ने केजे हल्ली और डीजे हल्ली नामक पुलिस स्टेशन पर जम कर तोड़फोड़ की और गाड़ियाँ तक फूँक दी। इसकी वजह सिर्फ इतनी थी कि कॉन्ग्रेस नेता के रिश्तेदार ने पैगंबर मोहम्मद पर एक फेसबुक पोस्ट में टिप्पणी कर दी थी।
इस घटना पर विकिपीडिया में जानकारी साझा कर दी गई है। इन दंगों पर दी गई जानकारी के शुरुआती हिस्से में “clash” शब्द का इस्तेमाल किया गया है। यानी विकिपीडिया के अनुसार यह बेलगाम दंगा टकराव था। उनके मुताबिक़ यह घटना एक सांप्रदायिक टकराव का नतीजा थी। जबकि टकराव के असल मायने यह होते हैं, जब दो अलग धर्म या समुदाय के लोगों के बीच किसी विवाद को लेकर टकराव की स्थिति बनती है। उन दंगों के वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि दंगों के दौरान अल्लाह-हु-अकबर के नारे लग रहे थे। लेकिन विकिपीडिया पर लिखने वाला व्यक्ति दंगों की इस घटना में संप्रदाय विशेष द्वारा फैलाई गई हिंसा को छिपाना चाहता है।
अभी तक सामने आई ख़बरों में यह बात कहीं नहीं मौजूद है कि हिंदू समुदाय के लोगों का इन दंगों से कोई लेना-देना है। हिंसा भड़काने में सिर्फ संप्रदाय विशेष की उग्र भीड़ का हाथ था जो मोहम्मद पर की गई पोस्ट से आहत हुए थे। वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि भीड़ ने इस्लामी नारे लगाते हुए कॉन्ग्रेस विधायक के घर पर पत्थर चलाए। इसके बाद पुलिस स्टेशन में तोड़फोड़ करती है और गाड़ियाँ जलाती है।
इस मामले में कलीम पाशा की गिरफ्तारी हो चुकी है और पुलिस ने अपनी प्राथमिकी में उसका नाम भी दर्ज किया है। फिर भी विकिपीडिया में कलीम पाशा के नाम का कोई ज़िक्र ही नहीं है। कलीम पाशा, बेंगलुरु नगरपालिका से कॉन्ग्रेस पार्षद इरशाद बेगम का पति है। इसके अलावा पूर्व कॉन्ग्रेस मंत्री केजे जॉर्ज का सहयोगी और करीबी भी रह चुका है। पुलिस ने इस मामले में कलीम पाशा समेत लगभग 206 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस ने दंगों के मामले में कलीम पाशा को 7वॉं आरोपित बनाया है। उसे दंगों का षड्यंत्र रचने वाला मुख्य आरोपित भी बताया जा रहा है। इसके पहले वह खुद नगवाड़ा वार्ड से पार्षद रह चुका है और उसके कॉन्ग्रेस में अच्छे संबंध हैं। कलीम पाशा के अलावा SDPI के नेता मुज़ाम्मिल पाशा को भी बेंगलुरु दंगों के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है। इन बातों के अलावा विकिपीडिया ने इस मुद्दे पर अपने “Talk” पेज पर कई हैरान कर देने वाली बातों का ज़िक्र किया है।
विकिपीडिया के इस पेज पर दिल्ली में दंगों (2020) के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। साथ ही यह भी बताया गया है कि कैसे हिंदुओं ने उपद्रव किया। लेकिन बेंगलुरु में हुई घटना पर जानकारी देते समय संप्रदाय विशेष के बारे में सीधे तौर पर एक शब्द भी नहीं लिखा गया है। उन्होंने दिल्ली दंगों की घटना में हिंदुओं को आरोपित घोषित कर दिया, लेकिन बेंगलुरु की घटना में संप्रदाय विशेष को आरोपित नहीं कहा।
इस मामले में एक और उल्लेखनीय बात यह है कि 2020 के दिल्ली दंगों में विकिपीडिया ने ताहिर हुसैन का ज़िक्र बस एक बार किया है। जबकि उस पर अंकित शर्मा की हत्या का आरोप भी लग चुका है। लेकिन विकिपीडिया ने अपने पेज में इस तरह का कोई खुलासा नहीं किया है। न ही पुलिस द्वारा दी गई किसी तरह की जानकारी उस पेज पर जोड़ी गई है। जब बेंगलुरु दंगों से जुड़ी जानकारी के मामले में विकीपीडिया से शिकायत की गई (ऑपइंडिया द्वारा), तब विकिपीडिया ने दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगा दिया।
मंगलवार (11 अगस्त 2020) को कर्नाटक के कॉन्ग्रेस विधायक के भतीजे नवीन द्वारा सोशल मीडिया पर पैगम्बर मोहम्मद के कथित अपमानजनक पोस्ट को लेकर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हुए दंगों में उग्र भीड़ द्वारा ‘पुलिसकर्मियों को मार डालो, उन्हें मत छोड़ो, उन्हें खत्म करो’ के नारे भी लगाए गए। नवीन को भी फिलहाल गिरफ्तार कर लिया गया है। विधायक के आवास और डीजे हाली के एक थाने में संप्रदाय विशेष के उपद्रवियों ने उत्पात मचाया, जिन्होंने कई पुलिस और निजी वाहनों को भी आग लगा दी और लूटपाट भी मचाई।
मंगलवार (अगस्त 11, 2020) की शाम कॉन्ग्रेस विधायक अखंडा श्रीनिवास मूर्ति के आवास पर संप्रदाय विशेष के हज़ारों की भीड़ इकट्ठा हुई। कुछ ही देर में भीड़ ने पूरे घर को तबाह कर दिया। इसके बाद डीजे हल्ली और केजी हल्ली पुलिस थाने पर भी जम कर तोड़फोड़ की। पुलिस द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में कुल 3 लोगों की जान गई थी और 6 लोग घायल हुए थे। दंगे की घटनाओं में 60 पुलिसकर्मी घायल हुए थे, जिसमें से 15 नज़दीकी अस्पतालों में भर्ती हैं।
यह पहला मौक़ा नहीं था जब वामपंथी मानसिकता के प्रति विकिपीडिया का झुकाव सामने आया हो। इसके पहले 25 फरवरी को दिल्ली में हुए दंगों के मामले में विकिपीडिया पर एक लेख प्रकाशित हुआ था। जिसके शुरूआती हिस्से में दंगों की तस्वीर नहीं बल्कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा की तस्वीर लगी हुई थी। लेख का शीर्षक है North East Delhi riots और इसके एडिटर का नाम है DBigXray। इस लेख का एक अलग हिस्सा है जिसमें कपिल मिश्रा को दिल्ली दंगों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
वहीं आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान ने भी उस दौरान कई भड़काऊ भाषण दिए थे। लेकिन उन बातों को भी विकिपीडिया से हटा दिया गया है। दिल्ली दंगों के मामले में अमानतुल्लाह खान पर मामला भी दर्ज किया गया है। लेकिन विकिपीडिया ने ऐसा कहा है कि वह मामले दूसरी घटनाओं की वजह से दर्ज किए गए हैं। सीएए और एनआरसी के विरोध में जारी प्रदर्शन के दौरान मोहम्मद शाहरुख नाम के व्यक्ति ने पिस्टल से गोलियाँ चलाई थीं। लेकिन विकिपीडिया ने इस व्यक्ति का कोई ज़िक्र ही नहीं किया है।
बहुत से लोग तो उसे हिंदू बताने लग गए थे और उन्होंने कहा कि वह सीएए एनआरसी का समर्थन कर रहा था। जबकि एक पत्रकार ने वीडियो भी साझा किया था जिसमें वह साफ़ तौर पर विरोध करने वाले भीड़ के साथ नज़र आ रहा था। इसके अलावा लेख में अशोक नगर में मौजूद मस्जिद पर हमले की बात लिखी गई है। उसमें ऐसा कहा गया है कि मस्जिद पर हमले के दौरान जय श्री राम और और हिंदुओं का हिंदुस्तान जैसे नारे लग रहे थे।
जबकि संप्रदाय विशेष द्वारा किए गए हमलों की घटना का कहीं कोई उल्लेख ही नहीं मिलता है। ऐसे तमाम वीडियो हैं जिसमें अल्लाह-हु-अकबर और नारा-ए-तकबीर जैसे नारे लग रहे हैं। लेकिन उन वीडियो के बारे में कहीं कोई चर्चा ही नहीं की गई है। आम तौर पर विकिपीडिया के लेख कोई भी एडिट कर सकता है, उनमें बदलाव कर सकता है। लेकिन दिल्ली में हुए दंगों के मामले में ऐसा कुछ नहीं है, उन लेखों को सुरक्षित रखा गया है। इन लेखों में सिर्फ कुछ ही लोग बदलाव कर सकते हैं।
इस संबंध में ऑपइंडिया की विस्तृत रिपोर्ट यहाँ और यहाँ पढ़ी जा सकती है।
इसके अलावा ऐसी तमाम घटनाएँ हैं जिसमें विकिपीडिया का ऐसा चेहरा सामने आता है। कुछ समय पहले एक इस्लामी यूज़र ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पेज से छेड़छाड़ करते हुए संगठन को आतंकवादी समूह बताया था। जिस यूज़र ने ऐसा किया वह पहले भी इस तरह के हिंदू विरोधी बदलाव कर चुका है। इसके अलावा विकिपीडिया ने तबलीगी जमात पर लिखे गए लेख को भी हटा दिया था। जिसमें यह बताया गया था कि कैसे जमात के लोगों ने देश भर में कोरोना वायरस फैलाया। इसके अलावा नौखली दंगों के मामले में भी हिंदू शब्द को संप्रदाय विशेष से बदल दिया था।