भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने बुधवार (नवंबर 04, 2020) को मुंबई पुलिस द्वारा रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी के विरोध में दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन के बाहर ’आपातकाल 2.0’ के पोस्टर चिपकाए। इन पोस्टर्स में लिखा है- “आपातकाल 2.0 में आपका हार्दिक स्वागत है।”
एक पुराने बंद मामले की फ़ाइल अदालत की सहमति के बिना खोलकर अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी के बाद, महाराष्ट्र की उद्धव सरकार और महाराष्ट्र पुलिस को लगातार आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। सोशल मीडिया से लेकर देशभर में इस अलोकतांत्रिक कार्रवाई का विरोध स्पष्ट रूप से नज़र आ रहा है। इसी कड़ी में देश की राजधानी दिल्ली में ‘आपातकाल 2.0’ के पोस्टर्स लगाए गए हैं।
इन पोस्टर्स में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि उद्धार ठाकरे की तुलना इंदिरा गाँधी से की जा रही है। पोस्टर में एक तरफ उद्धव ठाकरे की तस्वीर लगी है और दूसरी तरफ इंदिरा गाँधी की और नीचे लिखा हुआ है – ‘आपातकाल 2.0।’ यानी, महाराष्ट्र की उद्धव सरकार द्वारा अर्णब गोस्वामी पर की गई कार्रवाई इंदिरा गाँधी के आपातकाल के दौर की याद दिलाती है।
जिस तरह कॉन्ग्रेस के शासन वाली इंदिरा सरकार में पत्रकारों को अत्याचार और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। ठीक वैसा ही शिवसेना – कॉन्ग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार में भी हो रहा है।
आपातकाल 2.0 pic.twitter.com/dkh1Ye0ubM
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) November 5, 2020
यह पोस्टर कॉन्ग्रेस मुख्यालय समेत राजधानी दिल्ली के तमाम क्षेत्रों में लगाया जा चुका है। दिल्ली की सड़कों पर चस्पा किए गए इन पोस्टर्स में लिखा है, ‘आपातकाल 2.0 में आपका हार्दिक स्वागत है।’
इन पोस्टर्स का उद्देश्य यह दिखाना है कि महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार की यह अलोकतांत्रिक कार्रवाई आपातकाल के भयावह दौर की यादें ताज़ा करती है। इस घटनाक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना है, “महाराष्ट्र में सत्ता और शक्ति का दुरुपयोग किया जा रहा है। राज्यपाल को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए।”
गौरतलब है कि मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को 14 दिन की पुलिस हिरासत में रखने के लिए मुंबई की अदालत में याचिका दायर की थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा कि हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है। साथ ही, अर्णब को जल्द ही जमानत मिलने की भी सम्भावना है, जिसका आशय है कि शायद उन्हें न्यायिक हिरासत में भी न रहना पड़े।
मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी को बीते दिन (4 नवंबर 2020) एक पुराने ‘बंद मामले’ में गिरफ्तार किया था। आधी रात में चली सुनवाई के बाद अलीबाग न्यायालय ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसका मतलब यह है कि इस दौरान मुंबई पुलिस उनसे पूछताछ नहीं कर पाएगी। अदालत में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दायर की गई माँग याचिका खारिज किए जाने के बाद अर्नब ने अदालत से निकलते हुए कहा था, “मुंबई पुलिस हार चुकी है।”