TRP स्कैम मामले में समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ ने पिछले दिनों यह खुलासा किया था कि पूरे केस में दर्ज हुई एफआईआर में उनका नहीं बल्कि समाचार चैनल ‘इंडिया टुडे’ का नाम है और वो भी 6 बार। इसके बाद ऑपइंडिया ने आपको बताया कि कैसे टीआरपी में गड़बड़ी करने के कारण टीवी टुडे पर BARC ने पहले से पाँच लाख रुपए का जुर्माना लगाया हुआ है। मगर फिर भी टीवी टुडे के पत्रकार रिपब्लिक टीवी पर निशाना साधने के लिए आतुर हैं।
अब इसी मामले में ताजा अपडेट यह है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘टीवी टुडे’ को निर्देश दिए हैं कि वह किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए BARC द्वारा लगाए जुर्माने को भर दें। ‘टीवी टुडे’ नेटवर्क ‘लिविंग मीडिया इंडिया लिमिटेड’ की सहायक कंपनी है, जिसे ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप के नाम से भी जाना जाता है।
‘बार और बेंच’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘टीवी टुडे’ ने व्यूअरशिप गड़बड़ी मामले में BARC द्वारा लगाए गए जुर्माने को निरस्त करवाने के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस याचिका पर न्यायाधीश नितिन जामदार और मिलिंद जाधव की बेंच ने सुनवाई की।
इस सुनवाई में ही कोर्ट ने ‘टीवी टुडे’ को न्यायालय की रजिस्ट्री में जुर्माने की राशि जमा करने का निर्देश दिया। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि जुर्माने की राशि का भुगतान कर दिया जाता है तो कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा।
इस याचिका में टीवी टुडे ने इस आधार पर मामले को निरस्त करने की माँग की थी कि BARC ने जो उन पर व्यूअरशिप में गड़बड़ी (Viewership malpractice) के आरोप लगाए, उसको सबूतों के साथ साबित करने में वह विफल हो गए।
याचिका में यह भी कहा गया था कि BARC ने इंडिपेंडेंट ऑडिट प्रक्रिया की कोई भी रिपोर्ट अपलोड नहीं की है जिसमें सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दिशानिर्देशों के तहत गड़बड़ी का पता चलता हो। बता दें कि कोर्ट ने इस मामले को 5 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है।
क्या है BARC और इंडिया टुडे का मामला
गौरतलब है कि व्यूअरशिप में गड़बड़ी (malpractice) नजर आने के संबंध में टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड को 27 अप्रैल 2020 को कारण बताओ नोटिस भेजा गया था। इसके बाद टीवी टुडे द्वारा दिया गया जवाब BARC डिसिप्लिनरी काउंसिल को संतोषजनक नहीं लगा। बीडीसी ने इंडिया टुडे की प्रतिक्रिया पर कहा, “चुनिंदा भौगोलिक क्षेत्रों (मुंबई और बेंगलुरु) में इंडिया टुडे चैनल की व्यूअरशिप में इतने उछाल के संबंध में दिया गया जवाब संतोषजनक नहीं है।”
इसके अलावा, BARC डिसिप्लिनरी काउंसिल ने कहा था, “BARC Measurement Science Team द्वारा उपलब्ध कराए गए स्टैस्टिकल डेटा (statistical data) से पता चलता है कि व्यूअरशिप में असामान्य और सोच से परे वृद्धि हुई है।”
अपने आदेश में बीडीसी ने कहा था कि, “सब्सक्राइबर के जवाब ने असामान्य वृद्धि के ऊपर संतोषजनक जवाब नहीं दिया।” बता दें कि यहाँ सब्सक्राइबर का अर्थ इंडिया टुडे से है, जिन्हें BARC Disciplinary Council ने कारण बताओ नोटिस भेजा था।
आगे आदेश में जो कहा गया वह भी बेहद चौंकाने वाला है। उसमें लिखा था:
“उपरोक्त के मद्देनजर, काउंसिल को लगता है कि सब्सक्राइबर ने EULA की धारा 7 में निहित प्रावधनाओं का उल्लंघन किया और व्यूअरशिप में गड़बड़ी की, जिसका जिक्र कारण बताओ नोटिस में है। साथ ही BARC Vigilance team टीम द्वारा जमा की गई रिपोर्ट में भी है। CCRVM की धारा 14 (ए) के तहत, यह सब्सक्राइबर का पहला अपराध है। इसलिए काउंसिल इस बात पर सहमति दे रही है कि वर्तमान मामले में सिर्फ़ सब्सक्राइबर को चेतावनी जारी की जाएगी और उसे 5,00,000 रुपए की पेनाल्टी BARC को भरनी होगी।”