मुंबई पुलिस ने शुक्रवार (9 अक्टूबर 2020) को रिपब्लिक टीवी के CFO (चीफ़ फाइनेंसियल ऑफिसर) शिवा सुब्रमण्यम सुंदरम को ‘फ़ेक टीआरपी स्कैम’ मामले में समन भेजा। जबकि इस मामले में दर्ज एफ़आईआर में इंडिया टुडे का नाम शामिल है, न कि रिपब्लिक टीवी का। शनिवार सुबह उन्हें पुलिस के सामने पेश होना है।
असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ़ पुलिस शशांक संदभोर द्वारा भेजे नोटिस में लिखा है, “इस बात पर भरोसा करने के लिए पर्याप्त वजहें उपलब्ध हैं कि आप इस मामले से जुड़े तथ्यों से पूरी तरह परिचित होंगे। इस मामले से सम्बंधित जानकारियों की पुष्टि भी आपके द्वारा ही होगी, इसलिए घटनाक्रम पर आपका बयान आवश्यक हैं।” इसके अलावा समन में यह बात दोहराई गई है कि रिपब्लिक टीवी के सीएफ़ओ 10 अक्टूबर सुबह 11 बजे असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ़ पुलिस के सामने पेश होना है।
इस सम्बंध में भारतीय दंड संहिता की धारा 34 (सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य), 120 B (आपराधिक षड्यंत्र), 409 (लोक सेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन), 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। सुंदरम के अतिरिक्त मुंबई पुलिस ने दो अन्य समाचार चैनल्स के अकाउंटेंट को समन भेजा है। इनमें बॉक्स सिनेमा और फ़क्त मराठी शामिल हैं। इसके अलावा पुलिस हंसा रिसर्च के दो कर्मचारियों विशाल भंडारी, बोम्पल्ली राव (संजू राव) और बॉक्स सिनेमा तथा फ़क्त मराठी के मालिकों को गिरफ्तार कर चुकी है।
असल में एफ़आईआर में रिपब्लिक टीवी का नाम कहीं नहीं मौजूद है, बल्कि इंडिया टुडे का नाम स्पष्ट तौर पर लिखा है। फिर भी मुंबई पुलिस ने इंडिया टुडे के किसी कर्मचारी को अभी तक समन नहीं भेजा गया है, जिससे मामले की जाँच आगे बढ़ सके।
रिपब्लिक टीवी को मंशा पूर्वक बदनाम करने के प्रयास में मुंबई पुलिस ने शुक्रवार को इसके कंसल्टिंग एडिटर और पत्रकार प्रदीप भंडारी को समन भेजा था। प्रदीप भंडारी के विरुद्ध मुंबई स्थित खार पुलिस थाने में धारा 188, 353 और बॉम्बे पुलिस एक्ट की धारा 37 (1) और 135 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके बाद पत्रकार प्रदीप भंडारी ने ट्विटर पर लिखा था कि रिपब्लिक टीवी की लड़ाई जारी रहेगी, भले पुलिस बदला लेने की कितनी भी कोशिश क्यों न कर ले।
गौरतलब है कि मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने रिपब्लिक टीवी पर टीआरपी से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी पर हमला बोलते हुए परमबीर सिंह ने दावा किया था कि ये चैनल आम लोगों को चैनल देखने के लिए पैसे देता है ताकि उनकी टीआरपी बढ़े।
हालाँकि कुछ घंटों बाद ही ये पता चल गया कि मूल एफ़आईआर में रिपब्लिक टीवी का नाम कहीं नहीं लिखा था। इसके विपरीत उस एफ़आईआर में इंडिया टुडे का नाम शामिल था। बाद में खुद परमबीर सिंह ने यह बात स्वीकार की थी।
इस पूरे मामले में 6 अक्टूबर को एफ़आईआर दर्ज की गई थी, जिसमें इंडिया टुडे का नाम शामिल था। फिर भी 7 अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने BARC को आदेश दिया कि वह रिपब्लिक टीवी से टीआरपी सम्बंधी जानकारी इकट्ठा करे, न कि इंडिया टुडे से। इसके बाद 8 अक्टूबर को परमबीर सिंह जिनका इतिहास खुद विवादों से घिरा रहा है, उन्होंने प्रेस वार्ता करते हुए रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी पर इल्जाम लगाया। इस दौरान उन्होंने इंडिया टुडे का ज़िक्र भी नहीं किया। यहाँ याद रखने लायक बात है कि जिस वक्त परमबीर सिंह ने प्रेस वार्ता आयोजित की उस वक्त तक एफ़आईआर में रिपब्लिक टीवी का नाम कहीं शामिल नहीं था।
बाद में रिपब्लिक टीवी के पत्रकार से बात करते हुए एक चश्मदीद ने हैरान करने वाला खुलासा किया था। उसने बयान दिया था कि इंडिया टुडे वालों ने उसके बेटे को उनका चैनल देखने के लिए रुपए दिए थे, जिससे उनकी टीआरपी में इज़ाफा हो। इतने के बावजूद मुंबई पुलिस ने इंडिया टुडे पर कोई कार्रवाई नहीं की।
इसके बाद ऑपइंडिया के खुलासे में यह बात सामने आई थी कि 31 जुलाई को इंडिया टुडे को व्यूअरशिप प्रक्रिया से छेड़छाड़ करने का दोषी पाया गया था। जिसके बाद BARC और BARC विजिलेंस काउंसिल ने इंडिया टुडे को 5 लाख रुपए का जुर्माना भरने का आदेश दिया था। इस ख़बर के सामने आने के घंटों बाद इंडिया टुडे ने व्यूअरशिप में गड़बड़ी करने पर जुर्माने की बात स्वीकार की थी। हालाँकि इंडिया टुडे ने यह भी कहा था कि कार्रवाई गोपनीय रखी जानी चाहिए थी। इसके लिए इंडिया टुडे BARC पर क़ानूनी कार्रवाई करेगा।