पैसे देकर फर्जी तरीके से टीआरपी हासिल करने के मामले की जाँच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा का दावा है कि उसे रिपब्लिक और हंसा रिसर्च कंपनी के कर्मचारियों के बीच 32 लाख रुपए के लेन देन के सबूत मिले हैं। द इकॉनॉमिक्स टाइम्स में पुलिस के हवाले से यह दावा किया गया, जिसका हंसा रिसर्च ने स्पष्ट रूप से खंडन किया है। इकॉनॉमिक्स टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि हंसा रिसर्च द्वारा रिपब्लिक टीवी को 32 लाख रुपए दिए गए थे।
कथित टीआरपी घोटाले की जाँच करने वाले एक पुलिस अधिकारी ने ईटी को बताया, “हंसा ने रिपब्लिक टीवी को 32 लाख का भुगतान किया है। जब कंपनी (हंसा) के निदेशक से पूछताछ की गई, तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की। हालाँकि, जब रिपब्लिक टीवी के सीएफओ एस सुंदरम से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने स्वीकार किया कि कंपनी को हंसा से 32 लाख का भुगतान मिला था। लेकिन उन्हें विवरण के बारे में कुछ याद नहीं है।”
एक प्रेस रिलीज में हंसा रिसर्च ने ऐसे सभी आरोपों से इनकार किया है। इस प्रेस रिलीज में कहा गया है, “हंसा रिसर्च में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि रिपब्लिक टीवी के साथ इसका कोई व्यापारिक लेन-देन नहीं हुआ है और न ही चैनल को कोई भुगतान किया गया है और न ही इसे चैनल से प्राप्त किया गया है। मीडिया में दर्ज एक बयान में, TRP घोटाले की जाँच कर रहे क्राइम ब्रांच के प्रवक्ता ने आरोप लगाया है कि हंसा रिसर्च ने रिपब्लिक टीवी को 32 लाख रुपए का भुगतान किया है जो गलत है।”
हंसा के ग्रुप सीईओ शेखर स्वामी ने कहा, “हमारी ग्रुप कंपनी हंसा विजन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड विज्ञापन व्यवसाय में है। यह अपने ग्राहकों के लिए विभिन्न टीवी चैनलों, समाचार पत्रों, रेडियो, डिजिटल प्लेटफार्मों और अन्य मीडिया में विज्ञापन समय और स्थान खरीदता है। यह सामान्य, नियमित व्यवसाय है। पिछली बार हंसा विजन ने रिपब्लिक टीवी में विज्ञापन का समय दो साल पहले 108 लाख रुपए के लिए सितंबर 2017 से अक्टूबर 2018 की अवधि के लिए खरीदा था। मुंबई पुलिस शायद इसे गलत तरीके से मौजूदा टीआरपी से जुड़ी जाँच से जोड़ रही है।”
तब से, फर्म ने अपने ग्राहकों के लिए 13.42 करोड़ रुपए में 55 टीवी चैनलों से विज्ञापन समय खरीदा है। प्रेस रिलीज में कहा गया है कि 2019 और 2020 में फर्म ने रिपब्लिक टीवी से कोई विज्ञापन समय नहीं खरीदा है।
शेखर स्वामी ने आगे कहा, “हंसा रिसर्च के सीईओ और टीम को बार-बार क्राइम ब्रांच के एपीआई श्री सचिन वज़े द्वारा बुलाया जाता है, और देर तक रुकने के लिए कहा जाता है। वे जाँच में सहयोग कर रहे हैं और उनके द्वारा माँगे गए विभिन्न दस्तावेज जमा किए हैं। हंसा रिसर्च और इस कंपनी के लिए काम करने वाले लोगों का ग्रुप कंपनी हंसा विजन की विज्ञापन गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है।”
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि लेनदेन “संदिग्ध” था और जाँच की जा रही है। यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि घटनाओं की शृंखला मुंबई के पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह के साथ शुरू हुई थी, जिन्होंने टीआरपी घोटाले में रिपब्लिक टीवी पर आरोप लगाया, जबकि हंसा रिसर्च रिपोर्ट और एफआईआर में इंडिया टुडे का नाम था।
गौरतलब है कि रिपब्लिक टीवी ने मिड-डे और इकॉनॉमिक टाइम्स और बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड को 24 घंटे का नोटिस जारी किया था, जिसमें रिपोर्ट पर माफी माँगने और शुद्धि-पत्र (प्रिंट, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर और अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर) जारी करने के लिए कहा गया था। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड (‘हंसा रिसर्च’) ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क को पैसा दिया था।
#BREAKING | Republic gives Economic Times 24 hour notice on fake story, gives Mumbai Police 9pm deadline to clarify fake news pic.twitter.com/p8bzOpjRcW
— Republic (@republic) October 27, 2020
यह आरोप लगाते हुए कि इन ‘प्रकाशनों में प्रकाशित फर्जी खबरें प्रथम दृष्टया मुंबई पुलिस द्वारा फैलाए गए’ प्रतीत होते हैं, रिपब्लिक टीवी ने कहा कि उन्होंने मुंबई पुलिस को भी 9 बजे तक का समय दिया है ताकि या तो इनकार कर सकें या रिपोर्ट की पुष्टि कर सकें।