Monday, December 23, 2024
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हिन्दूफोबिक ट्वीट करते पकड़ा गया IFCN-सर्टिफाइड इंडिया टुडे

यह उसी वैचारिक गिरोह के लोग हैं जिन्हें भारत का हिन्दू उद्गम मानने में साँस लेने में समस्या होने लगती है, पर विशेष समुदाय के नकारात्मक पहलू को छुपाने के लिए हिन्दू प्रतीकों को जेनेरलाआइज़ कर 'भारतीय' बना देने में कोई दिक्कत नहीं है।

डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार कहा था, “तथ्य सही हैं, लेकिन खबर फ़र्ज़ी है”। मशहूर सांख्यिकीविद नासिम निकोलस तालेब ने अपनी किताब ‘स्किन इन द गेम’ में इसको समझाते हुए एक पूरा अध्याय भी लिखा है। और, आज महान फैक्ट चेकर इंडिया टुडे ने इसकी ताज़ा नज़ीर हमारे सामने प्रस्तुत की।

केरल सरकार के आर्थिक व सांख्यिकीय विभाग द्वारा प्रकाशित 2017 के मातृत्व आँकड़ों के अनुसार वहाँ आज भी बाल-विवाह अति-प्रचलित है। 15-19 आयु-वर्ग में माँ बनने वाली किशोरियों में तीन-चौथाई से ज़्यादा विशेष सम्प्रदाय से हैं। पर भला मजहब विशेष को असहज कर देने वाली बात कैसे कही जा सकती है? ‘ऊपर’ जवाब भी तो देना होता है!

फिर राज्य भी तो केरल है- वामपंथियों का आखिरी किला, जिसकी शत-प्रतिशत साक्षरता दर के पीछे कन्नूर में पनप रहे इस्लामिक कट्टरपंथ और जिहाद, कम्युनिस्टों द्वारा किलो के भाव संघ के स्वयंसेवकों के कत्ले-आम, सबरीमाला और पद्मनाभस्वामी आदि मंदिरों की संपत्तियों और परम्पराओं पर हमले जैसे सौ ऐब छुपाए जाते हैं।

पत्रकारिता के स्पिन गेंदबाज़ों ने यह ट्वीट किया:

ध्यान से देखिए इस ट्वीट और इस लेख की फीचर्ड इमेज को। तीन-चौथाई से ज़्यादा बाल-विवाह हो रहे हैं मजहब विशेष में, और चित्र लगा है हिन्दू बच्ची का। पता है कि 90 प्रतिशत जनता पढ़ने-लिखने की आदत खो चुकी है, और सोशल मीडिया जनित पूरी खबर न पढ़ने के दौर में ‘सही’ हेडलाइन लगा कर मनमुताबिक हवा बनाई जा सकती है।

यह उसी वैचारिक गिरोह के लोग हैं जिन्हें भारत का हिन्दू उद्गम मानने में साँस लेने में समस्या होने लगती है, जिन्हें केन्द्रीय विद्यालय में ‘असतो मा सद्गमय’ सिखाना ‘हिंदुत्व थोपना’ बनकर माइग्रेन का अटैक देने लगता है, पर विशेष समुदाय के नकारात्मक पहलू को छुपाने के लिए हिन्दू प्रतीकों को जेनेरलाइज़ कर ‘भारतीय’ बना देने में कोई दिक्कत नहीं है।

स्वराज्य ने दी सही तस्वीर (pun certainly intended)

इसके उलट ‘मोदी का मुखपत्र’ कहला कर छद्म-उदारवादी साम्यवादी गैंग से दिन-रात गाली खाने वाली स्वराज्य मैगज़ीन ने न इसे बेबात का सनसनीखेज़ बनाने की कोशिश की और न ही असली ‘तस्वीर’ पेश करने से संकोच।

पत्रकार शेफ़ाली वैद्य ने पकड़ा  

लेखिका व स्तंभकार शेफ़ाली वैद्य ने दोनों के स्क्रीनशॉट्स डालते हुए दिखाया कि कैसे तथ्य को तथ्य की तरह बयान करने की जगह इंडिया टुडे ने स्टोरी को विपरीत दिशा में घुमाने की कोशिश की।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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