न्यूज़लॉन्ड्री और टीमवर्क आर्ट्स द्वारा हर वर्ष ‘मीडिया रंबल’ का आयोजन किया जाता है। इस कान्क्लेव में ख़बरों और मीडिया इंडस्ट्री से सम्बंधित बातें की जाती हैं। 2-3 अगस्त को दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित इस सम्मलेन में ‘टीवी 9 भारतवर्ष’ के पूर्व संपादक विनोद कापड़ी ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान कापड़ी ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक रिपोर्टर को इसीलिए जॉब छोड़नी पड़ी थी क्योंकि मोदी-विरोधी स्टोरीज करने के लिए उसपर दबाव बनाए जा रहे थे।
कापड़ी से पूछा गया था कि क्या आज की मीडिया अपनी कवरेज से लोकतंत्र को नुकसान पहुँचा रही है? इसका जवाब देते हुए कापड़ी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा मीडिया पर दबाव बनाकर अपना नैरेटिव चलाने की बातें कही जाती हैं लेकिन ये दबाव प्रत्येक सरकारों के दौरान रहा है। कापड़ी ने दावा किया कि आजकल सरकार के कुछ कहे बिना ही न्यूज़रूम में बैठे पत्रकार दबाव में रहते हैं और आजकल पत्रकार सरकार के नहीं बल्कि ख़ुद के ही दबाव में हैं।
कापड़ी द्वारा यह बताना कि उनकी टीम के एक पत्रकार को इसीलिए अपनी जॉब छोड़ने को मजबूर होना पड़ा क्योंकि उस पर मोदी विरोधी कवरेज करने के लिए दबाव बनाया गया था, मीडिया के गिरोह विशेष की सच्चाई को उजागर करता है। विनोद कापड़ी ने इस घटना का जिक्र करते हुए कहा:
“2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे पर थे। उस समय ‘टीवी 9 भारतवर्ष’ के पत्रकारों की एक बैठक हुई जिसमें संस्थान की एडिटोरियल पॉलिसी के बारे में चर्चा हुई। मैंने अपने रिपोर्टर्स से कहा कि हमें सिर्फ़ ये चीजें दिखानी हैं कि किस तरह से गंगा अभी भी गन्दी है और सड़कों की हालत जर्जर है। मैंने रिपोर्टर्स से कहा कि प्रधानमंत्री के मंदिर दौरों को हमलोग कवर नहीं करेंगे।”
कापड़ी द्वारा ऐसी एडिटोरियल पॉलिसी थोपे जाने पर एक रिपोर्टर ने आपत्ति जताई। उसका कहना था कि कापड़ी मोदी विरोध के तहत एजेंडा चला रहे हैं। कापड़ी के अनुसार, उन्होंने उस रिपोर्टर को बताया कि वह एजेंडा नहीं चला रहे बल्कि सच्चाई दिखा रहे हैं। इस बैठक के अगले दिन उक्त रिपोर्टर ने जॉब छोड़ने का निर्णय लिया क्योंकि वह प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ एकतरफा कवरेज का हिस्सा नहीं बनना चाहता था।
कापड़ी ने यह भी दावा किया कि इस दौर में मीडिया इंडस्ट्री में ख़ुद ही अंदर से एक बड़ा दबाव है, बिना सरकार के कुछ कहे। ‘टीवी 9 भारतवर्ष’ अपने लॉन्च के समय से ही मोदी विरोध का एजेंडा चलाता रहा है। चुनाव के दौरान चैनल ने प्रधानमंत्री और भाजपा के ख़िलाफ़ एक तरह से प्रचार अभियान ही चला रखा था।