Monday, November 18, 2024
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‘कश्मीर टाइम्स’ अख़बार का श्रीनगर ऑफिस सील, सरकारी सम्पत्तियों पर कर रखा था कब्ज़ा

'कश्मीर टाइम्स' प्रदेश के सबसे पुराने अख़बारों में से एक है। इसकी एडिटर अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा वापस पाने के लिए याचिका भी दायर कर रखी है।

जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में ‘कश्मीर टाइम्स’ (Kashmir Times) के 2 दफ्तरों को सील कर दिया गया है। करीब 2 महीने पहले इसकी एग्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन को भी उनका आधिकारिक निवास खाली करने को कहा गया था। ‘कश्मीर टाइम्स’ प्रदेश के सबसे पुराने अख़बारों में से एक है। अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्जा वापस पाने के लिए याचिका भी दायर कर रखी है।

अपनी याचिका में भसीन ने जम्मू कश्मीर में ‘कम्युनिकेशन ब्लैकआउट’ का आरोप लगाते हुए माँग की थी कि संचार व्यवस्था को पूरी तरह बहाल किया जाए। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर भी शेयर की, जिसमें जिसमें एस्टेट के अधिकारी मुस्ताक मेमोरियल प्रेस एंक्लेव में स्थित अखबार के दफ्तर में ताला जड़ रहे हैं, उसे सील कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना किसी प्रक्रिया के तहत उनके दफ्तर को सील कर दिया गया है।

उन्होंने इसे बदले कि भावना से की गई कार्रवाई करार दिया। वहीं प्रशासन ने बताया है कि ‘कश्मीर टाइम्स’ के संस्थापक वेद भसीन को ये प्लॉट दिया गया था, जिसका अधिकार अब वापस ले लिया गया है। एस्टेट विभाग के डिप्टी डायरेक्टर मोहम्मद असलम ने ‘द इंडियन एक्स्प्रेस’ को बताया कि इन्हें दो संपत्तियाँ दी गई थीं – एक दफ्तर के लिए और एक दिवंगत वेद भसीन के निवास के लिए। इन्हें खाली करने के लिए पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका था।

प्रशासन का कहना है कि ‘कश्मीर टाइम्स’ वालों ने खुद से ही इन संपत्तियों को उनके हवाले कर दिया और वो लोग औपचारिकताएँ पूरी करने के लिए वहाँ जा रहे हैं। वहीं अनुराधा भसीन का कहना है कि उन्हें कोई नोटिस या आदेश मिला ही नहीं। उनका कहना है कि कुछ ‘निचले स्तर’ के अधिकारी आते थे और सूचना देते थे कि अलॉटमेंट कैंसल कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि दफ्तर जाने पर भी कोई नोटिस नहीं दिया गया, इसीलिए वो कोर्ट गए थे।

उन्होंने दावा किया कि जिस दफ्तर को सील किया गया है, वहाँ कंप्यूटर से लेकर सारी तकनीकी चीजें वहीं पर रखी हुई हैं। 90 के दशक में ही इस बिल्डिंग को ‘कश्मीर टाइम्स’ को दिया गया था। वहीं जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती भी अब इसके समर्थन में उतर आई हैं। उन्होंने कहा कि ये भाजपा कि साजिश है, जिसके तहत वो उनसे असहमत होने वालों के साथ ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के ‘अवैध और हानिकारक’ कार्रवाइयों के खिलाफ बोलने पर ऐसा किया जा रहा है।

इससे पहले भसीन ने आरोप लगाया था कि ‘कुछ गुंडे’ उनके फ्लैट में घुस गए थे और वो गहनों सहित सभी महँगे समान चुरा कर ले गए। उन्होंने इसके लिए पूर्व विधान पार्षद शहनाज़ गनाई के भाई इमरान गनाई को जिम्मेदार ठहराया। वो वज़ारत रोड स्थित उस सरकारी फ्लैट में 2000 से ही रह रही थीं। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन चोरों के साथ कुछ पुलिसवाले भी थे। साथ ही कहा कि तस्वीरें क्लिक करने पर वो अपने चेहरे छिपा रहे थे

वहीं पूर्व-मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने भी प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया है। उन्होंने दावा किया कि इस कार्रवाई से पता चलता है कि क्यों हमारे कुछ ‘प्रतिष्ठित’ मीडिया संस्थानों ने सरकार का प्रवक्ता बनना स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि ये मीडिया संस्थान सिर्फ सरकारी प्रेस रिलीज ही छापते हैं। उन्होंने कहा, “स्वतंत्र रेपोर्टिंग की कीमत ये है कि आपको बिना प्रक्रिया संपत्ति खाली करनी पड़ेगी।

हाल ही में हिरासत से रिहा होने के बाद महबूबा मुफ़्ती ने कहा था कि जम्मू कश्मीर का कोई भी शख्स उस दिन की ‘डाकाजनी और बेइज्जती’ को कतई नहीं भूल सकता। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने लोगों को ये याद करने के लिए कहा था कि ‘दिल्ली दरबार’ ने अगस्त 5, 2019 को ‘असंवैधानिक, गैर-जम्हूरी और गैर-क़ानूनी’ तरीके से जो उनसे छीन लिया है, अब उसे वापस लेना होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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