मारक मजा देने के चक्कर में इन्सान कब खुद अपना ही मजा ले लेता है, उसका उदाहरण है लल्लनटॉप जो कि हिटलर के लिंग नापने से लेकर मानवीय विष्ठा, नाक के अवशिष्ट और मलद्वार में अपनी पत्रकारिता घुसाए रहता है। जब विचित्र और विसंगत होना ही आपकी एकमात्र पहचान बन जाए तो आपके लिए आम खबर को विचित्र बना सकने वाली बातें हर दिन तो होंगी नहीं, इसलिए वो होता है जो लल्लनटॉप की पत्रकारिता को परिभाषित करता है।
कल एक खबर आई कि गुजरात के किसी कॉलेज में चार लड़के BCA की परीक्षा में चोरी करते पकड़े गए। खबर यहाँ तक ठीक है। लेकिन इसमें ‘विचित्र’ वाला कम्पोनेंट नहीं मिला। जैसे कि ‘लिंग में बाँधकर ले गए थे पुर्ज़े’ या ‘मलद्वार में रखा था कागज को’। फिर खबर बनेगी कैसे जो लल्लनटॉप पत्रकार को मारक मजा दे दे!
एक एंगल निकला, जो कि अपनी जगह सही है। इन चार लड़कों में एक लड़का लल्लनटॉप के काम का निकला। वो लड़का है मीत वाघानी जो कि गुजरात भाजपा अध्यक्ष जीतू वाघानी का बेटा है। नेता का बेटा चोरी करता पकड़ाए, वो भी 27 पर्चियों के साथ, तो खबर बननी भी चाहिए। लेकिन सामान्य खबर से मजा तो मिलेगा नहीं, इसलिए विचित्र वाला एंगल लाया जाए।
पहले तो वाक्यांशों को वाक्य बताते हुए टुकड़ों में खबर लिखी गई, फिर बताया गया कि लल्लनटॉप ऐसी क्रांतिकारी खबर क्यों कवर कर रहा है, फिर बताया
गया कि ये खबर उनके काम की खबर कैसे है। इससे पत्रकारिता के छात्र बहुत कुछ सीख सकते हैं, जैसे कि पत्रकारिता कैसे नहीं की जाए।
शुरु में इस खोजी पत्रकार ने बताया कि ये जो खबर आ रही है वो मोटा भाई (नरेन्द्र मोदी) और छोटा भाई (अमित शाह) को परेशान कर सकती है। अपने विवेक का इस्तेमाल कीजिए और सोचिए कि जिस दो आदमी को नोटबंदी और जीएसटी पर विपक्ष की ग़लतबयानी और फ़रेब से फर्क न पड़ा हो, उसे गुजरात के किसी कॉलेज में एक क्षेत्रीय नेता के बेटे के चीटिंग करते हुए पकड़ लिए जाने पर फर्क पड़ जाएगा?
आगे पत्रकार क्रिएटिव हो गया और उसने लिखा, “ऐसे वक्त में जब चुनाव आने ही वाले हैं, मोदी अपना चुनावी अभियान शुरू कर चुके हैं तो एक छोटा-सा मुद्दा, एक छोटी-सी चिंगारी भी आग बन सकती है। और यहाँ पर तो हम उस राज्य के बीजेपी हेड के सुपुत्र की बात कर रहे हैं जिस राज्य का उदाहरण देकर भाजपा 2014 में देश की सत्ता पर काबिज़ हुई थी। साथ ही विपक्ष इस घटना को मोदी की पंच लाइन ‘मैं भी चौकीदार’ के साथ जोड़कर भी देख सकता है।”
जब पत्रकारिता, कॉलेज में चार लड़कों की चीटिंग से (मास चीटिंग नहीं) लोकसभा चुनाव पर प्रभाव छोड़ने की बात को साबित करने में समय लगाने लगे, तो ऐसे पत्रकारों को इंची टेप लेकर हिटलर का लिंग ही नापने पर लगा रहना चाहिए क्योंकि इनसे पत्रकारिता तो हो नहीं पाएगी, लिंग ज़रूर नाप लेंगे जिससे मारक मजा मिल जाए। जब लिंग नापना हो जाए तो चुड़ैलों को भी खिलाया जा सकता है जिसकी चर्चा लल्लनटॉप ने अपनी खोजी पत्रकारिता के ज़रिए की है।
जब पत्रकार पर प्रेशर हो कि ‘कुछ नया एंगल ढूँढो’ तो बेचारा यही करता है। ‘सकता है’ पर अपना पूरा ध्यान लगाने को पत्रकारिता नहीं, नकली ज्योतिष कहते हैं। देश में मुद्दों की कमी नहीं है, भले ही विपक्ष को मिल न रहा हो। लल्लनटॉप की बात सही हो जाती अगर इसमें भाजपा अध्यक्ष द्वारा कॉलेज प्रशासन को धमका कर अपने बेटे को चीटिंग कराने की बात निकल आती। तब ये एक मुद्दा हो सकता था। हालाँकि, वो मुद्दा भी राष्ट्रीय राजनीति पर कोई छाप छोड़ पाता, ऐसा मानना मूर्खता है। बिहार में ‘टॉपर कांड’ हुआ था तो नितिश की थू-थू हुई थी, क्योंकि वो एक बड़ा मुद्दा था।
यहाँ तो टॉप करना छोड़िए, परीक्षा में चीटिंग करते हुए ही पकड़ लिए गए लड़के। प्रिंसिपल ने कहा कि चार लड़के पकड़े गए हैं, लेकिन उनमें से कोई भाजपा अध्यक्ष का लड़का है, उन्हें नहीं पता। जिस बात को लल्लनटॉप लोकसभा चुनाव और गुजरात के विकास के समकक्ष खड़ा करके रख रहा है, उस बात का सही आकलन तो यह होना चाहिए कि राज्य में कॉलेज प्रशासन सख़्त हैं और उसके लिए चोरी करने वाले का बाप कौन है, इससे फर्क नहीं पड़ता। चोरी करने वाले पकड़ लिए गए। चौकीदारी यही तो है कि कोई भी चोरी न करे!
ऐसी पत्रकारिता फ़ालतू बातों को इंटरनेट पर रखने की कोशिश भर है, और आप ऐसा इसलिए कर सकते हैं क्योंकि आपके पास समय है, और इंटरनेट पर जगह है।
बाहरहाल, लल्लनटॉप को हिटलर के अलावा किसी और मृत व्यक्ति का लिंग नापने पर फ़ोकस करना चाहिए। जैसे कि माइकलएंजेलो की प्रसिद्ध मूर्ति ‘डेविड’ का लिंग छोटा क्यों है। इसके पीछे एक जानकारियों से परिपूर्ण कारण है। लल्लनटॉप के खोजी पत्रकार इंटरनेट से वो जानकारी तुरंत निकाल सकते हैं और मारक मजा ले सकते हैं।