Sunday, November 17, 2024
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मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के 4 पत्रकारों पर FIR: बोले CM बीरेन सिंह- राज्य में हिंसा को दे रहे थे बढ़ावा, रिपोर्ट को बताया मनगढंत

एफआईआर इंफाल के सामाजिक कार्यकर्ता एन शरत सिंह की शिकायत पर दर्ज हुई है। FIR में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की अध्यक्ष सीमा मुस्तफ़ा के अलावा सीमा गुहा, संजय कपूर और भारत भूषण को आरोपित बनाया गया है।

मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से जुड़े 4 पत्रकारों पर FIR दर्ज हुई है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि एडिटर्स गिल्ड के सदस्य राज्य में हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे थे। साथ ही मणिपुर हिंसा पर एडिटर्स गिल्ड की रिपोर्ट को ‘झूठी और मनगढ़ंत’ भी करार दिया है।

मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा, “मैं एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों को चेतावनी देता हूँ कि अगर वह कुछ करना चाहते हैं, तो घटनास्थल का दौरा करें। जमीनी हकीकत देखें। सभी समुदायों के प्रतिनिधियों से मिलें और फिर जो कुछ सामने आया उसे प्रकाशित करें। केवल कुछ वर्गों से मिलना और किसी निष्कर्ष पर पहुँचना अत्यंत निंदनीय है। राज्य सरकार ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ FIR दर्ज की है। ये लोग मणिपुर में और अधिक हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे थे।”

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर इंफाल के सामाजिक कार्यकर्ता एन शरत सिंह की शिकायत पर दर्ज हुई है। FIR में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की सदस्य सीमा गुहा, संजय कपूर और भारत भूषण को आरोपित बनाया गया है। इन्होंने 7-10 अगस्त तक मणिपुर का दौरा कर वहाँ हुई हिंसा पर रिपोर्ट तैयार की थी। इनके अलावा FIR में एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफ़ा का भी नाम है।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में चुराचाँदपुर जिले के एक जलते हुए घर की तस्वीर प्रकाशित की थी। इसे एक कुकी समुदाय के व्यक्ति का घर बताया था। लेकिन यह वन अधिकारी का कार्यालय था। भीड़ ने 3 मई 2023 को इसमें आग लगा दी थी। शिकायत में कहा गया है कि यह रिपोर्ट कुकी उग्रवादियों के एजेंडे को बढ़ाने के मकसद से जारी की गई थी।

गौरतलब है कि इस तस्वीर को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने 3 सितंबर को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी गलती स्वीकार की थी। खेद जताते हुए इसमें सुधार कर जल्द ही लिंक अपलोड करने की बात कही थी।

बता दें कि 2 सितंबर 2023 को पब्लिश की गई रिपोर्ट में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा था कि इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि जातीय संघर्ष के दौरान राज्य सरकार का व्यवहार पक्षपातपूर्ण था। रिपोर्ट के सारांश में मणिपुर सरकार पर की गई टिप्पणी में कहा गया है कि सरकार को जातीय संघर्ष में किसी का भी पक्ष लेने से बचना चाहिए था। लेकिन राज्य सरकार अपना कर्तव्य निभाने में विफल रही।

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि म्यांमार में तख्तापलट होने के बाद वहाँ से भागकर 4000 लोग मणिपुर आए थे। इनको लेकर सरकार ने सभी कुकी जनजातियों को अवैध अप्रवासी बता दिया था। सरकार की नीतियों के चलते कुकी समुदाय में असंतुष्टि का माहौल था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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