रायगढ़ पुलिस ने रविवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को न्यायिक रिमांड जारी रखने के लिए तलोजा जेल शिफ्ट कर दिया गया। अर्णब की शिफ्टिंग का कारण देते हुए पुलिस ने दावा किया कि अर्णब गोस्वामी अलीबाग के क्वारंटाइन सेंटर के अंदर मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहे थे। नियमों के अनुसार, वह अनुमति के बिना न्यायिक हिरासत में रहते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकते है।
क्राइम ब्रांच के इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर जमील शेख ने कहा कि अर्णब किसी का मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहे थे और सोशल मीडिया पर एक्टिव थे। उन्होंने कहा, “शुक्रवार देर शाम को हमें पता चला कि गोस्वामी किसी के मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए सोशल मीडिया पर सक्रिय थे।”
बता दें पुलिस ने गोस्वामी के फोन को उनके वर्ली निवास से गिरफ्तार करने के बाद जब्त कर लिया था, इसलिए उनके पास अपना फोन नहीं था। पुलिस अधिकारी ने आगे कहा, “मामले के जाँच अधिकारी के रूप में, मैंने अलीबाग जेल अधीक्षक को लिखा था कि एक जाँच रिपोर्ट माँगी जाए कि गोस्वामी को मोबाइल कैसे मिला और किसने उन्हें क्वॉरन्टीन सेंटर में मोबाइल मुहैया कराया था। इसके बाद, हमने उन्हें तलोजा जेल में शिफ्ट कर दिया।”
गौरतलब है कि अर्नब गोस्वामी किसी भी सोशल मीडिया पर मौजूद नहीं हैं। किसी भी बड़े सोशल प्लेटफॉर्म पर उनका कोई सोशल मीडिया अकाउंट नहीं है। इसलिए यह पक्का नहीं है फिर पुलिस को कैसे पता चला कि गोस्वामी सोशल मीडिया पर सक्रिय थे।” जब अर्णब का सोशल मीडिया पर कोई आधिकारिक एकाउंट है ही नहीं तो सवाल उठता है कि पुलिस के दावे के अनुसार वे कहाँ सक्रिय थे। अगर वास्तव में उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया था, फिर वो तो अबतक वायरल हो जाना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। इसका अभी तक कोई सबूत नहीं है कि पिछले 4 दिनों में अर्णब गोस्वामी सोशल मीडिया पर ‘सक्रिय’ थे।
इसके अलावा जब गोस्वामी के पास अपना फोन नहीं था और जेल में फोन रखने की अनुमति नहीं है तो एक और सवाल उठता है कि कैसे अर्णब गोस्वामी जेल में एक्टिव डेटा कनेक्शन के साथ एक फोन ढूँढने में कामयाब रहे? पुलिस अधिकारी ने अभी तक उस शख्स पर कोई कार्रवाई या उसका खुलासा नहीं किया है जिनसे अर्णब ने कथित तौर पर फोन लिया था और कथित फोन आखिर जेल में कैसे पहुँचा।
इस मामले में ऐसा लगता है कि अर्णब गोस्वामी पर झूठे मामले की तरह, यह भी पुलिस द्वारा गोस्वामी को तलोजा जेल में स्थानांतरित करने के लिए बनाया गया एक बहाना है। जानकारी के लिए बता दें तलोजा जेल में कई कुख्यात अपराधी और अंडरवर्ल्ड डॉन को रखा है।
अर्णब ने बताया अपनी जान को खतरा
गौरतलब है कि रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ के संस्थापक और मुख्य संपादक अर्णब गोस्वमी ने अपनी जान को खतरा बताया है। पुलिस वैन के भीतर से ही मीडिया से बात करते हुए बताया कि उन्हें उनके वकीलों से भी बात नहीं करने दी जा रही है। उन्होंने बताया कि उन्हें सुबह के 6 बजे जगा दिया गया और रविवार की सुबह उन्हें धक्का भी दिया गया, उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ। उन्होंने कहा, “मेरी ज़िंदगी खतरे में है। मैं भारत की जनता को, पूरे देश की जनता को बताना चाहता हूँ कि मेरी जान खतरे में है।”
अर्णब की गिरफ्तारी
अर्णब को मुंबई के इंटीरियर डिजाइनर अन्वय और उनकी माँ को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 4 नवंबर बुधवार को गिरफ्तार किया गया था। मुंबई पुलिस ने उन्हें न्यायिक सहमति के बिना हिरासत में लिया था। वे 18 नवंबर तक ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं। कथिततौर पर गिरफ्तारी के समय मुंबई पुलिस ने अर्णब के नाबालिग बेटे से मारपीट और उनके परिजनों से बत्तमीजी भी की थी।