कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के मद्देनजर वेदांता की स्टरलाइट कॉपर (Vedanta Sterlite Copper) ने तमिलनाडु के तूतुकुड़ी (Thoothukudi) में बंद पड़े अपने दो प्लांट को ऑक्सीजन उत्पादन के लिए फिर से शुरू करने की पेशकश हाल ही में की है। वेदांता ने कहा है कि उसके प्लांट में प्रतिदिन 1,050 टन ऑक्सीजन की संयुक्त उत्पादन क्षमता वाले दो संयंत्र हैं।
भारत में ऑक्सीजन की जरूरत 7 गुना अधिक बढ़ गई है। देश को 700 की जगह 5000 टन प्रतिदिन ऑक्सीजन की आवश्यकता है। बावजूद इसके तमिलनाडु सरकार ने वेदांता के इस ऑफर को नकार दिया है। कथति तौर पर वेदांता के इस ऑफर को केंद्र सरकार ने अपना समर्थन दिया है।
वेदांता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पेशकश रखते हुए कहा कि यदि सर्वोच्च न्यायालय वेदांता को उसके प्लांट खोलने की अनुमति देती है, तो वह देश में ऑक्सीजन प्रोड्यूस करने में मदद कर सकती है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि देश को इस समय ऑक्सीजन की आवश्यकता है और वेदांता को प्लांट चालू करने की अनमुति दी जानी चाहिए।
लेकिन, राज्य सरकार ने इस दौरान वेदांता की याचिका का यह कहकर विरोध किया कि उनके प्लांट को पर्यावरण संबंधी चिंता के कारण बंद किया गया था। कंपनी और स्थानीय लोगों के बीच विश्वास की कमी थी। रोचक बात यह है कि इस समय जब देश को सबसे ज्यादा आवश्यकता ऑक्सीजन की है, तब तमिलनाडु सरकार ऐसे तर्क दे रही है।
राज्य सरकार अकेली नहीं है जो वेदांता के इस ऑफर का विरोध कर रही है। एनडीटीवी पत्रकार गार्गी रावत अंसारी के एक ट्वीट को भी देखकर ऐसे ही लग रहा है कि उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं कि राज्य में 1000 टन ऑक्सीजन का उत्पादन मानव जीवन को बचाने में किस तरह मदद करेगा।
How nice of Harish Salve to slip in an appeal to open Vedanta unit in Tuticorin that was closed due to environment concerns and violations.
— Gargi Rawat (@GargiRawat) April 22, 2021
Very smooth. Don’t let a crisis go to waste 👏🏾👏🏾👏🏾 #COVID19 #OxygenCrisis https://t.co/jBp8cHhhDV
कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मुख्तार अहमद अंसारी के पोते युसूफ अहमद अंसारी की पत्नी गार्गी रावत अंसारी ने तंज भरे अंदाज में ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, “कितना बढ़िया है कि हरीश साल्वे ने अपनी अपील में वेदांता की ईकाई को खोलने की अपील की जिसे पर्यावरणीय कारणों से बंद किया गया था। बहुत सही। इस महामारी को व्यर्थ मत जाने दो।”
कुल मिलाकर गार्गी शायद हरीश साल्वे पर टिप्पणी करते हुए ये कह रही थीं कि पर्यावरण को होने वाला नुकसान उनके लिए स्वीकार्य नहीं है, चाहे ऑक्सीजन की कमी के कारण जितनी मौते हों।
मालूम हो कि जो गार्गी रावत तमिलनाडु में वेदांता के प्लांट खोले जाने का विरोध कर रही है, वहीं गार्गी ऑक्सीजन की कमी के चलते दूसरे राज्यों को कोस भी रही हैं।
#oxygen #crisis
— Gargi Rawat (@GargiRawat) April 20, 2021
Talk of 110% oxygen production meaningless if your national capital is running out of oxygen.
People trying to explain minister’s statement of 110%, err.. not the point. The situation on the ground speaks for itself #COVIDSecondWave https://t.co/Q6qVLLJjnN
20 अप्रैल को उन्होंने दिल्ली और देश के अन्य भागों में ऑक्सीजन की कमी की आलोचना की थी। 16 अप्रैल को वह ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी के लिए आवाज उठा रही थीं।
India reports a record 2,17,353 daily coronavirus cases as many states grappled with shortages of hospital beds, oxygen, medicines and vaccine doses. The fresh cases in the deadly second wave took the total caseload to over 1.42 crore #CovidSecondWave https://t.co/5aqIgTD16R
— Gargi Rawat (@GargiRawat) April 16, 2021
लेकिन, बात जैसे ही वेदांता के प्लांट को खोलने की आई, वह तुरंत उसका विरोध करने सामने आ गईं जबकि इस प्लांट के खुलने से 1000 टन अतिरिक्त ऑक्सीजन का उत्पादन हो सकेगा।
हैरानी की बात ये है कि गार्गी अंसारी के विचारों में अस्थिरता इतनी ज्यादा है कि वो एक तरफ प्लांट खुलने का विरोध कर रही थीं और थोड़ी देर में दोबारा कोरोना के कारण हो रही मौतों पर स्थिति बताने पर आ गईं। उन्होंने एक ट्वीट शेयर किया जिसमें दर्शाया जा रहा था श्मशान घाट के पास एंबुलेंस लाइन लगा कर खड़ी है। उन्होंने इसे भयावह भी बताया।
मालूम हो कि वेदांता का यह प्लांट 2018 में कई स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद बंद हुआ था। सबका कहना था कि इस प्लांट से कई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। हालाँकि प्लांट को बाद में नेशनल ग्रीम ट्रिब्यूनल से क्लीयरेंस मिला, मगर राज्य फिर सुप्रीम कोर्ट के पास पहुँच गया ऑर्डर पर स्टे लगवाने के लिए।
यहाँ शीर्ष अदालत ने एनजीटी के आदेश पर रोक लगा दी और स्टरलाइट कॉपर को मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी, जिसने सरकारी आदेश को बरकरार रखा। मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली स्टरलाइट कॉपर के साथ मामला अब उच्चतम न्यायालय में है। प्लांट को सिर्फ रख-रखाव के लिए इस्तेमाल करने की कंपनी की दलील भी अब तक अदालत ने नहीं मानी है।
बता दें कि तमिलनाडु में इस स्टरलाइट कॉपर प्लांट के बंद होने के बाद कुछ व्यापक फर्क देखने को मिले। जैसे- एक समय में जहाँ देश कॉपर कैथोड के टॉप 5 निर्यातकों में से एक था वो अब कॉपर कैथोड का आयातक बन गया है।
वहीं, वामपंथियों को देखकर लगता है कि उनके लिए प्रोपेगेंडा फैलाना मानव जीवन से ज्यादा ऊपर है, तभी NGT की क्लीयरेंस पाने वाले प्लांट के खुलने का विरोध कर रहे हैं। देश में हकीकत में ऑक्सीजन की कमी है। ऐसे में अगर प्लांट्स और ऑक्सीजन का उत्पादन करें तो समस्या से लड़ा जा सकता है, लेकिन तब शायद ये धड़ा अपना प्रोपेगेंडा न चला पाए। शायद इसीलिए गार्गी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि महामारी को व्यर्थ न जानें दें।