बीते दो सप्ताह से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कई तरह के व्यवधान उत्पन्न हो गए हैं। सभी देश मौजूदा घटनाक्रम से निपटने के लिए अपने-अपने हितों को देखते हुए अपने स्टैंड तय कर रहे हैं।
एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में भारत ने अपने सामरिक हितों को ध्यान में रखते हुए यूक्रेन और रूस के विवाद पर अपना निष्पक्ष रवैया कायम रखा है। रूस के यूक्रेन पर हमले की निंदा करने वाली संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रस्तावों को लेकर हुई वोटिंग में भारत अनुपस्थित रहा। भारत का रूख स्पष्ट है कि संवाद ही मतभेदों और विवादों को खत्म करने का एक मात्र तरीका है।
भारत ने दोनों पक्षों को राज्यों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करने की अपील की है। सात दशकों के बाद अंतरराष्ट्रीय घटना से जुड़े किसी गंभीर विषय पर भारत ने स्पष्ट और संतुलित रूख अपनाया है। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि पश्चिमी देश उन्हें कोई भी ऐसा निर्णय लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं जो भारत के लिए कल्याणकारी ना हो। भारत के इस रूख को कुछ समूह रूस के समर्थन के तौर पर देखते हैं।
हालाँकि, भारत का रूख बेहद स्पष्ट और निष्पक्ष है, यह किसी एक के पक्ष या विरोध में नहीं है। भारत इस विवाद को बातचीत के माध्यम से हल होते हुए देखने का पक्षधर है। भारत के लिए इस वक्त यूक्रेन में फँसे अपने नागरिकों की सुरक्षित वतन वापसी पहली प्राथमिकता है।
भारत के इस निष्पक्ष रूख के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए भारत ‘ऑपरेशन गंगा’ चला रहा है और इसके लिए दोनों ही देशों से मोदी सरकार लगातार संपर्क में है। भारत वह पहला देश है जो बिना किसी सैन्य हस्तक्षेप के अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी कराने में में पूरी तरह से कामयाब रहा।
भारत में मौजूद कुछ लिबरल समूह के कुछ लोग निराशा से घिरते हुए नजर आ रहे हैं। उन्हें यह बात हजम नहीं हो रही है कि भारत रणनीतिक अखंडता की रक्षा कर सकता है। कोई भी निर्णय लेने के लिए पश्चिमी मुल्क भारत पर दवाब नहीं बना सकते। यह समूह भारत के सहयोगी अमेरिका को भारत पर कारवाई करने के लिए उकसाने का प्रयास कर रहे हैं।
शुक्रवार (4 मार्च, 2022) को एनडीटीवी के पत्रकार श्रीनिवासन जैन भारत में अमेरिका मिशन की प्रतिनिधि पेट्रीसिया एलसीना से एक इंटरव्यू के दौरान, यूक्रेन रूस विवाद पर भारत के निष्पक्ष रूख और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर मतदान के दौरान भारत की अनुपस्थिति को लेकर एलसीना को केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के लिए उकसाते नजर आए।
.@OnReality_Check | “We understand that the relationship that India has with Russia is very different from the relationship that the US has with Russia,” says Patricia Lacina, chief of the US mission to India, on India-Russia relations.pic.twitter.com/5qjXP8PRK3
— NDTV Videos (@ndtvvideos) March 4, 2022
एनडीटीवी के पत्रकार ने पूछा कि क्या बाइडेन प्रशासन यूक्रेन रूस विवाद पर भारत के रूख को लेकर निराश है? क्योंकि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका समर्थित प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया। श्रीनिवासन जैन द्वारा उकसाने वाले सवाल पूछे जाने के बावजूद एलसीना का जवाब सकारात्मक रहा। उन्होंने भारत के खिलाफ किसी भी तरह की टिप्पणी करने से परहेज किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका इस बात को समझता है कि रूस के साथ भारत के संबंध, रूस के साथ अमेरिका के संबंधों से काफी अलग हैं। बायडेन प्रशासन ने यूक्रेन रूस विवाद पर भारत के रूख को लेकर कभी भी नकारात्मक टिप्पणी नहीं की है।
अमेरिका द्वारा यह बार बार स्पष्ट किया जा चुका है कि वो अब भारत को दिशानिर्देश नहीं देने की स्थिति में नहीं है। यह स्पष्ट होने के बाद भी वामपंथी धारा के लोग अमेरिका को भारत पर कड़ा रूख अख्तियार करने के लिए उकसाने का हर तरह से प्रयास करते रहते हैं।