पत्रकारिता के समुदाय विशेष की हालत कितनी पतली है, इसका अंदाज़ा यही देखकर लगाया जा सकता है कि एक समय जिस NDTV के पत्रकार सरकारें बनाने-गिराने से लेकर मंत्रियों के पोर्टफोलियो की दलाली करते थे, लुटियंस और खान मार्केट जिनके घर की खेती था, आज वही लोग न केवल संदिग्ध कंपनियों से अवार्ड बटोर रहे हैं, बल्कि उसपर इतरा भी रहे हैं। अपने ट्विटर हैंडल से, हाल ही में NDTV ने घोषणा की थी कि उसे ‘India’s Most Trusted Companies Award 2019’ (भारत की सबसे भरोसेमंद कंपनियाँ) के ख़िताब के लिए चुना गया है।
NDTV Wins “India’s Most Trusted Companies Award 2019” https://t.co/zhGSZgbqzV pic.twitter.com/79refcF2tZ
— NDTV (@ndtv) August 11, 2019
प्रणॉय रॉय ने दी ‘महत्वपूर्ण अवार्ड’ जीतने की बधाई
इस अवार्ड के सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर हेमंत कौशिक का था, जिन्हें USA TV न्यूज़ चैनल का चेयरमैन और सीईओ बताया गया है। अवार्ड देने वाली कंपनी का नाम है ‘International Brand Consulting Corporation, USA’। NDTV के सह-संस्थापक प्रणॉय रॉय ने भी “तथाकथित ‘विश्वास की कमी’ से जूझती दुनिया में” अपनी टीम को इतना ‘महत्वपूर्ण अवार्ड’ जीतने की बधाई दी।
Many many congratulations to the entire NDTV team – you make us so proud … this is a major award in a world suffering from trust-deficit. https://t.co/KvEJcqeBSX
— Prannoy Roy (@PrannoyRoyNDTV) August 11, 2019
ट्विटर ने दिया धोबीपछाड़
ट्विटर यूज़र्स ने इस अनदेखे-अनसुने संस्थान से मिले अवार्ड को ‘महत्वपूर्ण अवार्ड’ बताए जाने की खिल्ली उड़ानी शुरू कर दी। किसी ने कहा कि NDTV वालों को कम-से-कम अवार्ड देने वालों की टाइमलाइन तो देख लेनी चाहिए थी, तो किसी ने कहा कि अब NDTV के पास ऐसे ‘सस्ते’ अवार्ड खरीदने जितना ही बजट बचा है।
LOL!…#HemantKaushik wala award??…jaraa congratulate karne se pehle uss bande ka TL toh scroll kiyaa karo .. Feels great to see you celebrating such good for nothing awards.. tchtchtch https://t.co/BKqfydQhu9
— radha raju (@radharaju18) August 11, 2019
Looks like Prannoy Roy went scouting for a PR push and given his funding problems could not afford anything better than a seedy award. ? https://t.co/jmlHsvoanb
— Divya (@divya_16_) August 11, 2019
ऑपइंडिया की तफ़्तीश
एक तरफ़ अपने मालिकों प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय के टैक्स-चोरी और भ्रष्टाचार के मामलों से जूझता NDTV इस अवार्ड को वापस सम्मानित दर्जा पाने की सीढ़ी के तौर पर इस्तेमाल कर रहा था, और दूसरी ओर किसी ने अवार्ड देने वाले हेमंत कौशिक और International Brand Consulting Corporation, USA का किसी ने नाम भी नहीं सुना था। ऐसे में हमने इनकी पृष्ठभूमि में झाँकने की कोशिश की। और हमें निम्न जानकारी मिली:
यह हेमंत कौशिक ‘हैरी’ के लिंक्डइन पेज का स्क्रीनशॉट है, जिसमें उन्होंने खुद ही को ‘टेस्टीमोनियल’ (पेशेवर कौशल या दक्षता का प्रमाण-पत्र) दिया हुआ है। अमूमन यह आपके साथ काम कर चुके एक पेशेवर द्वारा आपको दिया जाता है, खुद ही खुद को नहीं।
अब यह भी देखिए कि इसमें वह लिखते क्या हैं। वह खुद ही खुद को ‘मीडिया सेलिब्रिटी’ बताते हैं। इसके अलावा वह अपनी मीडिया कंपनी को ‘निष्पक्ष मीडिया हाउस’ बताते हैं। साथ ही यह शेखी भी बघारते हैं कि उन्हें सरकार ने पुलिस सिक्योरिटी और ‘नीली-बत्ती गाड़ी के साथ’ VIP स्टेटस दे रखा है।
ज़रा भी पेशेवर अंग्रेजी जानने वाला इंसान छूटते ही इसमें खामियाँ देख लेगा। ‘Unbiased Media House’ में से कोई भी ऐसा शब्द नहीं है, जिसे वाक्य के बीच में कैपिटल अक्षरों से शुरू करने की ज़रूरत पड़े। ‘Political Parties’ के साथ भी वही चीज़ है, और यही समस्या ‘Police Security’, ‘Government’ और ‘Blue Light Cars’ के साथ दिखती है। समस्या यह कि इससे साफ पता चलता है हेमंत कौशिक को अंग्रेजी व्याकरण के सबसे मूलभूत नियमों में से एक की भी जानकारी नहीं है।
और-तो-और, ‘so many’ पोलिटिकल पार्टीज़ कौन लिखता है भला? और ‘Blue Light Cars’ क्या होता है? अगर मतलब सरकारी और अन्य VIP कारों पर लगी लाल-नीली बत्तियों से है, तो उसके लिए अंग्रेजी शब्द ‘beacon’ होता है, वह भी स्मॉल b के साथ!
इसके अलावा वह अपनी एक दूसरी वेबसाइट वर्ल्डवाइड न्यूज़ को ‘अमेरिका की सबसे मशहूर’ न्यूज़ साइट बताते हैं, और उनका वैश्विक ट्रैफिक महज़ हज़ारों में है? इससे ज़्यादा तो अमेरिका की एक न्यूज़ वेबसाइट Breitbart News का मासिक ट्रैफिक है- पिछले 6 महीने में 7.5 करोड़ मासिक के आस-पास!
ऐसे में सवाल यह उठता है कि लगभग 12 साल से एक ‘मशहूर वेबसाइट’ के मालिक होने का दावा करने वाले व्यक्ति का अंग्रेजी पर अत्याचार और उसकी वेबसाइट की चीखती हुई संदिग्धता अगर हमें दस मिनट में दिख गए, तो खुद को देश का सर्वश्रेष्ठ अंग्रेज़ी चैनल घोषित करते रहे NDTV को क्यों नहीं दिखे? या फिर दिखे, लेकिन अवॉर्ड पाने की लालसा में NDTV ने वेबसाइट की लगभग नगण्य विश्वनीयता को दरकिनार कर दिया?
इसके अलावा हमें ‘Afternoon Voice’ नामक एक ऑनलाइन पोर्टल का भी लेख मिला, जिसमें हेमंत कौशिक की ही कम्पनी द्वारा Afternoon Voice को “India’s No.1 Brands Award 2014” देने के एवज में ₹50,000 की रकम की माँग की गई थी (और सर्विस टैक्स अलग से)। इसके अलावा Afternoon Voice की सम्पादक वैदेही त्रेहन ने जब उन अन्य ब्रांडों से बात करने की कोशिश की, जिन्हें कौशिक ने अवार्ड देने का दावा किया था तो उनमें से किसी ने उनका नाम या उनकी कम्पनी का नाम ही नहीं सुना था। बल्कि कई ने तो आरोप लगाया कि उनके ब्रांड और लोगो का इस्तेमाल बिना उनकी इजाज़त के हो रहा है।
और संदिग्ध हो गया है NDTV
NDTV खुद अपने अलावा और किसी को यह धोखा नहीं दे रहा कि ऐसे संदिग्ध संस्थान से कोई अवॉर्ड लेकर और उसपर इतरा कर उसने अपनी खोई हुई विश्वसनीयता को वापिस हासिल कर लिया है। जैसी संदिग्ध, भ्रामक न्यूज़ के चलते वह जनता की नज़रों में गिरा, यह अवॉर्ड और इसे देने वाली कंपनी और उसका मालिक उसी थाली के चट्टे-बट्टे हैं। बल्कि इससे उनकी बची-खुची साख भी किस रसातल में डूब गई है, यह आने वाला समय ही बताएगा।