देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस किस हद तक फैला है इसे लेकर एक सर्वे किया गया था। जिसकी रिपोर्ट अब आ गई है। सर्वे से यह पता चला है कि दिल्ली की 23.48 फीसदी आबादी (जोकि 43.6 लाख लोग है) कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुकी है। वहीं एनडीटीवी के स्टार एंकर रवीश कुमार ने इस सर्वे पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए एक वीडियो जारी किया।
शो में, रवीश कुमार ने दिल्ली में चीनी महामारी से प्रभावित लोगों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की। इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार पर यह दावा करते हुए कटाक्ष किया कि, जब भी सरकार को कोरोनावायरस को निपटाने के लिए चुनौतियों का सामना पड़ा, उन्होंने अपना गोलपोस्ट बदल लिया।
अपने वीडियो में रवीश कुमार ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए दावा किया कि, कोरोना वायरस की दोगुनी बढ़ती संख्या को देखते हुए भी सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। सरकार ने इस मामले में अपना बचाव किया। सरकार को जब भी कोरोना वायरस की चुनौतियों का सामना करना पड़ा उन्होंने हमेशा अपना तर्क बदल दिया। और कहा कि आप ये मत देखिए कि कितना संख्या में लोग संक्रमित हो रहे है। आप ये देखिए कि कोविड-19 के मरीज की रिकवरी रेट कितनी है। जोकि यह दर्शाता है कि महामारी अभी नियंत्रण में है।
अपने बयान को जारी रखते हुए, रवीश कुमार ने अपने शो में दावा किया कि बाद में सरकार ने अपना गोल बदलते हुए एक्टिव केस को हाईलाइट करना शुरू कर दिया, जब मरीजों की रिकवरी रेट गिरने लगी।
मोदी सरकार पर हमला करने की जल्दबाजी में, एनडीटीवी के स्टार एंकर रवीश ने शो के दौरान क्या बोलना है और वो क्या बोल रहे इस बात पर भी गौर करना सही नहीं समझा। रवीश कुमार ने शो में कोरोना वायरस के ‘मृत्य दर’ का दावा करने की जगह यह कहा कि कोरोना वायरस के मरीजों की ‘फर्टिलिटी रेट’ काफ़ी कम है।
दिल्ली सीरो सर्वे रिपोर्ट
दिल्ली भर में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) द्वारा प्रकाशित किए गए नए सर्वेक्षण के अनुसार, आईजीजी एंटीबॉडीज का प्रसार 23.48 प्रतिशत है, जो दर्शाता है कि बड़ी संख्या में संक्रमित व्यक्ति एसिम्प्टोमैटिक हैं। सर्वेक्षण 27 जून 2020 से 10 जुलाई 2020 तक आयोजित किया गया था।
महामारी के 6 महीने बीत जाने के बाद भी दिल्ली में 46 लाख लोग ही इसकी चपेट में हैं। जिनमें घनी आबादी वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। यह कहा जा रहा है कि मोदी सरकार द्वारा संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए किए गए सक्रिय प्रयासों जैसे त्वरित लॉकडाउन, कन्टेनमेंट जोन बनाने के अलावा संपर्क ट्रेसिंग और ट्रैकिंग जैसे निगरानी उपायों और नागरिकों के नियमों के अनुपालन के चलते ही प्रसार को सीमित करने में मदद मिली है।