गुजरात ATS द्वारा स्वघोषित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी के बाद पूरा इकोसिस्टम मोदी सरकार को तानाशाह घोषित करने में जुटा है। मुबंई प्रेस क्लब ने तो इस गिरफ्तारी की निंदा भी की है। अपने पत्र में प्रेस क्लब के सदस्यों ने प्रशासन की कार्रवाई को कोसने के साथ तीस्ता सीतलवाड़ को रिहा करने की माँग की है।
इसमें कहा गया, “मुंबई प्रेस क्लब, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की 25 जून 2022 को हुई गिरफ्तारी पर दुख और निराशा व्यक्त करता है। ये तब हुआ जब 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज किया जिसमें सीतलवाड़ सह-याचिकाकर्ता थीं।“
MUMBAI PRESS CLUB CONDEMNS ARREST OF MEMBER TEESTA SETALVAD #FreeTeestaSetalvad pic.twitter.com/z6pHVed6SI
— Mumbai Press Club (@mumbaipressclub) June 26, 2022
इसमें ये भी कहा गया कि मुंबई प्रेस क्लब को ये बात स्वीकार्य नहीं है कि लोगों को न्याय दिलाने के लिए लड़ने वाले व्यक्ति पर साक्ष्य गढ़ने और एसआईटी को गुमराह करने का आरोप लगे।
अब यहाँ मालूम हो कि एनजीओ चलाकर खुद को सामाजिक कार्यकर्ता कहलाने वाली सीतलवाड़ को प्रेस क्लब की ओर से पत्रकार की उपाधि सिर्फ इस आधार पर दी गई है क्योंकि वह ‘सबरंग’ नाम से एक प्रोपेगेंडा मैगजीन चलाती हैं। इसमें वह नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का काम करती आई हैं।
इकोसिस्टम हुआ सक्रिया, प्रदर्शन की माँग
बता दें कि तीस्ता की गिरफ्तारी पर केवल प्रेस क्लब ही एक पत्र से रिहाई नहीं माँग रहा, बल्कि पूरा इकोसिस्टम लोकतंत्र को खतरे में बताकर सोशल मीडिया पर ऐसी माँग उठा रहा है।
कॉन्ग्रेस एक्टिविस्ट व कई बार फेक न्यूज फैलान के लिए पहचानी जाने वाली शबनम हाशमी ने भी ट्विटर पर पोस्टर शेयर करते हुए सीतलवाड़ के लिए समर्थन माँगा। उन्होंने तीस्ता की गिरफ्तारी के विरुद्ध दिल्ली में प्रदर्शन करने को कहा। पोस्टर में देख सकते हैं कि वो इस समय में अघोषित इमरजेंसी बता रही हैं और लोगों से अपील कर रही हैं कि मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाएँ।
हिंदुत्व को तालिबान के बराबर बताने वाली कम्युनिस्ट कविता कृष्णन ने भी तीस्ता की गिरफ्तारी के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कोसा। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, “ये काफी बुरा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जाकिया जाफरी की याचिका रद्द कर दी गई और तीस्ता सीतलवाड़ समेत उन अन्य लोगों को अपराधी बना दिया गया, जिन्होंने गुजरात 2002 की हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय माँगा था।”
राणा अयूब ने भी इसी तरह करुणा नुंदी के ट्वीट को रीट्वीट किया जिसमें दावा था कि सुप्रीम कोर्ट संविधान को कमजोर करने का काम कर रही है।
एम्नेस्टी इंडिया की ओर से तीस्ता की गिरफ्तारी को कहा गया कि ये भारतीय प्रशासन मानवाधिकार की बात करने वालों पर सवाल खड़ा कर रही है।
बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात एटीएस ने 25 जून 2022 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें सड़क के रास्ते अहमदाबाद ले जाया गया। इस गिरफ्तारी से एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही गुजरात दंगों से जुड़े मामले में सीतलवाड़ की भूमिका पर और जाँच करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि तीस्ता इस मामले में अपने फायदे के लिए घुसीं और जाफरी की भावनाओं का इस्तेमाल किया।