अक्षयपात्र मामले में The Hindu फिर विरोधाभासी बयानबाजी के ज़रिए अपना गला छुड़ाने की फ़िराक में दिख रहा है। पहले इस्कॉन द्वारा संचालित अक्षयपात्र फाउंडेशन के खिलाफ लगभग आधारहीन आरोप लगाने, फिर प्रबंध संपादिका मालिनी पार्थसारथी और चेयरमैन एन राम के बीच उस रिपोर्ट को लेकर हुई नूराकुश्ती के बाद फिर से अख़बार इस मसले पर दोतरफ़ा बयानबाज़ी को लेकर सामने है। एक तरफ़ अख़बार के आंतरिक ‘लोकपाल’ ने मामले में एन राम का अड़ियल रुख दोहराते हुए गत 10 जून को मामले की अख़बार की कवरेज में कोई खोट मानने से इंकार कर दिया था, दूसरी ओर मालिनी पार्थसारथी ने ट्वीट कर दावा किया है कि अक्षयपात्र फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने उनसे और दैनिक संपादन देखने वाले संपादक सुरेश नंबात से मिल कर मामले का ‘समाधान’ निकाल लिया है। इसके बाद उनके इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए अक्षयपात्र के ट्रस्टी टीवी मोहनदास पई ने उन्हें समाधान के बारे में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक करने का दावा किया है, जिसे अक्षयपात्र के ट्विटर हैंडल से रीट्वीट किया गया है।
हिन्दूफ़ोबिक हिटजॉब के लिए निशाने पर था The Hindu
The Hindu ने 31 मई को एक ‘विस्तृत’ रिपोर्ट छाप कर दावा किया था कि गौड़िया वैष्णव संस्था इस्कॉन द्वारा संचालित हिन्दू एनजीओ अक्षयपात्र फाउंडेशन कर्नाटक के बच्चों को बिना प्याज-लहसुन का खाना परोस कर उनपर ‘अपनी विचारधारा थोप रहा है’, और बच्चे उसका बनाया हुआ खाना खाना ही नहीं चाहते, और इसलिए वह खाना कम खा रहे हैं (और अतः उनका विकास नहीं हो रहा, मिड डे मील स्कीम का औचित्य ही नहीं बच रहा, और यह बच्चों के साथ अन्याय है कि ‘ब्राह्मणवादी, शाकाहारवादी श्रेष्ठताबोध’ का दर्शन उन पर खाने के ज़रिए थोपा जा रहा है)। इस दावे की पुष्टि के लिए महज़ दो-चार बच्चों से ‘बातचीत’ कर निष्कर्ष को ब्रह्मसत्य की तरह पेश कर दिया। इसके अलावा अक्षयपात्र फाउंडेशन के जवाब को भी पूरी तरह प्रकाशित करने की बजाय केवल अपनी मनमर्जी से बनाया हुआ उसका ‘साराँश’ सुना दिया।
इसके बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर जब The Hindu की भद्द पीटनी शुरू की तो समाचार पत्र में से दो तरह की आवाज़ें आने लगीं। एक ओर प्रबंध संपादिका मालिनी पार्थसारथी ने इसे खराब पत्रकारिता मानते हुए इसका ठीकरा संपादक सुरेश नंबात और रिपोर्ट की लेखिका अर्चना नातन के सर फोड़ दिया। दूसरी ओर समाचार पत्र के चेयरमैन और राफेल मामले में घोटाला साबित करने के लिए संवेदनशील दस्तावेजों की चोरी के बाद फोटोशॉप करने के लिए कुख्यात एन राम ने इन दोनों के बचाव में आ कर विरोध करने वालों को साम्प्रदायिक और कट्टर करार देना शुरू कर दिया।
‘आंतरिक लोकपाल’ की रिपोर्ट को हरी झंडी, लेकिन मालिनी का मामले के ‘समाधान’ का दावा?
The Hindu के ‘पाठकों के संपादक’ (Readers Editor) (एक तरह से खबरों के ‘आंतरिक लोकपाल’) ए एस पन्नीरसेल्वन ने अपने कॉलम में अक्षय पात्र पर रिपोर्ट को क्लीन चिट देते हुए कहा कि एक ‘पत्रकारी खोज’ को ‘विचारधारा के प्रिज़्म’ से बदनाम किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर मोहनदास पई के इस कॉलम को ट्वीट कर उसकी आलोचना और उसे लीपापोती बताने पर मालिनी पार्थसारथी का जवाब आया कि अक्षयपात्र फाउंडेशन के प्रतिनिधि उनसे और सुरेश नंबात से The Hindu के कार्यालय में आकर मिले और मामले का ‘समाधान’ हो गया है:
Dear @TVMohandasPai , you will be glad to know that representatives of the AP foundation came to @the_hindu office, met me & the editor @nambath. They were happy with the resolving of the issue. Glad there’s been forward movement on this! https://t.co/JO9nPR7EOo
— Malini Parthasarathy (@MaliniP) June 15, 2019
इस पर मोहनदास पई ने जवाबी रीट्वीट कर उनसे ‘समाधान’ के बारे में जानकारी सार्वजानिक करने को कहा, जिसे अक्षय पात्र के ट्विटर हैंडल ने भी रीट्वीट किया।
Thanks very much! Could you enlighten us as to what was the resolution. I will know, but the supporters of the @AkshayaPatra should also know! @MaliniP https://t.co/foBEzjT4Cc
— Mohandas Pai (@TVMohandasPai) June 15, 2019
हमने इस मामले में संबंधित पक्षों (The Hindu, मालिनी पार्थसारथी, मोहनदास पई, और अक्षयपात्र फाउंडेशन) से संपर्क कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया, परन्तु यह खबर प्रकाशित किए जाने तक मोहनदास पई से संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है, और बाकियों के उत्तर हमारे संपादकीय मंडल को प्राप्त नहीं हुए हैं। उनका उत्तर मिलने पर हम उसे भी प्रकाशित करेंगे।