एयर विस्तारा ने 19 अप्रैल को ट्विटर पर एक फोटो शेयर किया जिसमें रिटायर्ड सेनानी मेजर जनरल जीडी बख्शी के साथ उनके क्रू के दो लोग मुस्कुरा रहे थे। विस्तारा ने यह भी लिखा कि एक कंपनी के तौर पर वह मेजर जनरल बख्शी को यात्रा सेवा प्रदान करने में गर्वित महसूस करती है और उनकी देश सेवा के लिए उनका धन्यवाद करती है।
Honored to have Major General G. D. Bakshi (Retd), a decorated Kargil war hero, onboard our flight today. Thank you Sir, for your service to the nation. pic.twitter.com/peQsgrlVxc
— Vistara (@airvistara) April 19, 2019
‘लिबरल’ ट्रोलों ने दी बहिष्कार की धमकी, पत्रकारिता के समुदाय विशेष का भी साथ
इतनी सी बात पर खुद को ‘लिबरल’ यानि ‘उदारवादी’ कहने वाले सोशल मीडिया ट्रोलों ने मेजर जनरल बख्शी के साथ-साथ विस्तारा पर भी हमला बोल दिया। कोई विस्तारा में आगे से हवाई यात्रा न करने की धमकी देने लगा, तो किसी ने मेजर जनरल बख्शी को ही बदमाश करार दे दिया।
Time to switch airline @IndiGo6E congratulations,u got new customer
— Amar Bandgar (@AmarBandgar) April 21, 2019
Thanks for https://t.co/PyWLkQ7J9b onward people will choose other airlines.
— abhi (@abhiyamkumar007) April 21, 2019
Agreed. Surprised & disappointed to see my favorite airline associate themselves with someone who publically lauded Godse & co. Any response, @TheSanjivKapoor ?
— P (@thenutoriousp) April 21, 2019
इसके बाद पत्रकारिता का समुदाय विशेष भी अपने ही देश की एक कंपनी और देश के ही सैनिक की मॉब-लिंचिंग में शामिल होने कूद पड़ा।
You seriously think you are helping your brand? Most sane people will now go @IndiGo6E https://t.co/04DHSjpTGm
— Swati Chaturvedi (@bainjal) April 21, 2019
Dear @airvistara. Thank you for the warning. Will take @IndiGo6E instead from now on. https://t.co/NtnyV74RyY
— Rohini Singh (@rohini_sgh) April 21, 2019
I quite liked @airvistara but their love for this bigot shows that either they are ignorant or the airline condones Bakshi’s anti-Muslim stance. Will they honour Sadhvi Pragya next? No more flying with Vistara. @JantaKaReporter https://t.co/pLKNO9eNXl
— Rifat Jawaid (@RifatJawaid) April 21, 2019
बहुत लम्बी है मेजर जनरल बख्शी के शौर्य की गाथा
गौरतलब है कि मेजर जनरल बख्शी कारगिल के युद्ध के नायक होने के साथ-साथ अपने राष्ट्रवाद को लेकर काफ़ी मुखर भी हैं। और इसीलिए ‘लिबरल’ गैंग उनसे खार खाता रहा है। उन्हें कारगिल युद्ध में अहम बटालियन का नेतृत्व कर भारत की जीत में उनके योगदान के लिए विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया था। वह उन कैप्टन रमन बख्शी के अनुज हैं, जो 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारत के पहले वीरगति को प्राप्त होने वाले सैनिक थे, वह भी महज 23 वर्ष की उम्र में। मेजर जनरल जीडी बख्शी ने उनके वीरगति को प्राप्त होने के 1.5 वर्ष के अन्दर भारतीय सैन्य अकादमी में प्रवेश ले लिया था। 1971 की बांग्लादेश निर्माण के वक्त की लड़ाई में उन्होंने भाग लिया था। 1999 में कारगिल के समय ऑपरेशन विजय को सफल बनाने के लिए सैन्य संचालन निदेशालय में उन्हें फिर से बुलाया गया था।
वह पाकिस्तान और इस्लामी आतंकवादियों के प्रति अपने कठोर रुख के लिए राष्ट्रवादियों में सम्मानित भी हैं, और इसीलिए वाम-चरमपंथी ‘लिबरल’ धड़े में उन्हें नापसंद भी किया जाता है।