केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने 354 करोड़ रुपए के बैंक घोटाले में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भाँजे एवं मोजरबेयर के पूर्व कार्यकारी निदेशक रतुल पुरी और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। अधिकारियों ने रविवार (अगस्त 18, 2019) को बताया कि यह मुकदमा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से दायर 354 करोड़ रुपए के बैंक घोटाले मामले में दर्ज किया गया है।
CBI ने जिन पर मुकदमा दर्ज किया है, उनमें रतुल पुरी के अलावा कंपनी मोजर बिअर इंडिया लिमिटेड (एमबीआईएल), कंपनी के प्रबंध निदेशक दीपक पुरी (रतुल के पिता), कंपनी की पूर्णकालिक निदेशक नीता पुरी (रतुल की माँ और कमलनाथ की बहन) के साथ ही कंपनी के अन्य निदेशक संजय जैन और विनीत शर्मा का नाम भी शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि इन पर आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार के आरोप हैं। सेंट्रल बैंक ने एक बयान में बताया कि रतुल ने 2012 में कार्यकारी निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनके माता-पिता निदेशक मंडल में बने रहे।
Delhi: CBI conducted searches today at 6 places including office of Moser Baer India Ltd in Okhla & at residential premises of present & former Directors of the company. A case was registered yesterday against them on allegations of cheating & defrauding banks. pic.twitter.com/3gWFdzZZFd
— ANI (@ANI) August 18, 2019
खबर के मुताबिक, एफआईआर दर्ज होने के बाद जाँच एजेंसी ने दिल्ली में ओखला इंडस्ट्रियल एरिया स्थिर मोजर बिअर के ऑफिस और न्यू फ्रेंड्स कॉलेनी स्थित पुरी आवास समेत 6 जगहों पर छापे मारे। यह कंपनी कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी), डीवीडी और सॉलिड स्टोरेज उपकरणों का निर्माण करती है। यह मामला सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर दर्ज किया गया। बैंक ने शिकायत में आरोप लगाया कि कंपनी 2009 से विभिन्न बैंकों से लोन ले रही थी और कई बार पुनर्भुगतान की शर्तों में बदलाव करा चुकी थी।
बैंक का आरोप है कि कंपनी ने विभिन्न बैंकों से लगभग 1,962 करोड़ रुपए की विभिन्न प्रकार की ऋण सुविधाएँ ली। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने नवंबर 2011 तक कंपनी को 332 करोड़ रुपए से अधिक की क्रेडिट सुविधा दी थी। साथ ही बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी ने सीडीआर के तहत किए गए वादों को पूरा नहीं किया जिसके बाद बैंक ने उससे खाते वापस ले लिए गए और 29 नवंबर 2014 को लोन अकाउंट को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति घोषित कर दिया गया।
बैंक का कहना है कि जब कंपनी कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ रही तो एक फॉरेन्सिक ऑडिट किया गया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने खाते को 20 अप्रैल 2019 को ‘फर्जी’ घोषित कर दिया। बैंक का दावा है कि कंपनी और उसके निदेशकों ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से फंड जारी कराने के लिए नकली और जाली दस्तावेजों का प्रयोग किया।
बैंक की शिकायत है कि कंपनी ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से अनुमति लिए बिना सहायक कंपनियों की ओर से 2051.87 करोड़ रुपए की कॉर्पोरेट गारंटी दी। एमबीआईएल ने 29 नवंबर, 2014 को अनुचित तरीके से बैंक को 354.51 करोड़ रुपए का नुकसान पहुँचाया, जिससे कंपनी को गैरकानूनी तरीके से लाभ हासिल हुआ।
गौरतलब है कि, पिछले दिनों आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध कानून, 1988 की धारा 24 (तीन) के तहत रतुल पुरी और उनके पिता दीपक पुरी की दिल्ली के पॉश इलाके में 300 करोड़ रुपए के बंगले और चार करोड़ डॉलर की एफडीआई राशि जब्त कर ली थी।