ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल द्वारा संचालित ‘अजमल फाउंडेशन’ के खिलाफ असम के दिसपुर पुलिस स्टेशन में शुक्रवार (4 दिसंबर, 2020) को मामला दर्ज किया गया है। गुवाहाटी के सीपी एम एस गुप्ता ने बताया कि यह मामला सत्य रंजन बोराह द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद दायर किया गया था, जिसने एनजीओ पर विदेशी फंड प्राप्त करने और संदिग्ध गतिविधियों में इसका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।
We received a complaint from Satya Ranjan Bohra, alleging that Ajmal Foundation, run by Maulana Badruddin Ajmal, collected funds from abroad & utilised them in a suspicious manner. Case registered at Dispur police station: Guwahati CP M S Gupta on FIR against Ajmal Foundation pic.twitter.com/qLlxyXBJFg
— ANI (@ANI) December 5, 2020
बता दें सत्य रंजन बोराह द्वारा दर्ज की गई यह शिकायत लीगल एक्टिविस्ट समूह, लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी (LRO) की रिपोर्ट पर आधारित है।
बोराह ने एफआईआर में आरोप लगाया, “लीगल राइट ऑब्जर्वेटरी एनजीओ की रिपोर्ट के मुताबिक एआईयूडीएफ के प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल द्वारा संचालित अजमल फाउंडेशन संगठन कुछ विदेशी एजेंसियों द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है जो विभिन्न आतंकवादी समूहों और उनकी आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण से संबंधित हैं। रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए हम गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत इस संबंध में उचित जाँच चाहते हैं। अजमल फाउंडेशन ने विदेशी फंड का कई राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में दुरुपयोग किया है।”
बोराह ने एआईयूडीएफ प्रमुख को गिरफ्तारी और राष्ट्रीय अखंडता, संप्रभुता और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए उसे उचित सजा देने की माँग की है। बोराह ने सुझाव दिया कि एफआईआर में दी गई कुछ जानकारी आगे की जाँच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दी जा सकती है।
असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने भी संगठन के खिलाफ लगाया आरोप
असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस मुद्दे पर पत्रकारों से कहा कि लोगों को हमेशा गलतफहमी थी कि अजमल ने अपनी मानवीय कार्य का खर्चा अपनी जेब से दिया है, जो वास्तविकता से बहुत दूर है।
सरमा ने केंद्र सरकार से इस मामले में गहन जाँच कराने की उम्मीद करते हुए कहा, “एक समय था जब उसे (अजमल) विदेशी एजेंसियों से 70-75 करोड़ रुपए मिले थे। इसके साथ इस संगठन ने एक अस्पताल चलाया और कुछ अन्य काम किए। एक स्थापित संस्थान, जिसने विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन के कई मामलों का खुलासा किया है, ने दावा किया है कि अजमल को जो धनराशि प्राप्त हुई है, वह आतंकवाद से संबंधित है।”
गौरतलब है कि हमनें इस संगठन को लेकर पहले रिपोर्ट किया था कि AIUDF से जुड़े अजमल फाउंडेशन (Ajmal Foundation) पर विभिन्न संदिग्ध स्रोतों से 69.55 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग लेने का आरोप लगा है।
LRO ने मामले को लेकर कहा था कि एनजीओ को मिली फंडिंग में से वह 2.05 करोड़ रुपए खर्च ‘शिक्षा’ पर कर चुके हैं और बाकी का पैसा AIUDF को पहुँचाया जा चुका है, ताकि वह असम की राष्ट्रवादी पार्टियों को टक्कर दे सकें। LRO ने अपनी रिपोर्ट में तुर्की, फिलिस्तान और ब्रिटेन के इस्लामी आतंकी समूहों के नाम खुलासा किया, जो अजमल फाउंडेशन को फंडिंग दे रहे हैं।
इसके अलावा LRO ने इस पूरे मामले पर अपने पास इकट्ठा हुई सारी जानकारी गृह मंत्रालय को भेजी और आरोप लगाया है कि इन्हें मिलने वाली फंडिग FCRA के रूल्स का उल्लंघन करती है, इसलिए इनके लाइसेंस को रद्द किया जाना चाहिए।
इस बीच, बदरुद्दीन अजमल अजमल ने आरोपों का खंडन किया है। अजमल ने कहा, “भाजपा-आरएसएस एनजीओ द्वारा संगठन के खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और मुझे बदनाम करने की साजिश है। केंद्र सरकार फंड के लेन-देन पर नजर रखती है।”
AIUDF के प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने यह भी कहा, “100% झूठा आरोप है। मुझे मेरे अजमल फाउंडेशन और मेरी पार्टी को बदनाम करने की ये साजिश है। हेमंत बिस्व सरमा ने इसे असम में गढ़ा है। जैसे ही उन्हें BTAD चुनाव के लिए कॉन्ग्रेस के साथ हमारे गठबंधन का पता चला उन्होंने इसे इंटरनेशनल टेरर बना दिया।”