भारतीय उपमहाद्वीप में सुरक्षा के हालात पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें चौंकाने वाले दावे किए हैं। भारतीय उपमहाद्वीप (AQIS) नाम से 13वीं रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें दावा किया गया है कि अल-कायदा (AL Qaeda) और इस्लामिक स्टेट (ISIS) अफगानिस्तान में उपस्थिति बनी हुई है और ये आतंकी समूह कश्मीर को दहलाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
शनिवार (28 मई, 2022) को जारी तालिबान और अन्य संबद्ध व्यक्तियों और संस्थाओं के संबंध में ‘विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल’ की 13वीं रिपोर्ट को ‘संकल्प 2611 (2021)’ के अनुसार प्रस्तुत किया गया। इसमें इन संगठनों को अफगानिस्तान की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया है। इसके मुताबिक, AQIS (Al Qaeda In Indian Sub Continent) अफगानिस्तान में अपना अड्डा बनाए हुए हैं, जहाँ उसके 180 से 400 लड़ाके मौजूद हैं। ये सभी गजनी, हेलमंद, कंधार, निमरुज, पक्तिका और जाबुल प्रान्तों में स्थित हैं। इन लड़ाकों में बांग्लादेश, भारत, म्यांमार और पाकिस्तान के नागरिक शामिल हैं।
यूएन की रिपोर्ट के अनुसार, अब आतंकी संगठनों ने अपनी मैगजीन का 2020 का नाम ‘नवा-ए-अफगान जिहाद’ से बदलकर ‘नवा-ए-गजवा-ए-हिंद’ कर दिया है। ऐसा इसलिए ताकि अफगानिस्तान से कश्मीर तक एक्यूआईएस पर फिर से ध्यान दिया जा सके। इसके अलावा जब से अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से ड्रग्स की तस्करी बढ़ गई है। पिछले साल सितंबर 2021 में भारत में जो तीन टन हेरोइन जब्त की गई थी। वो इसी का हिस्सा था।
वैचारिक रूप से तालिबान के करीब है जैश ए मोहम्मद
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) वैचारिक रूप से तालिबान के करीब है और अफगानिस्तान के नंगरहार प्रान्त में उसके आठ प्रशिक्षण शिविर हैं, जहाँ वो नए आतंकियों की भर्ती और प्रशिक्षण देता है। अफगानिस्तान में इस आतंकी संगठन का मुखिया कारी रमजान है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) अफगानिस्तान में विदेशी आतंकवादी लड़ाकों का सबसे बड़ा घटक है, जिनकी संख्या कई हजार होने का अनुमान है।