राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार (30 दिसंबर, 2020) को जम्मू-कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता वहीद उर रहमान पारा को लेकर चौकाने वाले खुलासे किए हैं। एनआईए के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले वहीद पारा ने अपने समर्थन को सुनिश्चित करने के लिए आंतकी संगठन हिजबुल-मुजाहिद्दीन को 10 लाख रुपए दिए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय जाँच एजेंसी एनआईए ने पारा को जम्मू कश्मीर के जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव के कुछ दिन पहले नवम्बर में गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी सस्पेंड चल रहे डीएसपी दविंदर सिंह और हिजबुल मुजाहिदीन के संबंधों की जाँच के दौरान पारा का कनेक्शन मिलने के बाद की गई थी। वहीद पारा अभी जेल में ही है। जेल में रहते हुए ही पारा ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा से डीडीसी चुनाव में जीत हासिल की थी।
गौरतलब है कि पारा के वकील टीएन रैना से जब एनआईए के दावे को लेकर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी नहीं बताया। हालाँकि, इस महीने की शुरुआत में जम्मू में एनआईए की विशेष कोर्ट में दायर की गई अपनी जमानत याचिका में पारा ने हिजबुल के साथ किसी भी तरह से संपर्क रखने से इनकार कर दिया था। पारा ने कहा कि उसे एक खास राजनीतिक पार्टी द्वारा साजिश के तहत उन्हें फँसाया जा रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कथित तौर पर, पारा ने हिजबुल के ऑपरेटिव सैयद मुश्ताक उर्फ नावेद बाबू तक ये रकम डीएसपी दविंदर सिंह के जरिए पहुँचाई थी। ताकि घाटी में आंतकी खेल खेला जा सके। जम्मू कश्मीर पुलिस के निलंबित अधिकारी दविंदर सिंह को श्रीनगर एयरपोर्ट पर ये रकम दी गई थी जहाँ वह उस समय तैनात थे। यह पैसे एक टिफ़िन बॉक्स में छिपाया गया था।
दविंदर सिंह को 11 जनवरी को हिजबुल-उल-मुजाहिद्दीन के आतंकवादी नवीद बाबू और आसिफ राथर के साथ गिरफ्तार किया गया था, जिस दौरान वे एक कार में एक साथ यात्रा कर रहे थे। जिसके बाद मामले को एनआईए के हाथों में सौंपा गया था। एनआईए को जाँच के दौरान ही वहीद पारा के भी टेरर फंडिंग में जुड़े होने के साक्ष्य मिले थे।