Sunday, November 17, 2024
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मणिपुर के चुनिंदा वीडियो यूँ ही नहीं किए गए वायरल, असम राइफल्स के DG ने बताई वजह: गायब हथियार सबसे बड़ी टेंशन

"मैं सोचता हूँ कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती मैतेई और कुकी लोगों के हाथ में पड़ गए हथियारों का बड़ा जखीरा है। इसने हालात को विस्फोटक बना दिया है। जब तक ये हथियार वापस नहीं आ जाते ये हमारे लिए मणिपुर में सबसे बड़ी चुनौती है।"

देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में एक अदालती फैसले के बाद भड़की हिंसा को करीब 6 महीने हो चुके हैं। इस दौरान मैतेई और कुकी समुदाय के बीच कई खौफनाक झड़पें देखने को मिली है। हिंसा से निपटने में असम राइफल्स (Assam Rifles) सबसे आगे रही है।

असम राइफल्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने राज्य के मौजूदा हालात को लेकर जानकारी दी है। यह भी बताया है कि चुनिंदा और भड़काऊ वीडियो हिंसा को और बढ़ाने के इरादे से लीक किए गए थे। साथ ही बताया है कि गायब हथियार सबसे बड़ी समस्या हैं, क्योंकि इनके गलत हाथों में पड़ने का डर है।

द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने असम राइफल्स पर लगे पूर्वाग्रह के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। कहा कि मणिपुर में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि लंबे वक्त से राज्य में इस तरह के हालात नहीं देखे गए थे। इससे पहले 90 के दशक में नगा और कुकी समुदायों के बीच झड़पें हुई थीं। लेकिन इस तरह की हिंसा का स्तर हैरान कर देने वाला है।

उन्होंने कहा, “मैं सोचता हूँ कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती मैतेई और कुकी लोगों के हाथ में पड़ गए हथियारों का बड़ा जखीरा है। इसने हालात को विस्फोटक बना दिया है। जब तक ये हथियार वापस नहीं आ जाते ये हमारे लिए मणिपुर में सबसे बड़ी चुनौती है।” उन्होंने इन हथियारों के गलत हाथों में पड़ जाने को लेकर फिक्र जताई है। उन्होंने कहा, “विभिन्न पुलिस स्टेशनों से गायब हुए हथियारों की संख्या 5000 के करीब है। इनमें से लगभग 1600 हथियार बरामद कर लिए गए हैं। यह एक अच्छी बात है। लेकिन सभी गायब हथियारों की बरामदगी में हमें वक्त लगेगा।”

गौरतलब है कि मणिपुर में मई 2023 में भड़की हिंसा के दौरान पुलिस शस्त्रागारों से लूटे हुए 5600 हथियारों में से राज्य सरकार केवल एक चौथाई ही बरामद कर पाई है। इस दौरान लगभग 6.5 लाख रुपए का गोली-बारूद भी गायब हो गया। इनमें 5 फीसदी से भी कम बरामद किया जा सका है।

लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने कहा, “मुझे लगता है कि इसे पहले जैसी स्थिति में वापस आने में कुछ वक्त लगेगा। ऐसे समय के दौरान चुनिंदा और भड़काऊ वीडियो उकसाने के इरादे से वायरल की जाती है। ऐसा निजी एजेंडे के तहत किया जाता है। इस तरह की चीजों से लोगों को बचाना जरूरी है।””

डीजी नायर ने आगे कहा कि मणिपुर में हालात धीरे-धीरे सामान्य होने की तरफ लौट रहे हैं। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि दोनों समुदायों के बीच एक-दूसरे के प्रति हिंसा की भावनाएँ हैं। उन्होंने यह बताया कि अब सभी सुरक्षाबलों के बीच सहयोग है, लेकिन शुरुआती दिन उथल-पुथल भरे थे।

लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने कहा कि लोगों को ये एहसास होना चाहिए कि शांति की आगे की राह के लिए उन्हें बात करनी होगी। उन्हें समझौते की तरफ बढ़ना होगा। मीडिया में सबने देखा होगा की कैसे हमारी सैन्य दल की रसद रोकी गई। कैसे सड़कों पर अवरोध पैदा किया गया। कई बार सैनिकों की आवाजाही में बाधा पड़ी है। पहले इस स्तर पर जाकर ये सब नहीं हुआ था।

इस दौरान पक्षपात के आरोपों को झूठा बताते हुए लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने कहा कि असम राइफल्स को एक समय पर दोनों गुटों, मैतेई और कुकी समुदायों के लोगों ने निशाना बनाया था। उन्होंने कहा कि म्यांमार के कई वीडियो चुनिंदा तरीके से प्रसारित किए गए और पूरी तस्वीर नहीं बताई गई। उन्होंने कहा कि जातीय झड़पें शुरू होने के बाद से ही भारत-म्यांमार सीमा पर निगरानी बढ़ा दी गई है।

लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने कहा, “हम जमीन के हर इंच पर तैनात नहीं रह सकते। हमारी फोर्स सीमा पर निगरानी कर रही है। अधिक संजीगदी से ये काम किया जा रहा है। गश्त बढ़ा दी गई है। एमबुश बढ़ाया गया है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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