बालाकोट पर एयर स्ट्राइक के बाद बहुत लोगों ने सेना और सरकार पर सवाल उठाए थे। अब इन्हीं सवालों का जवाब देते हुए एयर चीफ़ मार्शल बीएस धनोआ ने बयान दिया है। दरअसल, इंडिया टुडे से हुई बातचीत में एयर चीफ़ मार्शल बीएस धनोआ ने स्पष्ट किया है कि बालाकोट एयरस्ट्राइक को प्रोपेगेंडा की तरह इस्तेमाल करने की कोई मंशा नहीं थी, यही कारण है कि बॉर्डर के पार हवाई रेड के दौरान ज्यादा प्रबल हथियारों का प्रयोग नहीं किया गया।
एयर चीफ़ मार्शल बीएस धनोआ कहते हैं कि अगर इस स्ट्राइक को उन्हें प्रोपेगेंडा की तरह इस्तेमाल करना होता तो वे अधिक क्षमता वाले हथियारों का प्रयोग करते ताकि ज्यादा बड़े भूभाग को नष्ट किया जा सके लेकिन वो अतिरिक्त क्षति नहीं पहुँचाना चाहते थे। और इसी को देखते हुए बालाकोट हमले के लिए विशेष हथियारों (प्रीसिजन बेस्ड) का चुनाव किया गया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कि उनका मकसद आतंकवादी कैंपों को निशाना बनाना था।
एयरचीफ ने 1999 के कारगिल युद्ध से सीखे सबक, बालाकोट के बाद का आकलन, विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान के वापसी के आसारों पर भी बात की। एयर चीफ मार्शल ने एयर मार्शल आर नांबियार, पश्चिमी वायु कमान के प्रमुख और लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी के साथ ‘Missing Man formation’ की उड़ान के बाद इस बातचीत में 20 साल पहले कारगिल युद्ध में मारे गए सैनिकों को भी याद किया। एयर चीफ धनोआ ने उन बाधाओं (limitations) के बारे में भी बात की, जिन पर कारगिल युद्ध के बाद काबू पाया गया।
उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान वो छोटे-छोटे लक्ष्य भी उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती होते थे, लेकिन ये सब अब बदल गया है। उन्होंने बताया कि उस समय मिराज (लड़ाकू विमान) को ही छोटे लक्ष्यों के लिए इस्तेमाल कर सकते थे, लेकिन अब सभी (वायु सेना के जेट) का प्रयोग किया जाता है।
बालाकोट स्ट्राइक पर एयरचीफ कहते हैं कि जब आप अपने देश की रक्षा करते हैं तो हताहतों की संख्या की कोई गारंटी नहीं होती है। अभिनंदन के आगे के भविष्य के बारे में धनोआ ने बताया कि निश्चित ही उन्हें विमान चलाने की अनुमति दी जाएगी लेकिन डाक्टरों की अनुमति के बाद ही ऐसा मुमकिन है।