भारत को तोड़ने की साजिश रच रहे अलगाववादियों के लिए कनाडा स्वर्ग बन चुका है। खालिस्तानी और मुस्लिम आतंकियों के बाद मणिपुर के कुकी अलगाववादी ताकतों के लिए भी कनाडा सुरक्षित पनाहगाह और मीटिंग प्वॉइंट बनकर उभरा है।
हाल ही में सरे स्थित गुरुद्वारे में खालिस्तानी आतंकियों और मणिपुर के अलगाववादियों के बीच मीटिंग की रिपोर्ट्स सामने आ रही है। इसी गुरुद्वारे का संचालक हरदीप सिंह निज्जर कुछ समय पहले मारा गया था, जिसमें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बिना किसी ठोस सबूत के उसकी हत्या का आरोप भारत पर मढ़ दिया था।
मणिपुरी आतंकियों की खालिस्तानियों के साथ बैठक
अमर उजाला की रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर के एक अलगाववादी संगठन के प्रमुख नेता लीन गैंगटे ने कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया स्थित सरे के गुरुद्वारा गया था। वहाँ उसने न सिर्फ खालिस्तानियों की भारत विरोधी मुहिम को सपोर्ट किया, बल्कि मणिपुर में अलगाववाद की लड़ाई साथ-साथ लड़ने की बात भी कही।
लीन गैंगटे नॉर्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन (एनएएमटीए) के कनाडा चैप्टर का मुखिया है। वह मणिपुर के ईसाई बहुल पहाड़ी इलाकों को भारत से अलग कर नया देश बनाने की मुहिम चला रहा है।
अलगाववादियों का गठजोड़ भारत के लिए चिंता की बात
खालिस्तानियों के कंट्रोल वाले गुरुद्वारे में एनएएमटीए (NAMTA) के नेता लीन गैंगटे ने लोगों को संबोधित भी किया। उसने मणिपुर में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा लोगों के दमन का आरोप लगाया। इस गुरुद्वारे में हुई मीटिंग के बाद सुरक्षा एजेंसियाँ चौकन्नी हो गई हैं, क्योंकि ये गठजोड़ भारत के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।
केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने बताया है कि ये बैठक तकरीबन 3 घंटे तक चली, जिसकी पूरी जानकारी केंद्र सरकार से साझा कर दी गई है। अब इस जानकारी को कनाडा सरकार के सामने सबूतों के साथ रखा जाएगा।
यह वही गुरुद्वारा है, जहाँ से खालिस्तानी आतंकवादी भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने अपने खुफिया नोट में कहा है कि इस मीटिंग के दौरान एनएएमटीए के पदाधिकारियों और गुरुद्वारा मैनेजमेंट के लोगों (जो निज्जर के सहयोगी रहे हैं) के बीच काफी देर तक बातचीत हुई।
चीन से भी सहयोग माँग रहे खालिस्तानी
अभी कुछ दिनों पहले ही सिख फॉर जस्टिस के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने खालिस्तान के मामले में चीन से भी समर्थन माँगा था। इसके बदले में अरुणाचल प्रदेश पर चीनी कब्जे को मान्यता देने की बात कही थी। उसने चीन से खालिस्तान के लिए रेफरेंडम में साथ देने की अपील की थी।
बता दें कि कनाडा पिछले कुछ समय में बुरी तरह से एक्सपोज हुआ है। खालिस्तानी आतंकियों, इस्लामी आतंकियों और नाजी हत्यारों को संरक्षण देने के बाद अब मणिपुरी अलगाववादियों को भी संरक्षण दे रहा कनाडा आग से खेल रहा है।
कनाडा को रूस भी नाजियों को सम्मानित करने के लिए डाँट चुका है। कुछ दिन पहले ही श्रीलंका ने भी कनाडा के दोहरे रवैये को बेनकाब किया था और बताया था कि श्रीलंका के अलगाववादियों को भी कनाडा संरक्षण दे रहा है।