दिल्ली के एक कोर्ट ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के सरगना और आतंकवादी यासीन मलिक और अन्य नामजदों के ख़िलाफ़ एनआईए की चार्जशीट को स्वीकृति दे दी है। इसके अलावा अदालत ने सभी आरोपितों की न्यायिक हिरासत भी बढ़ा कर अगली सुनवाई की तारीख 17 नवंबर, 2019 तक कर दी है। इसके अलावा अदालत ने एनआईए को आदेश दिया है कि चार्जशीट की कॉपी आरोपितों को मुहैया कराई जाए।
एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक आरोपितों में यासीन मलिक के अलावा जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष शब्बीर शाह, दुख्तरान ए मिल्ल्त की प्रमुख आसिया अंद्राबी, ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के महासचिव मसर्रत आलम और पूर्व विधायक रशीद इंजीनियर हैं। इन सभी पर टेरर फंडिंग का मुकदमा अनलॉफुल (एक्टिविटीज़) प्रिवेंशन एक्ट के तहत दर्ज किया गया है। एजेंसी ने इन सब पर आतंकी गतिविधियों के लिए पैसा मुहैया कराने और घाटी में भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों पर पथराव की गतिविधियाँ आयोजित करने का इलज़ाम लगाया है।
सभी इलज़ाम एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट में लगाए गए हैं। इस महीने की शुरुआत में ही एनआईए ने उपरोक्त आरोपितों के खिलाफ एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल की थी। इसमें आरोपितों पर सीमा रेखा के उस पार पाकिस्तान में बैठे आतंकी मास्टरमाइंडों जैसे जमात उद दावा और लश्कर ए तैय्यबा का हाफिज मोहम्मद सईद और हिज़्बुल मुजाहिदीन के सैयद सलाहुद्दीन से तार जुड़े होने का आरोप लगाया गया था। इस सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जोड़े गए सबूत सोशल मीडिया वार्तालापों, कॉल रिकॉर्ड्स, मौखिक और दस्तावेज़ी सबूतों के तौर पर हैं।
2017 के टेरर फंडिंग मुकदमे में एनआईए ने पाकिस्तान में छिपे बैठे आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इनमें सात चोटी के अलगावादी, 2 हवाला के ज़रिए पैसा इधर से उधर करने वाले बिचौलिए और जम्मू कश्मीर के कुछ पत्थरबाज़ी करने वाले लोग शामिल हैं।
एनआईए को इस साल के मध्य (अप्रैल 2019) में यासीन मलिक की हिरासत 12 दिन के लिए टेरर फंडिंग के मामले में ही मिली थी। उस कस्टडी के पूरा होने के बाद उसे तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। एनआईए के मीडिया सूत्रों के मुताबिक एनआईए की हिरासत के दौरान यासीन मलिक ने स्वीकार किया था कि उसने जम्मू कश्मीर के अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों धड़ों (सैयद अली शाह गीलानी और मीरवाइज़ उमर फारूख) को साथ लाने में अहम भूमिका अदा की थी। इसी के चलते जॉइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) बनी, जिसने 2016 में कश्मीर में हिंसक पथराव और अन्य वारदातों में अग्रिम पंक्ति से भाग लिया था। इस सबसे घाटी में 4 महीनों तक सब कुछ ठप रहा था।