पुलवामा जैसे हमलों में बुरी तरह से घायल हुए जवानों के लिए DRDO के वैज्ञानिकों द्वारा ‘कॉम्बैट कैजुअलटी ड्रग’ नाम की दवा तैयार की गई है। इस दवाई की खासियत यह है कि गंभीर रूप से घायल जवान को भी इसकी मदद से अस्पताल ले जाने तक बचाकर रखा जा सकेगा।
जाहिर है कि यह कोशिश एक बेहद सराहनीय कदम है। इस खास ड्रग के अलावा डीआरडीओ की प्रयोगशाला में सैनिकों के खून को रोकने वाली दवाएँ, ड्रेसिंग और ग्लिसरेटेड सैलाइन भी तैयार की गई हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो यह खास तरह के प्रयोग और दवाइयाँ जंगल, अत्यधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध और आतंकवादी हमलों में जीवन की स्थिति को बचाने के काम आएँगे।
Good move and invention by DRDO. Nuclear medicine wing developed anty Cimbi drug which can save our injured soldiers.This drug can prevent excessive bleeding anti infection properties. Buy saving their lives to reach at the hospital KK Rao pic.twitter.com/GC4nteKcmz
— k kumar rao (@kkrao3107K) March 12, 2019
14 फरवरी को पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए DRDO के वैज्ञानिकों के अनुसार अगर जवानों को सही समय पर उचित फर्स्ट ऐड दिया जाए तो उनकी जिंदगी बचने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इन दवाओं की मदद से मृतकों की संख्या में कमी लाई जा सकती है।
DRDO में लाइफ साइंसेस के महानिदेशक एके सिंह का कहना है कि संगठन द्वारा तैयार की गई स्वदेशी दवाइयाँ अर्द्धसैनिक बलों और रक्षाकर्मियों के लिए युद्ध के समय में वरदान हैं। चूँकि, विशेषज्ञों की मानें तो उनके पास चुनौतियाँ बहुत हैं, अधिकतम मामलों में युद्ध के दौरान सैनिकों की देखभाल के लिए सीमित उपकरणों के साथ केवल एक ही चिकित्सककर्मी होते हैं। जिसके कारण मौक़े पर घायल जवानों को उचित उपचार नहीं मिल पाता है। इन दवाइयों की मदद से घायल जवान को युद्धक्षेत्र से स्वास्थ्य देखभाल के लिए अस्पताल तक (बिना अधिक खून बहे) पहुँचाया जा सकेगा।