कश्मीर के आदिल अहमद ने ऑस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड से एमबीए किया, और उसके बाद चला गया आइएस, ‘प्लेसमेंट’ में। 2013 में सीरिया जाकर आतंकी बनने वाले आदिल ने घर पर बताया था कि वह सीरिया एक एनजीओ के साथ काम करने जा रहा है। और अब जबकि आइएस को अमेरिकी-गठबंधन के देशों ने हरा दिया है, और आदिल उनकी जेल में है, तो उसके पिता उसे बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं। हाल ही में इसी सिलसिले में उनकी एक याचिका राज्य पुलिस ने केंद्र सरकार को अग्रेषित की है।
वालिद चलाते हैं डिपार्टमेंटल स्टोर, निकाह कर डच बेगम को भी बना दिया जिहादिन
आदिल के वालिद फ़याज़ अहमद डिपार्टमेंटल स्टोर चलाने के साथ-साथ कॉन्ट्रैक्टर का काम करते हैं घर चलाने के लिए। उनके अनुसार उनके लिए अभी भी यह यकीन करना मुश्किल है कि उनकी औलाद ऐसे खूँखार संगठन में जा सकती है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस से बात करते हुए वह बताते हैं कि उन्हें नई केंद्र सरकार से उम्मीद है कि उनके बेटे की घर-वापसी को गति मिलेगी।
पढ़ाई पूरी करने के पहले ही आतंकी समूहों के संपर्क में आने के बाद आदिल एमबीए खत्म कर जॉर्डन से होता हुआ 21 जून, 2013 को तुर्की जा पहुँचा। वहाँ एनजीओ में काम करने के बहाने पहुँचने के बाद उसने एक डच (हॉलैंड निवासी) महिला से निकाह भी कर लिया, और उसे भी जिहाद में शामिल कर लिया। 2014 में उसकी बेगम ने एक बेटे को उसी खूनी माहौल में जन्म दिया, जो ज्यादा दिन जिन्दा न रहा।
आदिल और उसके कुछ सौ साथियों ने जब आइएस छोड़ हथियार डाले तो उन्हें जेल भेज दिया गया। वहाँ से उसकी डच बेगम ने इंटरनेशनल रेड क्रॉस सोसाइटी की मदद से अपने ससुराल वालों से हिंदुस्तान में संपर्क किया, और मदद की गुहार की। आदिल कश्मीर से आइएस में जाने वाला पहला दहशतगर्द है। फ़याज़ अहमद बताते हैं कि जब उन्होंने अधिकारियों से मदद की गुहार की तो उन्हें पता चला कि नई केंद्र सरकार बनने के बाद ही मामले पर विचार होगा।
सुरक्षा एजेंसियों की दिलचस्पी
फाइनेंशियल एक्सप्रेस बताता है कि आदिल की वापसी में सुरक्षा एजेंसियाँ भी दिलचस्पी दिखा रही हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी के हवाले से अख़बार दावा करता है कि अगर आदिल को वापिस ले आया जाए तो आइएस के काम करने के तरीके, उनके भविष्य के इरादे सहित बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिल सकती हैं।