Monday, December 23, 2024
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अतानासियो लोबो को चाहिए था ‘आजाद गोवा’, पुलिस ने कर दिया स्वतंत्रता संघर्ष का अंत

मामले की जाँच में पुलिस ने भी पाया कि स्वघोषित स्वतंत्रता सेनानी ने अपनी याचिका में 'भारतीय आक्रमण' से गोवा को मुक्त कराने की और 1961 के बाद से अवैध कब्जे से गोवा को आजाद करने की माँग की थी। जिसके आधार पर पुलिस ने उसके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया।

कनाडा में रहकर गोवा को भारत से आजाद कराने की माँग उठाने वाले ‘स्वतंत्रता सेनानी’ के खिलाफ गोवा की क्राइम ब्रांच ने देशद्रोह के आरोप में मामला दर्ज किया है। आरोपित युवक की पहचान अतानासियो लोबो के रूप में हुई है।

अतानासियों पर आरोप है कि वह देश की अखंडता को तोड़ने के लिए ऑनलाइन प्लैटफॉर्म के जरिए ऐसी अर्जी पर हस्ताक्षर ले रहा था जिसमें देश से गोवा को अलग करने की माँग थी और इस अर्जी को उसने संयुक्त राष्ट्र के लिए लिखा था।

जानकारी के मुताबिक, इस याचिका पर 4,200 लोग बतौर हस्ताक्षरकर्ता जुड़ चुके थे। ऐसे में गोवा पुलिस के संज्ञान में ये मामला तब आया जब ‘रेवोल्यूशनरी इंडियंस’ नामक एनजीओ ने लोबो के खिलाफ गोवा के मापुसा थाने में शिकायत दर्ज कराई।

इस शिकायत में उक्त युवक पर आरोप लगाया गया कि उसने इस याचिका के जरिए भारत सरकार द्वारा स्थापित कानून के प्रति विद्रोह की साजिश को भड़काने का प्रयास किया।

बाद में, मामले की जाँच में पुलिस ने भी पाया कि स्वघोषित स्वतंत्रता सेनानी ने अपनी याचिका में ‘भारतीय आक्रमण’ से गोवा को मुक्त कराने की और 1961 के बाद से अवैध कब्जे से गोवा को आजाद करने की माँग की थी। जिसके आधार पर पुलिस ने उसके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया।

गौरतलब है कि इस याचिका में यूनाइटिड नेशन जनरल असेंबली से इस मामले यानी-आजाद गोवा- की माँग पर नए नजरिए से गौर करने की अपील की गई थी और साथ ही इसमें यूएन के वर्तमान सदस्यों को संबोधित करते हुए ये भी लिखा गया था कि विश्व शांति के रखवाले होने के नाते वे इस विषय पर नजर डालें।

इसमें लिखा था, “गोवा को भले ही संप्रभुता हासिल नहीं हुई हो, लेकिन इससे उसके अधिकार समाप्त नहीं होते। ऐसा अधिकार जो दूसरों द्वारा कल्पित नहीं किया जा सकता। वो अधिकार जो लोगों के लिए निहित है। इस मामले में, अधिकार गोवावासियों का है और संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा स्थापित ढाँचे के अंतर्गत सचेत और स्वतंत्र रूप से प्रयोग किया जाना है।”

बता दें, लोबो के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जा चुकी है और आखिरी बार उसने अपनी 2 साल पुरानी याचिका को 11 मई 2020 को अपडेट किया था। इस अपडेट में ये बताने की बजाय कि उसपर देशद्रोह का केस लग चुका है, उसने गोवा वासियों पर आरोप लगाया कि वे आजादी को लेकर सचेत नहीं है। इसलिए वे इस याचिका को बंद करने पर विचार कर रहा है।

इस अपडेट के कुछ घंटों बाद उसने इस याचिका को क्लोज कर दिया और इसके पीछे वजह दी कि दो साल से इस याचिका पर 5000 लोग हस्ताक्षर नहीं कर पाए। इसलिए उसने इसे बंद कर दिया है।

गौरतलब है कि गोवा हेराल्ड की खबर के अनुसार, लोबो के खिलाफ़ इस मामले के संबंध में आईपीसी की धारा 124 ए के तहत मामला दर्ज हुआ है। अब क्राइम ब्रांच उन लोगों को भी समन भेजने की तैयारी कर रही है जिन्होंने इस ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर किया।

पुलिस का कहना है कि याचिका पर साइन करने वाले तमाम लोगों में से कुछ ही गोवा के रहने वाले हैं। वरना बाकी सब हस्ताक्षरकर्ता बाहर रहते हैं। इतना ही नहीं, लोबो खुद भी इस समय गोवा में नहीं कनाडा में रहता है, जिसने मामला तूल पकड़ने के बाद अपना ट्विटर अकॉउंट डिलीट कर दिया है और अब पुलिस की नजरों से छिपा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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