गुजरात पुलिस ने शनिवार (4 मई 2024) को सूरत से एक मौलवी को गिरफ्तार किया है। मौलवी का नाम सोहेल अबू बकर तिमोल है। 27 वर्षीय मौलवी पर भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा, हैदराबाद के गोशमहल से भाजपा विधायक टी राजा सिंह, सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके और सोशल मीडिया पर सक्रिय उपदेश राणा की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। मौलवी इन सभी को ‘गुस्ताख़’ मानता था। इन साजिशों को अंजाम देने के लिए सोहेल नेपाल और पाकिस्तान में बैठे आकाओं के सम्पर्क में था। सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए वह विदेशी सिम भी प्रयोग कर रहा था। फिलहाल उससे पूछताछ में और खुलासे होने की उम्मीद है।
गुजरात पुलिस के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2024 के तहत पुलिस टीमें पूरी तरह से सतर्क थीं। इसी बीच सूरत की क्राइम ब्रांच ने एक मौलवी की संदिग्ध हरकतों पर नजर गड़ाई। मौलवी का नाम मोहम्मद सोहेल है, जिसे कुछ लोग अबू बकर तीमोल भी कहते हैं। वह मूल रूप से महाराष्ट्र के नंदुरबार का रहने वाला है। फिलहाल वह सूरत के एक मदरसे में हाफ़िज़ है और करजा-अम्बोली गाँव में मुस्लिम छात्रों को ट्यूशन के माध्यम से मज़हबी तालीम देता है। इन सभी के अलावा अबू बकर सूरत के डायमंड नगर की एक धागा फैक्ट्री में मैनेजर के तौर पर भी ड्यूटी करता है।
पुलिस ने मौलवी की जाँच की तो पाया कि वह पिछले डेढ़ साल से पाकिस्तान और नेपाल के हैंडलरों के सम्पर्क में था। नेपाल के हैंडलर का नाम शहजाद बताया जा रहा है। इन सभी से बात करने के लिए मौलवी अबू बकर लाओस देश के एक नंबर का इस्तेमाल करता था। बातचीत के लिए वह व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया हैंडलों का प्रयोग करता था।
आरोप है कि दोनों विदेशी आकाओं ने मौलवी को भारत में हिन्दू संगठनों द्वारा इस्लाम के पैगंबर के अपमान की पट्टी पढ़ाई। मौलवी को उसके आकाओं ने फरमान सुनाया कि वह नबी की शान में गुस्ताखी कर रहे लोगों को ‘सीधा करे’। यहाँ सीधा करने के कोड का अर्थ ‘हत्या करना’ माना जा रहा है।
व्हाट्सएप ग्रुप में इंडोनेशिया से कजाकिस्तान के मेंबर
टारगेट के तौर पर विदेशी आकाओं ने मौलवी अबू बकर को सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके, भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा, सनातन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपदेश राणा और हैदराबाद के गोशमहल से भाजपा विधायक टी राजा सिंह के नाम गिनाए। इन लोगों की हत्या कमलेश तिवारी की तरह गर्दन काट कर करने को कहा गया था। इन हत्याओं की एवज में मौलवी को 1 करोड़ रुपए देने का वादा भी किया गया था। बताया यह भी जा रहा है कि विदेशी आकाओं के कहने पर मौलवी ने अपना एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया और उसमें अपनी सोच के लोगों को एड किया।
इस ग्रुप में मौलवी ने हिन्दू धर्म के खिलाफ अभद्र बातें लिखीं और उपदेश राणा की फोटो शेयर करके उनका काम तमाम करने की अपील की। अबू बकर पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज के चित्रों से छेड़छाड़ करने का भी आरोप है। वह 6 दिसंबर को काला दिवस कहता था। अपने ग्रुप में वह हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें को आपत्तिजनक तरीके से एडिट करके शेयर कर रहा था। माना यह भी जा रहा है कि उसका सम्पर्क पाकिस्तान और नेपाल के अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान आदि के नंबरों से भी सामने आया है।
मौलवी अबू बकर विदेशी हैंडलरों के माध्यम से हथियार मँगवाने की भी फिराक में था। हालाँकि आरोपित अपनी साजिश को अंजाम दे पाता, उससे पहले वह सूरत क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ गया। अबू बकर के खिलाफ सूरत के डी.सी.बी. पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 153(ए), 467, 468, 471, 120(बी) के साथ आईटी एक्ट की धारा धारा 66(डी), 67, 67(ए) के तहत कार्रवाई की गई है। सूरत क्राइम ब्राँच मामले की जाँच कर रही है। माना जा रहा है कि आगे की पूछताछ में अबू बकर कुछ और खुलासे कर सकता है।
ओवैसी का फॉलोवर, सलमान का फैन और हमास का प्रेमी
ऑपइंडिया ने मौलवी अबू बकर और उसके हैंडलरों की पड़ताल की। गिरफ्तार मौलवी ने अपने व्हाट्सएप पर हमास के आतंकियों की प्रोफ़ाइल फोटो लगा रखी है। इन तस्वीरों में कई नकाबपोश आतंकी घातक हथियारों के आगे खड़े होकर सजदा कर रहे हैं। टूटी-फूटी अंग्रेजी में मौलवी अबू बकर ने अपने ट्रू कॉलर पर परिचय के तौर पर ओवैसी का फॉलोवर लिख रखा है।
वहीं नेपाल में बैठा मौलवी का हैंडलर शहजाद बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान का फैन है। उसने अपने व्हाट्सएप DP पर सलमान खान और ऐश्वर्या राय की प्रोफ़ाइल लगा रखी है।
साजिश रचने में ऐप का इस्तेमाल
मौलवी द्वारा ऑपरेट किए जा रहे व्हाट्सएप ग्रुप की पड़ताल में भी पुलिस जुटी है। सूरत के पुलिस कमिश्नर अनुपम सिंह गहलोत ने बताया कि 27 वर्षीय मौलवी को सूरत के चौक बाजार इलाके से पकड़ा गया है। उन्होंने बताया कि मौलवी का मोबाइल चेक करके प्रथम दृष्टया ही पता चल गया था कि वह चरमपंथी विचारधारा से प्रेरित है।
सूरत में ही रहने वाले उपदेश राणा को पिछले महीने मिली जान से मारने की धमकी में भी मौलवी अबू बकर का ही हाथ बताया जा रहा है। आरोपित कुछ ऐसे ऐप भी प्रयोग कर रहे थे, जिनको आसानी से ट्रेस नहीं किया जा सकता है। ये सभी अपने टारगेट की तस्वीरें और वीडियो अपने ग्रुप में डालते थे और उसकी हत्या की सामूहिक साजिश रचने में जुट जाते थे।