“यह (सिक्किम) तुम्हारी भूमि नहीं है, यह भारतीय क्षेत्र नहीं है … इसलिए वापस जाओ।” ये कहते हुए चीनी जवान अपनी सेना की ओर बढ़ रहा था।
तभी एक दुबला-पतला, तकरीबन एक साल पहले ही सेना में भर्ती हुए लेफ्टिनेंट ने कहा – “क्या सिक्किम हमारे क्षेत्र में नहीं है? क्या बकवास है!” इतना चिल्लाते हुए भारतीय जवान उसकी ओर बढ़ा और चीनी मेजर की नाक पर जोरदार मुक्का जड़ दिया।
उत्तरी सिक्किम में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारतीय सेना के जवानों और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के जवानों की झड़प के बाद लद्दाख सीमा पर चीनी चॉपर्स देखे जाने का मामला सामने आया है और लगातार गरमा-गर्मी बरकरार है।
इसी बीच यह एक ऐसा किस्सा सामने आया है, जिसमें भारतीय सैनिक के जोश और जज्बे के उदाहरण की तारीफ हो रही है।
स्वराज्य की रिपोर्ट के अनुसार, सिक्किम के मुगुथांग में भारतीय सेना के एक लेफ्टिनेंट ने चीनी सेना के मेजर की नाक पर मुक्का मारकर उसकी नाक से खून निकाल दिया था।
दरअसल, पिछले सप्ताह सिक्किम में चीन की PLA सेना अतिक्रमण करने के ख्वाब में थी, जिसे भारतीय सैनिकों ने अपनी जाँबाजी से रोक दिया था।
इसी दौरान एक चाइनीज सैनिक ने भारतीय सैनिकों से कहा था कि सिक्किम तुम्हारी जमीन नहीं है, यह भारत का हिस्सा नहीं है और भारतीय सैनिकों को वहाँ से चले जाने की धमकी दी।
चीन के इस मेजर की बात सुनकर एक युवा भारतीय लेफ्टिनेंट को गुस्सा आ गया और उसने कहा – “क्या, सिक्किम हमारा हिस्सा नहीं है? क्या बकवास है?”
युवा लेफ्टिनेंट की बात सुनकर चीनी मेजर उसकी ओर बढ़ने लगा। ये देखकर लेफ्टिनेंट ने उस पर झपटकर उसकी नाक पर जोरदार मुक्का मार दिया।
ये घूँसा इतना जोरदार था कि चीनी सेना का मेजर वहीं गिर गया और उसकी नेमप्लेट भी जमीन पर गिर गई। ये भारतीय लेफ्टिनेंट इसे अपने साथ लाना चाहते थे लेकिन तभी उनके साथी उन्हें खींचकर पीछे की ओर ले आए।
इस घटना से एक ओर जहाँ लेफ्टिनेंट को वाहवाही मिल रही है वहीं, उन्हें अधिकारियों से डाँट भी मिली है। क्योंकि यह कारनामा बड़ा विवाद भी पैदा कर सकता था।
कोलकाता के फोर्ट विलियम में सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह घटना चीनी मेजर के उकसाए जाने का नतीजा थी। युवा लेफ्टिनेंट चीनी जवान पर एक-दो और घूँसे मारने वाला था कि उसके साथियों ने उसे पीछे खींच लिया।
युवा लेफ्टिनेंट के पिता भी निकाल चुके हैं चीनी जवानों की नाक से खून
इस घटना के बाद एक यह तथ्य भी सामने आया है कि युवा लेफ्टिनेंट ने वही कारनामा दोहराया है जो उनके पिता वर्ष 1986 में पश्चिमी अरुणाचल प्रदेश के सुमदोरोंग चू में कर चुके थे।
युवा लेफ्टिनेंट के पिता, कर्नल (सेवानिवृत्त) आशीष दास ने उस वर्ष की शुरुआत में सर्दियों में चीनियों की नाक से खून निकाला था। कर्नल उस समय युवा कैप्टन थे। उन्होंने चीनियों के ख़िलाफ़ एक भयंकर हमले का नेतृत्व किया था।
चीनी सैनिकों ने उस समय भारतीय क्षेत्र में घुसकर अरुणाचल प्रदेश में ज़ीमथांग में अपने स्थाई निर्माण तैयार करने शुरू कर दिए थे।
यह ऑपरेशन तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल कृष्णस्वामी सुंदरजी द्वारा संचालित ‘ऑपरेशन फाल्कन’ का हिस्सा था। दास की बहादुरी, जिन्हें उस समय असम रेजिमेंट में कमीशन किया गया था, ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ‘रिज-टॉप’ को वापस लेने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद में उनके नाम पर ही ‘आशीष टॉप’ नाम दिया गया था।
चीनी मेजर के नाक से खून निकालने वाले युवा लेफ्टिनेंट के दादा, यानी, आशीष दास के पिता, मास्टर वारंट ऑफिसर (MWO) बीबी दास ने रॉयल एयर फोर्स और फिर भारतीय वायु सेना में सेवा की थी।
वे प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लाहौर में तैनात थे और उन्होंने 1971 के बांग्लादेश युद्ध के भी गवाह बने। बाद में वह बैरकपुर में एक सिग्नल इकाई से सेवानिवृत्त हुए।
ज्ञात हो कि कर्नल दास की बेटी भी एक आर्मी ऑफिसर हैं जो कि एडवोकेट जनरल ब्रांच में जज हैं। यह आर्मी की कानूनी शाखा है।