Monday, December 23, 2024
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भारत ने किया अग्नि-5 का सफल परीक्षण: 5000 किमी तक निशाना, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल की रेंज में पूरा चीन

अग्नि-5 भारत की इकलौती मिसाइल होगी, जिसे इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल या आईसीबीएम की कैटिगरी में रखा जा सकता है। इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल वो मिसाइल होती है, जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मार कर सके।

भारत ने बुधवार को उच्च सटीकता के साथ 5,000 किलोमीटर तक का लक्ष्य भेदने में सक्षम अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल का ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इस मिसाइल की जद में पूरा पाकिस्तान के साथ-साथ चीन के लगभग सारे शहर आ जाएँगे। सीमा पर चीन के साथ जारी विवाद के बीच अग्नि-5 का सफल परीक्षण भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस सफल परीक्षण के साथ ही अग्नि-5 मिसाइल को अब सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। यह मिसाइल तीन चरणीय ठोस ईंधन का उपयोग करती है और पारंपरिक विस्फोटकों के साथ-साथ यह परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है।

अग्नि-5 मिसाइल 1,500 किलोग्राम तक के परमाणु हथियार अपने साथ ले जा सकती है और दुश्मन के किसी भी शहर को नेस्तनाबूद कर सकती है। 50 टन वजन वाली अग्नि-5 मिसाइल 17.5 मीटर लंबी है और इसका व्यास 2 मीटर यानी 6.7 फीट है। यह मिसाइल एक सेकेंड में 8.16 किलोमीटर की दूरी तय करती है। अग्नि-5 भारत की इकलौती मिसाइल होगी, जिसे इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल या आईसीबीएम की कैटिगरी में रखा जा सकता है। इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल वो मिसाइल होती है, जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मार कर सके।

अग्नि-5 की MIRV तकनीक भी बेहद खास है, जिसकी वजह से इसके वॉरहेड पर एक की जगह कई हथियार लगाए जा सकते हैं। ऐसे में मिसाइल एक बार में कई टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती है। दावा किया जा रहा है कि इस मिसाइल के जरिये पूरे एशिया, यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों को निशाना बनाया जा सकता है। भारत की इस शक्तिशाली मिसाइल का निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने मिलकर किया है। 

गौरतलब है कि अग्नि-2, 3 और 4 मिसाइलें भारतीय सेना में पहले से ही कमीशन हो चुकी हैं और अब अग्नि-5 की बारी है। इस सफल परीक्षण के साथ ही भारत उन 8 चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइलें हैं। इस मिसाइल के सेना में शामिल होने से भारत को इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की ताकत हासिल हो जाएगी, जो अब तक अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस जैसे कुछ गिने-चुने देशों के पास ही हैं।

गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से इस मिसाइल का परीक्षण किए जाने की अटकलें चल रही थीं। इन अटकलों पर चीन भड़क गया था और आरोप लगाया था कि भारत एशिया में शांति का माहौल खराब करना चाहता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने बयान दिया था कि दक्षिण एशिया के सभी देशों को क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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