जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए लगभग 1 वर्ष पूरे हो गए हैं और इसके साथ ही भारतीय सुरक्षा बलों के लिए सरकार नई सौगात भी लेकर आई है। अब सुरक्षा बलों के जवानों को राज्य में भूमि के अर्जन/अधिग्रहण के लिए ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) लेने की कोई ज़रूरत नहीं है। इससे भारतीय सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ व गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले अन्य सशस्त्र बलों को फायदा मिलेगा।
इससे पहले के आदेश के हिसाब से सुरक्षा बलों के जवानों को जमीन अधिग्रहण के लिए NOC सर्टिफिकेट लेने लेने की आवश्यकता पड़ती थी, जिसके लिए उन्हें काफी जद्दोजहद करनी होती थी। अब जब ये आदेश वापस हो गया है, भूमि अधिग्रहण के लिए सेना के लिए रास्ते खुल गए हैं। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव पवन कोतवाल ने सम्बन्ध में शुक्रवार (जुलाई 24, 2020) को एक आदेश जारी किया।
इससे पहले सुरक्षा बलों के जवानों को गृह मंत्रालय के पास NOC के लिए आवेदन करना होता था। अब इससे राहत मिल गई है। असल मे सुरक्षा बलों को कई क्षेत्रों में कन्स्ट्रक्शन कार्य करने होते हैं। अब कुछ क्षेत्रों को चुन कर उसे ‘रणनीतिक क्षेत्र’ घोषित करने में भी आसानी होगी, जहाँ सुरक्षा बलों के जवान आसानी से निर्माण-कार्य कर सकें और जरूरत पड़ने पर उस क्षेत्र का इस्तेमाल कर सकें।
With the abrogation of Article 370 defence forces won’t face any major hurdle in acquiring land in Jammu and Kashmir.
— Y. Satya Kumar (@satyakumar_y) July 28, 2020
This will go a long way in the construction of strategic infrastructure in time bound manner!
A giant leap in the right direction!https://t.co/8rUSez57Ps
जम्मू कश्मीर चूँकि अब केंद्र शासित प्रदेश है, इसीलिए अब यहाँ केंद्र सरकार के नियम-कानून लागू हो रहे हैं। केंद्र के नियम लागू होने के बाद जम्मू कश्मीर में अब राइट टू फेयर कंपनसेशन एंड ट्रांसपरेंसी इन लैंड इक्वीजिशन, रिहैबिलिशन एंड रिसेटलमेंट एक्ट, 2013 के तहत भूमि अधिग्रहण का रास्ता भी साफ हो गया है। जिस सर्कुलर को वापस लेने के बाद ये संभव हो सका है, वो 1971 में आया था।
अब जिले में ही सारा कार्य हो जाएगा क्योंकि सभी जिलों के डीएम को भूमि अधिग्रहण संबंधी कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए अनुमति और निर्देश दे दिए गए हैं। रणनीतिक कार्यों के लिए नेवी, एयरफोर्स और सशस्त्र बलों को अन्य राज्यों में पहले से ही ये सुविधाएँ हासिल हैं लेकिन जम्मू कश्मीर में ऐसा नहीं हो पाता था। राज्यों में पुलिस को भी ये अधिकार मिले हुए हैं। लोगों ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।