जम्मू और कश्मीर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इम्तियाज हुसैन (Imtiyaz Hussain) ने अपने व्यक्तिगत अनुभव से एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना को क्रूर और आक्रामक साबित करने के लिए पाकिस्तान के साथ मिलकर घाटी में रहने वाले कट्टरपंथी किस प्रकार आतंकी घटनाओं का नैरेटिव बदलकर समाज के सामने पेश करते हैं और युवाओं का ब्रेनवॉश करने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं।
जम्मू और कश्मीर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इम्तियाज हुसैन ने ट्विटर पर वर्ष 2001 की एक आतंकी घटना का जिक्र करते हुए ट्विटर पर लिखा है – “मई 08, 2001 को आतंकवादियों ने एक IED विस्फोट करके बीएसएफ कैंप पर हमला किया। इस हमले में कुछ बीएसएफ के जवानों और नागरिकों की मौत हो गई। मृतकों में मेरी एक 14 वर्षीय चचेरी बहन भी थी। डेड बॉडी में चोट के निशान थे। और उसके बाद लोगों ने मेरे परिवार को यह कहने के लिए मजबूर किया कि वह BSF द्वारा मारी गई थी। यह कश्मीर है, जहाँ शव बेचे जाते हैं।”
May 8,2001
— Imtiyaz Hussain (@hussain_imtiyaz) July 1, 2020
Terrorists attacked a BSF camp by exploding an IED.Some BSF men & civilians killed.Among the deceased was my 14 year old cousin.
Dead body had balst injuries. And then came PEOPLE coercing my family to say she was killed by BSF.This is Kashmir, where dead bodies sell.
लेकिन ट्विटर पर इस बड़े खुलासे ने कट्टरपंथियों को आक्रोशित कर दिया और वो अपनी भावनाओं को बाहर रखने से खुद को नहीं रोक पाए। ऐसे ही शाहीद पीर नाम के एक ट्विटर यूजर ने इम्तियाज हुसैन के ट्वीट के जवाब में लिखा – “तुम बीजेपी के प्रवक्ता की तरह बात कर रहे हो, तुम कश्मीर के समर्थक नहीं हो।” हालाँकि, शाहीद पीर ने अब अपना यह ट्वीट डिलीट कर दिया है।
@Gangsofnewyrk नाम के एक अन्य यूजर ने लिखा है – “आप पहले ही अपना विवेक खो चुके हैं। आपको आखिरात में कश्मीरी बेगुनाहों को मारकर सत्ता की चाह और व्यक्तिगत लाभ के लिए जवाब देना होगा।”
कुछ कट्टरपंथी ट्विटर एकाउंट्स ने इम्तियाज हुसैन के खुलासे से बौखलाकर उन्हें गालियाँ भी दी हैं।
एक ट्विटर यूजर ने किसी गोपनीय ग्रुप का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा है कि किस तरह से कट्टरपंथी आतंकी घाटी में होने वाली मौतों का नैरेटिव बदलते हैं। इस स्क्रीनशॉट में ग्रुप का नाम है – ‘साइकोलॉजीकल वारफेयर सेंटर’
— Kotur (@kashur_kotur) July 1, 2020
ग्रुप चैट में किसी आतंकी घटना का 10 सेकंड का वीडियो शेयर किया गया है और साथ ही लिखा गया है कि इस कॉपी को डाउनलोड करो और इसका दोष आतंकवादियों पर नहीं आना चाहिए।
इसके अलावा 60 वर्षीय बशीर अहमद की मौत की खबर को शेयर करते हुए यह भी लिखा गया है कि इसे भी इस्तेमाल करो और ऐसा नैरेटिव तैयार करो कि उन्हें CRPF के जवानों ने ही मारा।
ख़ास बात यह है कि ‘कश्मीर ऑब्जर्वर’ नाम की वेबसाइट पर इस घटना के विवरण में ठीक यही बात लिखी पाई गई है, यानी मृतक साठ वर्षीय बशीर अहमद के बेटे ने कहा कि उनके पिता को एक मुठभेड़ के दौरान वाहन से नीचे उतारा गया और फिर सीआरपीएफ द्वारा मार दिया गया।
यानी बेहद शातिराना तरीके से आतंकवादियों के मुखपत्र की तरह काम करने वाली इस प्रकार की वेबसाइट उस नैरेटिव को आगे बढ़ाती हैं, जो कि इन तक इनके आकाओं द्वारा पहुँचाया जाता है। और शायद यही एक कारण भी है कि कट्टरपंथी इस्लामिक विचारधारा के साथ ही अन्य मुस्लिम समुदाय के लोग भी घाटी में मारे जाने वाले आतंकवादियों के प्रति अक्सर सहानुभूति दिखाते हुए पाए जाते हैं।