फहीम असलम, मुरवत हुसैन मीर और अर्शिद अहमद ठोकर वेतन तो जम्मू-कश्मीर की सरकार से लेते थे। लेकिन काम पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठनों के लिए करते थे। तीनों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। इन पर यूएपीए के तहत केस चलेगा।
फहीम असलम कश्मीर यूनिवर्सिटी का PRO (जनसम्पर्क अधिकारी) था। वहीं अर्शिद अहमद पुलिस महकमे में तो हुसैन मीर राजस्व विभाग में तैनात था। तीनों पर आतंकी विचारधारा को बढ़ावा देने और आतंकियों के लिए पैसे जुटाने जैसे आरोप हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा तीनों को बर्खास्त किए जाने की जानकारी सोमवार (17 जुलाई 2023) को सार्वजानिक की गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बर्खास्त किए गए तीनों सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से निगरानी की जा रही थी। फहीम असलम साल 2006 में कश्मीर यूनिवर्सिटी में बतौर संविदा कर्मचारी नियुक्त हुआ था। थोड़े समय बाद उसे नियमित कर दिया गया। ग्रेटर कश्मीर पर लिखे गए लेख और सोशल मीडिया हैंडल पाकिस्तान के प्रति उसकी वफादारी की पुष्टि करते हैं। इनमें 23 मई 2020 को लिखी एक पोस्ट शामिल है। इस पोस्ट में फहीम ने लिखा था, “एक सच्चाई जो कभी बदल नहीं सकती। कश्मीर हमेशा पाकिस्तान के साथ ईद मनाएगा। हम पाकिस्तान के साथ रहेंगे।” एक अन्य पोस्ट में फहीम ने कश्मीर में मारे गए आतंकियों की तारीफ की थी। यूनिवर्सिटी में उसकी नियुक्ति भी संदेहों के घेरे में है। तब इस पद के लिए न तो कोई विज्ञापन जारी हुआ था और न ही उसका पुलिस वेरिफिकेशन करवाया गया था।
बर्खास्त हुआ पुलिस कॉन्स्टेबल अर्शिद अहमद साल 2006 में भर्ती हुआ था। शुरुआत में वह जम्मू-कश्मीर पुलिस के सशत्र बल में था जो बाद में नागरिक पुलिस में ट्रांसफर हो गया था। सिपाही अर्शिद अहमद ठोकर कई सुरक्षा प्राप्त लोगों के गनर के रूप में भी काम कर चुका है। हुसैन मीर रेवेन्यू डिपार्टमेंट का मुलाजिम था। तीनों पर विदेशी आकाओं के इशारे पर काम करने का आरोप है। मना जा रहा है कि ये सभी भारत के खिलाफ लोगों को भड़का रहे थे।