केरल की पुलिस ने कल रात (शुक्रवार, 2 नवंबर, 2019 को) दो माकपा कार्यकर्ताओं को कथित तौर पर माओवाद समर्थक ब्रोशर और पर्चे कोझिकोड में बाँटते हुए गिरफ्तार किया है। दोनों कानून के छात्र यानि लॉ स्टूडेंट बताए जा रहे हैं। दोनों पर कोझिकोड जिले के पंथीरैंकवू पुलिस थाने में अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
दोनों आरोपितों का नाम एलन शुहैब और थाहा फसल बताया जा रहा है। द न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों का ताल्लुक थालास्सेरी जिले से बताया जा रहा है। मीडिया खबरों के मुताबिक दोनों को माओवाद समर्थक पर्चे बाँटते पंथीरैंकवू के बाजार में कल देखा गया था। आरोप यह भी लग रहा है कि जब पुलिस ने मौके पर पहुँच कर उन छात्रों को गिरफ्तार किया, तब भी दोनों ने माओवाद समर्थक नारे लगाने शुरू कर दिए।
यहाँ यह जान लेना ज़रूरी है कि केरल में माकपा की ही सरकार है। एलन शुहैब के तार कोझिकोड की स्थानीय कलाई थिरुवन्नूर ब्रांच से जुड़े बताए जा रहे हैं। एलन को माकपा की छात्र इकाई स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफआई) का भी पूर्व सदस्य बताया जा रहा है, जिसमें वह पंथीरैंकवू एरिया कमेटी का मेंबर था। जब वह पंथीरैंकवू से थालास्सेरी में लॉ की पढाई करने के लिए गया, तो पंथीरैंकवू की उसकी सदस्य्ता निरस्त हो गई थी। वहीं दूसरी ओर थाहा फसल को माकपा की पंथीरैंकवू स्थानीय शाखा की डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (डीवाईएफआई) यूनिट का सेक्रेटरी बताया गया है।
मामले और आरोपों की की गंभीरता को देखते हुए राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मामले पर नज़र रखने के लिए पंथीरैंकवू थाने पहुँचने शुरू हो गए हैं। पंथीरैंकवू पुलिस थाने के एक अधिकारी ने द न्यूज़ मिनट से बातचीत करते हुए कहा, “हमने उन्हें अभी तक अदालत में पेश नहीं किया है। उन पर आरोप अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए) के तहत लगे हैं। नॉर्थ ज़ोन के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस अशोक यादव पुलिस थाने में स्थिति की जानकारी लेने और आगे के कदमों का निर्देश देने के लिए पहुँचे हुए हैं।” द न्यूज़ मिनट ने अधिकारी के नाम का खुलासा नहीं किया है।
वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने इस पर राजनीतिक आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं। राज्य की विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने कहा है कि कथित तौर पर माओवाद समर्थक ब्रोशर और पर्चे बाँटने के लिए दोनों लॉ छात्रों के खिलाफ यूएपीए का इस्तेमाल बर्बर कृत्य है। उन्होंने कहा कि यूएपीए के प्रावधान इस मामले पर लागू नहीं होते हैं; वे विचारधाराओं के साथ खड़े लोगों पर लगाए जाने के लिए नहीं हैं। उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा कि लेफ्ट की सरकार लोकतान्त्रिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही है।