बिना किसी संगठन या ढाँचे के अकेले दहशत फ़ैलाने वाले आतंकवादी को भी आतंकवादी घोषित करने वाला गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) संशोधन अधिनियम (UAPA) लोक सभा में पास हो गया है। इसके ज़रिए अब सरकार इस्लामिक स्टेट के इराक-सीरिया में खत्म होने के बाद हिंदुस्तान लौटे संभावित ‘लोन वुल्फ टेररिस्ट’ (अकेले जिहादियों) पर कानूनी नकेल आसानी से कस सकेगी। इस संशोधन के ज़रिए सरकार ने NIA के महानिदेशक को ऐसे लोन-वुल्फ जिहादी की सम्पत्ति मामले की जाँच के दौरान ज़ब्त कर लेने की ताकत प्रदान की है। इस दौरान सरकार की ओर से बहस का नेतृत्व गृह मंत्री और भाजपा प्रमुख अमित शाह ने किया।
कॉन्ग्रेस ने जताई थी ‘संघीय ढाँचे’ वाली आपत्ति
चूँकि NIA को इस संशोधन के ज़रिए संदिग्ध को दहशतगर्द घोषित करने और बिना राज्य पुलिस के मुखिया (डीजीपी या समकक्ष रैंक) से सहमति लिए ऐसे दहशतगर्द घोषित हुए लोगों की सम्पत्ति ज़ब्त करने का अधिकार मिल जाता है, अतः कॉन्ग्रेस इस संशोधन पर संघीय ढाँचे को दरकिनार करने का हवाला दे कर आपत्ति जता रही थी। अमित शाह ने इस पर कॉन्ग्रेस को UAPA कानून कॉन्ग्रेस द्वारा ही पास किए जाने की याद दिलाते हुए आईना दिखाया। कॉन्ग्रेस के सवाल उठाने को आड़े हाथों लेते हुए शाह ने कहा कि जब कॉन्ग्रेस राजग पर सवाल उठाती है तो भूल जाती है कि यह कानून लाया कौन (कॉन्ग्रेस) था और किसने उसे कड़ा बनाया। उन्होंने कहा कि कानून आप (कॉन्ग्रेस) लाए थे, आपने भी सही काम किया और अब हम भी (इसमें संशोधन करके) सही ही कर रहे हैं।
Home Minister Amit Shah in LS on Unlawful Activities (Prevention) Amendment Act Bill: When you question us you don’t see who brought the law & amendments, who made it stringent. It was brought when you were in power, what you did then was right & what I’m doing now is also right. pic.twitter.com/1z8GKtOme2
— ANI (@ANI) July 24, 2019
विपक्ष के इस संशोधन के दुरुपयोग की चिंता पर भी शाह ने सदन को आश्वस्त किया कि कानून का इस्तेमाल केवल और केवल आतंकवादियों और आतंक को जड़ से उखाड़ने के लिए ही किया जाएगा।
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में साफ़ किया है उनकी सरकार शहरी नक्सलियों और माओवादियों के प्रति किसी भी मुरौव्वत के मूड में नहीं है। उन्होंने सदन में यह भी बयान दिया कि सच में सामाजिक कार्य कर रहे कार्यकर्ताओं को पकड़ने में पुलिस की कोई रुचि नहीं है।
‘अर्बन नक्सलियों’ पर बहस का हिस्सा
‘अर्बन नक्सली’ या ‘अर्बन माओवादी’ का अर्थ वह शहरी नागरिक हैं, जो शहरी मध्य-वर्ग/उच्च-मध्यम वर्ग (मार्क्सवादी भाषा में ‘बुर्जुआ’, bourgeois) का हिस्सा होते हुए भी वैचारिक, नैतिक-राजनीतिक, और कई बार आर्थिक, समर्थन भारत-विरोधी वाम-चरमपंथी गुटों जैसे नक्सलियों और माओवादियों की ग्रामीण इलाकों में हिंसक गतिविधियों का समर्थन करते हैं। माना जाता है कि यह शब्द फ़िल्मकार विवेक अग्निहोत्री द्वारा प्रचलित किया गया था।
शहरी वाम-चरमपंथियों, और आदिवासी इलाकों में उनके हाथों जनजातियों के उत्पीड़न, को चित्रित करने वाली अग्निहोत्री की फिल्म ‘बुद्धा (बुद्ध) इन अ ट्रैफिक जाम’ की एक ओर वामपंथी धड़े में जहाँ आलोचना होती है, वहीं दूसरी ओर देश के ‘राइट विंग’ में फिल्म को ‘कल्ट स्टेटस’ मिला हुआ है। इस विषय पर जेएनयू में लगाए गए कुख्यात भारत-विरोधी नारों के बाद से कई बार राजनीतिक और सामाजिक बहस हो चुकी है।