कर्नाटक के मंगलुरु में शनिवार (19 नवंबर 2022) को बम धमाका हुआ था। इस मामले में गिरफ्तार मोहम्मद शरीक को लेकर जिस तरह की जानकारी सामने आ रही है, उससे जाहिर है कि अपनी पहचान छिपाने की उसने पूरी तैयारी कर रखी थी। उसने अपने व्हाट्सएप डीपी में आदियोगी शिव की प्रतिमा लगा रखी थी।
इससे पहले यह बात सामने आई थी कि वह मोबाइल रिपेयरिंग की ट्रेनिंग ‘प्रेम राज’ के नाम से ले रहा था। धमाके के बाद भी वह खुद को हिंदू बता रहा था। उसने फर्जी आधार कार्ड में रख रखे थे। पुलिस यह जानने में जुटी है कि व्हाट्सएप डीपी में उसने आदियोगी की फोटो जाँच को गुमराह करने के लिए लगाई थी या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश है। अब तक हुई जाँच से पता चला है कि कोयंबटूर में जिस जगह आदियोगी की प्रतिमा लगी है, उस जगह शरीक कभी नहीं गया है। मंगलुरु में वह जिस डोरमेट्री में रुका था, वहाँ उसने नकली पहचान पत्र के साथ फर्जी मोबाइल नंबर नोट करवाया था। यहाँ CCTV कैमरे भी नहीं लगे हुए थे।
मंगलुरु धमाके से करीब दो महीने पहले शिवमोगा पुलिस ने जो जानकारी जुटाई थी उससे यह संदेह पैदा हो रहा है कि शरीक ने विस्फोटक बनाने में कुछ इंजीनियरिंग छात्रों की मदद लेने की भी कोशिश की थी। बताया ये भी जा रहा है कि उसके मोबाइल में ISIS से जुड़े लेख मिले हैं। साथ में IED बनाने की विधि का पर्चा भी मिला है। एक अन्य जानकारी के मुताबिक आरोपित जाँच एजेंसियों के रडार पर इसी साल 15 अगस्त को शिवमोगा में हुई साम्प्रदायिक हिंसा के बाद से था। इसके अलावा वह 2 साल पहले ‘लश्कर जिंदाबाद’ लिखने के आरोप में भी गिरफ्तार हुआ था। बाद में उसे जमानत मिल गई थी।
जमानत के बाद शरीक कोयंबटूर चला गया था। यहाँ 3 दिनों तक रहने के बाद वह एर्नाकुलम चला गया था। एर्नाकुलम से तमिलनाडु के रास्ते शारिक फिर कर्नाटक में मंगलुरु में आया था। यह बात भी सामने आई है कि मोहम्मद शरीक बिटकॉइन ट्रेडिंग करता था और अपने साथियों को क्रिप्टो करेंसी भेजता था।